हर साल फ्लू का खतरा, मगर फिर वैक्सीन को लेकर गंभीर नहीं है लोग,चौंकाने वाले हैं आंकड़े

Flu vaccine awareness India : फ्लू का टीका एक जरूरी सुरक्षा है, जो न केवल आपको बीमारी से बचाता है, बल्कि इसके असर को भी कम करता है. लेकिन ऊंची कीमत, जानकारी की कमी और सरकारी योजना में शामिल न होने की वजह से यह अभी भी आम जनता से दूर है. 

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हर साल फ्लू का खतरा, मगर फिर वैक्सीन को लेकर गंभीर नहीं है लोग

Flu vaccine awareness India: हर साल जब बरसात या सर्दी का मौसम आता है, फ्लू के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं. खांसी, बुखार, गले में खराश और थकान जैसी परेशानियां आम हो जाती हैं. इनसे बचने के लिए एक टीका है - क्वाड्रिवेलेंट इन्फ्लूएंजा वैक्सीन (QIV), जो फ्लू के चार मुख्य वायरस से सुरक्षा देता है. लेकिन अफ़सोस की बात है कि भारत में बहुत कम लोग इस टीके के बारे में जानते हैं और जो जानते हैं, उनमें से भी ज्यादातर इसे लगवाते नहीं हैं.

टीका छह महीने से बड़े बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए सुरक्षित है. वक्त आ गया है कि हम इस पर खुलकर बात करें और इसे अपने स्वास्थ्य की प्राथमिकता बनाएं.

भारत में फ्लू वैक्सीन की जागरूकता (Flu vaccine awareness India)

डॉक्टर की सलाह

डॉक्टर खासकर बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, पहले से बीमार लोगों और हेल्थ वर्कर्स को यह टीका लगवाने की सलाह देते हैं. फिर भी, बहुत कम लोग इसे गंभीरता से लेते हैं. इसकी एक वजह है इसकी कीमत - एक डोज़ करीब 1,500 से 2,500 रुपये की पड़ती है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है.

जानकारी का अभाव

जानकारी की कमी भी बड़ी रुकावट है. फ्लू का टीका भारत के सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल नहीं है, जिसकी वजह से सरकारी अस्पतालों में यह आमतौर पर नहीं मिलता. प्राइवेट अस्पतालों में यह जरूर उपलब्ध होता है, लेकिन वहां जाने के लिए डॉक्टर की पर्ची और एक्स्ट्रा खर्च की जरूरत होती है.

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ध्यान नहीं देते लोग

कई लोगों को लगता है कि फ्लू तो एक आम बीमारी है, जो अपने आप ठीक हो जाती है. लेकिन डॉक्टर बताते हैं कि यह सोच गलत है. कमजोर शरीर वाले लोगों में यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और अस्पताल तक की नौबत आ सकती है. टीका लेने के बाद अगर बीमारी होती भी है, तो लक्षण हल्के रहते हैं और रिकवरी जल्दी होती है. 

हर साल बदलता वायरस

एक और बात यह है कि फ्लू का वायरस हर साल बदलता है, इसलिए हर साल नया टीका लेना जरूरी होता है. यही वजह है कि वैज्ञानिक हर साल नए वायरस के मुताबिक टीके को अपडेट करते हैं.

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देश में पक्के आंकड़े नहीं

दिक्कत यह भी है कि देश में इसके इस्तेमाल को लेकर कोई पक्के आंकड़े नहीं हैं. छोटे-मोटे सर्वे बताते हैं कि देश की सिर्फ 1-2% आबादी ने कभी फ्लू का टीका लगवाया है. स्वास्थ्य कर्मियों में भी सिर्फ 30% के करीब लोग इसे लेते हैं, जबकि वे रोज मरीजों के संपर्क में रहते हैं.

लोगों में जागरूकता की जरूरत

अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि लोगों को इसकी सही जानकारी देने की ज़रूरत है. अगर लोगों को बताया जाए कि यह टीका कैसे उन्हें गंभीर बीमारी से बचा सकता है, तो शायद ज्यादा लोग इसे अपनाएंगे.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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