Why does the risk of fractures increase in winter : सर्दियों का मौसम आते ही ठंडक के साथ-साथ एक डर भी आता है कहीं फिसलकर गिर न जाएं. आप खुद देखिए, जैसे ही सर्दी बढ़ती है, अस्पतालों में फ्रैक्चर के मामले भी बढ़ने लगते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? यह सिर्फ इत्तफाक नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई ठोस वजहें हैं, जिन्हें जानना आपके लिए बहुत जरूरी है. ऐसे में हमने वेंसर हॉस्पिटल, (पुणे) के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर समीर पाटिल से बात की और समझा कि सर्दियों में फ्रैक्चर का खतरा क्यों बढ़ जाता है, और हम इससे बचने के लिए क्या-क्या कर सकते हैं.
सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है फ्रैक्चर का खतरा
सर्दियों में तापमान कम होने से मांसपेशियों और जोड़ो में कठोरता बढ़ जाती है, जिससे अचानक फिसलने या गिरने का खतरा अधिक होता है. ठंड में ब्लड सर्कुलेशन धीमा होने के कारण हड्डियां कम लचीली महसूस होती हैं और यह मामूली चोट को भी फ्रैक्चर में बदल सकता है. इसके अलावा कोहरा, फिसलन और कम रोशनी वाले दिन दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ाते हैं.
क्या बरतें सावधानियां
- फ्रैक्चर से बचने के लिए आपको अपनी डाइट में विटामिन D और कैल्शियम की मात्रा बढ़ाएं.
- हर दिन लाइट एक्सरसाइज करें
- सही फुटवियर पहनें
- घर के फर्श को सूखा रखें.
- बाहर निकलते समय गर्म कपड़े पहनें और
फ्रैक्चर से जुड़े अन्य सवाल और उनके जवाब
सर्दियों में Post-Surgery हड्डियों की Recovery कैसे तेज करें?- ठंड के मौसम में सर्जरी के बाद रिकवरी थोड़ी धीमी हो सकती है क्योंकि मांसपेशियों में स्टिपनेस (stiffness) बढ़ती है और शरीर की हीलिंग क्षमता प्रभावित होती है.
- रिकवरी तेज करने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई फिजियोथेरेपी (Physiotherapy) नियमित करें. हल्की धूप में बैठना विटामिन D के स्तर को बेहतर करता है, जिससे हड्डियों की हीलिंग तेज होती है.
- घर में गर्माहट बनाए रखना, गर्म पानी की सिंकाई (जैसा डॉक्टर बताए), पर्याप्त प्रोटीन और एंटी-इंफ्लेमेटरी भोजन लें. अगर आपकी कोई सर्जरी हुई है तो भारी वजन उठाने से पूरी तरह बचें. सही नींद और तनाव कम रखना भी हीलिंग को तेज करता है.
- शरीर में ब्लड फ्लो कम होने से हड्डियों और मांसपेशियों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता, जिससे जॉइंट स्टिफनेस, कमर दर्द, गर्दन दर्द की समस्याएं बढ़ जाती हैं.
- समाधान के तौर पर हर 40-45 मिनट में उठकर 2-3 मिनट चलें. हल्के स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज, योग और ब्रिस्क वॉकिंग जोड़ो की लचीलापन बनाए रखते हैं.
- विटामिन D, कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर भोजन, सही पॉश्चर और एर्गोनोमिक कुर्सी (ergonomic chair) हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं.
- विटामिन D, कैल्शियम और मैग्नीशियम के लिए आप दूध, दही, पनीर जैसे डेयरी उत्पाद, वसायुक्त मछली, अंडे की जर्दी, हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, केल, ब्रोकली), नट्स और सीड्स (तिल, बादाम), फोर्टिफाइड अनाज, जूस और टोफू खा सकते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती हैं.
कोहरा और प्रदूषण धूप की UV-B किरणों को रोकते हैं, जिससे शरीर में विटामिन D का स्तर कम हो सकता है. विटामिन D की कमी से हड्डियाँ कमजोर पड़ती हैं और दर्द व सूजन की समस्या बढ़ती है. ठंडी हवा मांसपेशियों को सख्त कर देती है, जिससे पुराने जोड़ दर्द, आर्थराइटिस और चोटों के मामले बढ़ जाते हैं. इससे बचाव के लिए साफ दिनों में धूप लें, मास्क का उपयोग करें और प्रदूषण से बचें. घर में हल्की गर्माहट बनाए रखें, नियमित व्यायाम करें और विटामिन D व कैल्शियम की कमी की जांच करवाकर सप्लीमेंट लें.
सर्दियों में मांसपेशियां और लिगामेंट्स सख्त होने के कारण अचानक दौड़ने, कूदने या अभ्यास में चोट का खतरा बढ़ जाता है. ठंड के कारण रिएक्शन टाइम धीमा होता है और स्लिपरी सतहों पर फिसलने की संभावना बढ़ जाती है. बचाव के लिए अभ्यास से पहले 10-15 मिनट की वॉर्म-अप और बाद में कूल-डाउन जरूरी है. मौसम के अनुसार थर्मल स्पोर्ट्स गियर पहनें और सही फुटवियर का इस्तेमाल करें. हाईड्रेशन बनाए रखना और संतुलित आहार शरीर की क्षमता बढ़ाते हैं और चोटों से बचाते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














