अस्थमा वाले मरीजों को क्यों होती है सांस लेने में परेशानी, जानिए कितनी घातक है ये बीमारी? एक्सपर्ट की राय

Lung Disease: फेफड़े हमारे शरीर से लिए काफी जरूरी है, ऐसे में आज हम आपको उस बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो प्राणनाशक यानी घातक भी हो सकती है.

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जब श्वास वाहिनी सिकुड़ जाती है, तो सांस से जुड़ी परेशानी होती है.

Expert Opinion On Asthma: फेफड़े जीवन के लिए जरूरी हैं. फेफड़े के कारण ही शरीर को ऑक्सीजन पहुंचती हैं. लेकिन जितना ख्याल शरीर के सभी अंगों का रखा जाता है, उतना ख्याल फेफड़ों का नहीं रखा जाता है, जिसके कारण लोगों को फेफड़ों से संबंधित बीमारी का सामना करना पड़ता है. आपको बता दें, फेफड़ों से संबंधित कई बीमारियां लाइलाज होती है, ऐसे में आइए जानते हैं डॉक्टर अरविंद कुमार से इन बीमारी के लक्षणों के बारे में.

डॉक्टर अरविंद कुमार ने अस्थमा के बारे में बताया, उन्होंने कहा हमारी श्वास नली में मसल होती है, जो सिकुड़ना शुरू हो जाती है, जिसके बाद जो फेफड़ों के अंदर के कुछ लाइनिंग, जिन्हें हम कोशिका कह सकते हैं, वह मोटी हो जाती है और उसके अंदर बहुत सारा म्यूकस यानी बलगम जमा हो जाता है. ऐसे में समय के साथ- साथ और ज्यादा परेशानी पीड़ित व्यक्ति को उठानी पड़ती है.

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कैसे सिकुड़ती है श्वास वाहिनी? (How Does The Windpipe Contract?)

डॉक्टर ने कहा जहां पहले श्वास नली में मसल सिकुड़ती है, उसमें वक्त बढ़ने के साथ- साथ बहुत ज्यादा वृद्धि देखने को मिलती है, जिसके बाद श्वास नली की श्वास वाहिनी (Lumen) का रास्ता संकरा यानी कम हो जाता है या आसान भाषा में समझे तो रास्ता ब्लॉक होना शुरू हो जाता है, जिसके कारण सांस लेने और छोड़ने में बाधा होती है. इस दौरान व्यक्ति की सांस भी फूलने लगती है और उन्हें सांस लेने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है.

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आवाज में बदलाव

प्रो. डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया, जब व्यक्ति की श्वास नली की श्वास वाहिनी सिकुड़ जाती है, तो सांस से जुड़ी परेशानी होती है. इस स्थिति में व्यक्ति तेज-तेज हांफते हुए सांस लेते हैं. यही नहीं उनके सांस लेने में आवाज भी आने लगती है, क्योंकि नॉर्मल ब्रीथिंग में आवाज नहीं आती है. डॉक्टर ने आगे बताया जिन लोगों को अस्थमा हैं, उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. क्योंकि अस्थमा में म्यूकस बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. श्वास वाहिनी में सूजन हो जाती है. ऐसे में हवा के प्रवाह में बाधा होती है.

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डॉक्टर ने बताया, कि श्वास वाहिनी के सूजन को लेकर भी कई कैटेगरी होती है, जैसे माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर. जो इस प्रकार है.

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- डॉक्टर ने बताया कि अगर अस्थमा के साथ श्वास वाहिनी बहुत कम सूजन होती है, तो बात करते हुए न के बराबर ही व्यक्ति की सांस फूलेगी.

- अगर श्वास वाहिनी में मॉडरेट सूजन  है, तो उसमें अस्थमा के व्यक्ति को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत आएगी.

- अगर श्वास वाहिनी का सीवियर फॉर्म है, जिस दौरान वह बहुत ज्यादा सिकुड़ जाती है, तो इस स्थिति में व्यक्ति सांस ठीक तरीके से नहीं ले पाते हैं. इसी के साथ ऑक्सीजन कम होने लगती है. व्यक्ति की पांचों इंद्रियां नीले रंग की हो जाती है. डॉक्टर ने बताया कि कभी- कभी ये स्थिति प्राणनाशक/घातक भी हो सकती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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