क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस बीमारी में कब पड़ती है सर्जरी की जरूरत, डॉ मंगला ने बताए बचाव के तरीके

Chronic Pancreatitis: क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस एक लंबे समय तक रहने वाली सूजन की स्थिति है, जो अग्नाशय (पैंक्रियास) को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है. आपको बता दें कि पैंक्रियास शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन एंजाइम्स और इंसुलिन जैसे हार्मोन को बनाने में मदद करता है.

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क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस एक लंबे समय तक रहने वाली सूजन की स्थिति है.

Chronic Pancreatitis: क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस एक लंबे समय तक रहने वाली सूजन की स्थिति है, जो अग्नाशय (पैंक्रियास) को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है. आपको बता दें कि पैंक्रियास शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन एंजाइम्स और इंसुलिन जैसे हार्मोन को बनाने में मदद करता है. जब इस अंग में बार-बार सूजन आती है तो ये समय के साथ क्षतिग्रस्त होता है, जो पाचन प्रक्रिया और ब्लड शुदर कंट्रोल दोनों को प्रभावित करने लगता है. मैक्स अस्पताल के सीनियर डायरेक्टर एवं हेड, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और एचपीबी (हेपाटो-पैनक्रिएटो-बिलियरी) सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉक्टर विवेक मंगला ने इस बीमारी के बारे में सारी जानकारी दी है. इसके लक्षण और बचाव की तरीके भी बताए हैं. 

क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस क्या है?

पैंक्रियास (अग्नाशय) हमारे शरीर की एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रंथि है. इसका मुख्य कार्य भोजन को पचाने में मदद करना और शरीर में शुगर (ग्लूकोज़) का स्तर नियंत्रित करना है. यही ग्रंथि इंसुलिन और उसका काउंटर हार्मोन बनाती है. पैंक्रियास से बनने वाले एंजाइम्स जैसे एमाइलेज, लाइपेज और प्रोटीन डाइजेस्ट करने वाले एंजाइम्स हमारे भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करते हैं. यदि पैंक्रियास में बार-बार सूजन आ जाए या इसकी मुख्य नली (pancreatic duct) में पथरी बन जाए तो उसे क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस कहा जाता है. इस स्थिति की जांच एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन (CT scan) द्वारा की जाती है. भारत में अनुमान है कि लगभग 17 से 29 लाख लोग क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस से पीड़ित हैं.

क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण

इस बीमारी के मरीजों में सबसे आम लक्षण है पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, जो कभी कम तो कभी ज्यादा हो जाता है. यह दर्द अक्सर पीठ की ओर फैल जाता है.
अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • बार-बार उल्टी होना
  • फैटी स्टूल (मल में चिकनाई)
  • वजन कम होना
  • डायबिटीज का होना

मैनेजमेंट: लाइफस्टाइल में बदलाव सबसे जरूरी

चिकित्सकीय अनुभव से पाया गया है कि क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस अधिकतर उन लोगों में होती है जो अत्यधिक शराब या तंबाकू का सेवन करते हैं. इसलिए सफल इलाज के लिए सबसे जरूरी है लाइफस्टाइल में बदलाव:

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  • शराब और तंबाकू का सेवन पूरी तरह बंद करना.
  • जंक फूड, तैलीय भोजन और कोल्ड ड्रिंक्स से परहेज करना.
  • दिन में 3 भारी भोजन की बजाय 5 छोटे-छोटे मील्स लेना.

दवाइयों द्वारा इलाज

लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ कई बार मरीजों को लंबे समय तक दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ता है.

पैंक्रियाटिक एंजाइम सप्लीमेंट्स (जैसे Creon आदि) जिन्हें खाने के साथ लेने की सलाह दी जाती है, ताकि पाचन बेहतर हो सके.

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कब पड़ती है सर्जरी की जरूरत?

पिछले कुछ वर्षों में क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस का इलाज एंडोस्कोपी द्वारा भी किया जाने लगा है. लेकिन रिसर्च से यह सामने आया है कि एंडोस्कोपी के बाद 2–3 साल में लक्षण दोबारा उभरने लगते हैं.

  • बार-बार स्टेंटिंग की ज़रूरत.
  • धीरे-धीरे पैंक्रियास की फंक्शनिंग का कम होना.
  • डायबिटीज़ और इंसुलिन पर निर्भरता का बढ़ना.

इन्हीं कारणों से कई बार सर्जरी की सलाह दी जाती है.

हाल की गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी गाइडलाइन्स के अनुसार यदि मुख्य पैंक्रियाटिक डक्ट में रुकावट या स्टोन हों और मरीज को लगातार दर्द हो, तो शुरुआत में ही सर्जरी करना एंडोस्कोपी से इलज के मुकाबले ज्यादा लाभकारी है. 

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सर्जरी और एडवांस्ड ट्रीटमेंट

कुछ मरीजों में जहाँ पैंक्रियाज़ के अंदर स्टोन बन जाते हैं या पैंक्रियाज़ के हेड में टिश्यू बढ़कर नस को दबाने लगते हैं, वहाँ सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है. इस सर्जरी में डॉक्टर स्टोन और टिश्यू को निकालकर साफ करते हैं और फिर पैंक्रियाज़ की नस को आंत (इंटेस्टाइन) के एक हिस्से से जोड़ देते हैं. इस प्रक्रिया को पैंक्रियाटिकोजेजुनोस्टोमी (Pancreaticojejunostomy) कहा जाता है.

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  • सर्जरी के बाद कई मरीजों में डायबिटीज़ की दवाइयों या इंसुलिन की ज़रूरत कम हो जाती है. कुछ मरीजों में तो इंसुलिन की आवश्यकता पूरी तरह खत्म हो सकती है.
  • इसके अलावा, कुछ लोगों को सर्जरी के बाद पैंक्रियाटिक एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी की भी ज़रूरत पड़ सकती है. यह ज़रूरत इस बात पर निर्भर करती है कि मरीज में क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण कितने लंबे समय से मौजूद थे.
  • अध्ययनों में पाया गया है कि लॉन्ग टर्म रिज़ल्ट्स सर्जरी से एंडोस्कोपी की तुलना में कहीं बेहतर होते हैं.
  • मरीजों को लंबे समय तक लक्षणों से राहत मिलती है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है.

निष्कर्ष

क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस एक गंभीर लेकिन मैनेज होने वाली बीमारी है. सही समय पर जीवनशैली में बदलाव, दवाइयों का प्रयोग और आवश्यकता होने पर सर्जरी से मरीज पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं.

यदि आपको बार-बार पेट में दर्द, पाचन संबंधी समस्या या अचानक वजन कम होने जैसे लक्षण दिखें, तो समय रहते विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करना बेहद जरूरी है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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