3, 4 या 5 बजे, रात को कब आती है गहरी नींद? कम घंटों में करनी है नींद पूरी, तो रात को इतने बजे सो जाएं

Right Time to Sleep at Night: जिस समय बॉडी सबसे ज्यादा रिपेयरिंग मोड़ में होती है, अगर हम उस खास समय पर नहीं सोते, तो भले ही हम उतने ही घंटे बाद सो लें, लेकिन जो एनर्जी हमें मिलनी चाहिए, वह नहीं मिलती.

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Right Time to Sleep at Night: रात को कितने बजे सोना चाहिए?

How to Get Enough Sleep by Sleeping Less: हम रोज नींद लेते हैं, लेकिन क्या हमने कभी समझा है कि सोना केवल घंटों का खेल नहीं, बल्कि समय का खेल है? ज्यादा लोग यह सोचते हैं कि अगर 6–7 घंटे की नींद पूरी हो गई, तो शरीर को आराम मिल गया. लेकिन, आध्यात्मिक वक्ता ब्रह्मकुमारी शिवानी का कहना है कि यह सोच पूरी तरह सही नहीं है. उनके अनुसार, हमारी बॉडी की असली रिपेयरिंग, एनर्जी रिचार्ज और मानसिक शुद्धि का समय रात 10 बजे से 2 बजे तक होता है. अगर हम इस खास समय पर नहीं सोते, तो भले ही हम उतने ही घंटे बाद सो लें, लेकिन जो ऊर्जा हमें मिलनी चाहिए, वह नहीं मिलती. यानी नींद के घंटे पूरे हो सकते हैं, लेकिन नींद की क्वालिटी खो जाती है.

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क्यों है रात 10 से 2 का समय इतना खास? | Why Is the Time Between 10 pm and 2 am So Special?

ब्रह्मकुमारी शिवानी बताती हैं कि यह समय प्रकृति और शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक से जुड़ा है. रात होते ही शरीर आराम मोड में चला जाता है. रात के इन घंटों में:

  • शरीर अपनी टूटी-फूटी कोशिकाओं को ठीक करता है.
  • हार्मोन्स बैलेंस होते हैं.
  • दिमाग दिनभर की सूचनाओं को व्यवस्थित करता है.
  • इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.

अगर इस समय हम जाग रहे हों, मोबाइल चला रहे हों, टीवी देख रहे हों या दिमाग को एक्टिव रख रहे हों, तो शरीर रिपेयरिंग शुरू ही नहीं कर पाता. इसका परिणाम यह होता है कि अगले दिन हम थकान, चिड़चिड़ापन और मानसिक सुस्ती महसूस करते हैं, चाहे नींद 8 घंटे ही क्यों न ली हो.

गहरी नींद लेने का असली समय (Right Time to Get Deep Sleep)

शिवानी जी के अनुसार, रात 10 से 2 बजे तक शरीर स्वतः डीप-स्लीप मोड में जाता है. यह वह अवस्था है जब:

  • शरीर अपनी एनर्जी को रिचार्ज करता है.
  • दिमाग अनावश्यक विचारों का बोझ हटाता है.
  • नर्वस सिस्टम शांत होता है.
  • त्वचा और मांसपेशियां खुद को रिपेयर करती हैं.

अगर हम 12 या 1 बजे सोते हैं, तो शरीर इस प्रक्रिया को आधा अधूरा अनुभव करता है. इसका मतलब यह है कि हम नींद तो ले लेते हैं, लेकिन वह उतनी हीलिंग नहीं करती जितनी करनी चाहिए.

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क्या 12 से 6 सोना गलत है? (Is it wrong to sleep from 12 to 6?)

बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर वे 12 से 6 या 1 से 7 तक सो लें, तो नींद पूरी हो गई. लेकिन शिवानी जी इसका बड़ा फर्क समझाती हैं:

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  • 10 से 2 की नींद = सोने से ज्यादा, शरीर का रिजनरेशन
  • 12 के बाद की नींद = केवल विश्राम, कम रिपेयरिंग

इसलिए 10 से 2 की नींद खोना ऐसा है जैसे आपने मोबाइल तो चार्ज किया, लेकिन टर्बो चार्जिंग का समय मिस कर दिया. बैटरी चलेगी, पर पूरी क्षमता से नहीं.

इस आदत को कैसे अपनाएं?

  • रात 9:30 बजे तक मोबाइल, टीवी और लैपटॉप बंद कर दें.
  • रात का भोजन हल्का रखें और सोने से 2 घंटे पहले कर लें.
  • सोने से पहले 5 मिनट गहरी सांस या ध्यान करें.
  • सोने का एक तय समय रखें, हर रोज 10 बजे बिस्तर पर.

नींद शरीर की प्राकृतिक दवा है, लेकिन यह दवा तभी असर करती है जब सही समय पर ली जाए. ब्रह्मकुमारी शिवानी का संदेश यही है कि नींद घंटों की नहीं, समय की होती है. अगर आप रोज 10 बजे सोने लगें, तो धीरे-धीरे शरीर, मन और विचारों में अद्भुत बदलाव महसूस करेंगे, एनर्जी बढ़ेगी, भावनाएं शांत होंगी और लाइफ क्वालिटी अपने आप सुधर जाएगी.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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