Heart Attack आते ही सबसे पहले करें ये काम? डॉक्टर ने बताया किन दवाइयों को लेने से बच सकती है जान

What To Do During Heart Attack : किसी को हार्ट अटैक आते देख घबराना नहीं है, बल्कि फौरन शांत दिमाग से काम लेना है. जितनी जल्दी आप मदद करेंगे, उतनी जल्दी मरीज ठीक हो पाएगा.

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हार्ट अटैक आते ही सबसे पहले क्या करें?

What To Do During Heart Attack: आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में दिल से जुड़ी बीमारियां आम होती जा रही हैं. हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, खराब लाइफस्टाइल और तनाव के कारण दिल पर असर पड़ता है और कभी भी किसी को हार्ट अटैक आ सकता है. ऐसे में अगर आप उसके आस-पास हैं, तो आपको क्या करना चाहिए ये जानना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि सही वक्त पर सही कदम उठाना किसी की जान बचा सकता है.

हार्ट अटैक आते ही सबसे पहले क्या करें? (What To Do During Heart Attack)

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सबसे पहले पहचानें लक्षण

हार्ट अटैक के पहले कुछ संकेत नजर आते हैं जिन्हें पहचानना ज़रूरी है. जैसे:
1. सीने में दबाव या जलन
2. सांस लेने में दिक्कत
3. पसीना आना, खासकर ठंडा पसीना
4. बेचैनी या घबराहट
5. जबड़ा, गर्दन या पीठ में दर्द
6. अचानक थकावट या चक्कर आना

अगर ये लक्षण दिखें और आपको थोड़ा भी शक हो कि यह दिल से जुड़ी दिक्कत है, तो बिना देरी किए काम पर लग जाइए.

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ये तीन दवाइयां याद रखें

1. अगर आपके पास दवाइयां उपलब्ध हैं, तो तुरंत मरीज को 300 मिलीग्राम एस्पिरिन चबाने को दें, ये खून को पतला करती है और दिल की नसों में बनने वाले क्लॉट को रोक सकती है.

2. इसके साथ अगर संभव हो तो 300 मिलीग्राम  क्लोपिडोग्रेल

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3. 80 मिलीग्राम  एटोरवास्टेटिन भी दें, ये दवाइयां हार्ट अटैक के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन आमतौर पर ये हर घर में नहीं होतीं. एस्पिरिन तो मिल ही सकती है, इसलिए कम से कम वही जरूर दें.

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ध्यान रखें 

इन दवाइयों को सिर्फ तभी दें जब मरीज को एलर्जी न हो और वो होश में हो.

बिना देरी अस्पताल ले जाएं

दवा देने के बाद सबसे जरूरी काम है मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना. नज़दीकी ऐसे हॉस्पिटल जाएं जहां ECG की सुविधा हो ताकि तुरंत पता चल सके कि हार्ट अटैक है या नहीं.

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अगर हार्ट अटैक की पुष्टि हो जाती है, तो दो तरह के इलाज किए जाते हैं:

1. एंजियोप्लास्टी - इसमें ब्लॉकेज वाली नस को एक खास प्रोसेस से खोला जाता है. इसे प्राइमरी एंजियोप्लास्टी कहा जाता है और ये सबसे असरदार तरीका है.

2. थ्रोम्बोलिटिक थेरेपी - जब अस्पताल में एंजियोप्लास्टी की सुविधा नहीं हो या खर्च की दिक्कत हो, तो दवाओं के ज़रिए नसों में बने क्लॉट को घोलने की कोशिश की जाती है, अगर ये थेरेपी जल्दी दे दी जाए तो अच्छा असर दिखाती है.

वक्त ही सबसे बड़ा हथियार
हार्ट अटैक के वक्त एक-एक मिनट कीमती होता है. जितनी देरी होगी, दिल को उतना ज़्यादा नुकसान होगा. अगर आप समय पर पहचान लेते हैं और जल्दी अस्पताल पहुंचा देते हैं, तो मरीज की जान बच सकती है.



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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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