तन और मन दोनों को हालत बिगाड़ देता है तनाव, जानें होमियोस्टेसिस क्या है और इससे कैसे बचें

How to avoid homeostasis: तनाव को आधुनिक या बीसवीं सदी का सिंड्रोम कहा गया है. कई बार इन तनावों की कोई खास वजह नहीं होती, लेकिन इससे होने वाली परेशानी बहुत बड़ी होती है. क्योंकि तनाव के साथ ही दूसरे रोग भी बढ़ते जाते हैं.

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How to avoid stress: भागदौड़ भरी आधुनिक जीवनशैली के चलते दुनिया भर में स्ट्रेस यानी तनाव के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. समय पर इलाज नहीं करवाने और लंबे समय तक तनाव के रहने पर इंसान का शरीर और मन दोनों बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. तनाव का बेलगाम बढ़ते जाना इसलिए भी चिंता की बात है कि इसका असर मरीज के अलावा उसके आसपास के लोगों पर भी होता है. इसलिए तनाव को आधुनिक या बीसवीं सदी का सिंड्रोम कहा गया है. कई बार इन तनावों की कोई खास वजह नहीं होती, लेकिन इससे होने वाली परेशानी बहुत बड़ी होती है. क्योंकि तनाव के साथ ही दूसरे रोग भी बढ़ते जाते हैं.

होमियोस्टैसिस क्या होता है ( What is homeostasis)

तनाव के मामले में ज्यादातर बार मरीज खुद ही इसका जिम्मेदार होता है. इसके कारण मस्तिष्क को पर्याप्त आराम नहीं मिलता और लगातार दबाव बना रहता है. ठीक से नींद नहीं आती तो ध्यान भटकता रहता है. मेडिकल साइंस के मुताबिक इस स्थिति को बॉडी के होमियोस्टैसिस में गड़बड़ी कहा जाता है. इसमें पीड़ित शख्स की शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक हालत  बिगड़ जाती है. कई बार तनाव से हुई एंग्जाइटी आत्महत्या का कारण बन जाती है. आइए, जानते हैं कि स्ट्रेस, तनाव या होमियोस्टैसिस का शरीर पर कैसा और कितना बुरा असर पड़ता है और इससे कैसे बच सकते हैं.

होमियोस्टैसिस का शरीर पर कैसा और कितना बुरा असर

मॉडर्न रिसर्च और स्टडी रिपोर्ट में सामने आया है कि स्ट्रेस होने पर किसी भी शख्स के शरीर में एड्रेनालाईन और कार्टिसोल समेत कई हॉर्मोन का लेवल बढ़ जाता है. दिल की धड़कन बढ़ जाती है. ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है. डाइजेशन, नर्वस और इम्यून सिस्टम गड़बड़ हो जाता है और सिर में हमेशा दर्द बना रहता है. वहीं, क्रॉनिक स्ट्रेस से जल्दी बुढ़ापा आना, अस्थमा अटैक, अनिंद्रा, दिल के दौरे, डिप्रेशन और डिमेंशिया वगैरह की आशंका भी बढ़ जाती है. ये सब तनाव की वजह से होते हैं.

स्ट्रेस, तनाव या होमियोस्टैसिस से कैसे बचें (How to avoid stress, tension or homeostasis)

तनाव से बचने के लिए सबसे पहले तो ओवर थिंकिंग से परहेज करें. किसी भी समस्या या चुनौती को नाटकीय रूप ना दें. खुद समाधान तलाश नहीं कर पा रहे हैं तो किसी करीबी की मदद लें. सकारात्मक रहने की कोशिश करें. लोगों को न कहना सीखें और पर्याप्त नींद लें. स्क्रीन टाइम, स्मोकिंग, अल्कोहल और कैफीन वगैरह को छोड़ें. हेल्दी डाइट लें और जमकर पानी पीएं.

इसके अलावा योग, प्राणायाम और ध्यान को जीवन में अपनाएं. मनपसंद म्यूजिक सुनें. सुबह टहलने और कुछ समय पढ़ने की आदत बनाएं. दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलें. इसके बाद भी तनाव कम न हो तो फिर किसी डॉक्टर से मिलकर इलाज करवाएं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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