Skin Discoloration: हेल्थ से जुड़े ढेर सारे मामले में एक है स्किन यानी त्वचा का रंग खराब होने या बदल जाने की बीमारी. इस बीमारी में स्किन अपना प्राकृतिक रंग या नेचुरल टोन खो देती है. मेडिकल साइंस में इसके स्किन से जुड़े रोगों की स्टडी और उसके इलाज के लिए बने स्पेशल विभाग को डर्मेटोलॉजी कहते हैं. इसके जानकार डॉक्टर्स के मुताबिक स्किन के बदरंग होने के पीछे जन्म के साथ पाए जाने वाले निशान यानी बर्थमार्क, इंफेक्शन, पिंगमेंटेशन डिसऑर्डर और स्किन कैंसर समेत कई और कारण हो सकते हैं.
स्किन के नेचुरल टोन में फर्क आने के बाद बदरंग त्वचा लाल, गुलाबी, बैंगनी, टैन, भूरा, काला या नीला दिख सकता है. आमतौर पर ऐसी दिक्कत फिजिकली ज्यादा तकलीफदेह नहीं होती, लेकिन सामाजिक और मानसिक तौर इसका बहुत निगेटिव असर हो सकता है. आमतौर पर शरीर के कुछ हिस्सों पर मेलेनिन के स्तर में अंतर के कारण बदरंग स्किन के धब्बे भी हो सकते हैं. मेलेनिन वह पदार्थ है जो स्किन को रंग देता है और उसे धूप से बचाता है. जब मेलेनिन का अधिक उत्पादन होता है, तो यह त्वचा की रंगत में अंतर पैदा कर सकता है.
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स्किन के रंग में बदलाव का कारण (Skin Discoloration Causes)
स्किन के रंग में बदलाव के और भी कई संभावित कारण हैं. इनमें छोटी समस्याओं से लेकर अधिक गंभीर मेडिकल कंडिशंस भी शामिल हैं. इनमें से कुछ हैं-
- बर्थमार्क, जो स्किन के रंगहीन धब्बे होते हैं. यह जन्म के समय या उसके तुरंत बाद शरीर पर मौजूद दिख सकते हैं.
- पिगमेंटेशन डिसऑर्डर जैसे मेलास्मा, ऐल्बिनिज़म और विटिलिगो.
- मेडिकल कंडिशनंस जैसे रोसैसिया, सोरायसिस और ग्रेव्स रोग.
- हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से संक्रमण.
- एलर्जी, जिससे पित्ती या एक्जिमा चकत्ते हो सकते हैं.
- स्किन कैंसर, जो क्षतिग्रस्त स्किन सेल्स से विकसित होता है और घातक (कैंसरयुक्त) हो जाते हैं.
इसके अलावा, आग या बिजली से जलने और दवाओं के साइड इफेक्ट्स से भी स्किन का रंग बदल जाता है. कई बार गहरे चोट और बेहद तेज धूप में रहने से भी स्किन का कलर बदल जाता है.
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स्किन बदरंग होने की सूरत में क्या है इलाज (What is the treatment in case of skin discoloration?)
स्किन बदरंग होने की सूरत में जल्दी ही डॉक्टर की निगरानी में इलाज शुरू कर देना चाहिए. अगर स्किन कैंसर की आशंका हो तो फौरन एक्सपर्ट डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए. डॉक्टर सबसे पहले स्किन के बदरंग हिस्से को देखेगा. फिर आप से इन बदलावों और दूसरे लक्षणों के बारे में पूछेगा. सवाल जवाब के बाद डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करेंगे.
इनमें ब्लड टेस्ट, फंगल या बैक्टीरियल इंफेक्शन की पहचान करने के लिए वुड्स लैंप परीक्षण और असामान्य कोशिकाओं को देखने के लिए माइक्रोस्कोप के नीचे प्रभावित स्किन के एक छोटे सैंपल की जांच करने के लिए स्किन बायोप्सी वगैरह की जांच शामिल है. टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर डर्मेटोलॉजिस्ट जरूरी दवाई देते हैं. मामला गंभीर होने पर इलाज में ज्यादा समय लग सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)