What Is Sexuality: सेक्सुअलिटी वह एहसास है जो बताता है कि कोई इंसान किसके प्रति आकर्षित होता है, चाहे वह सेक्सुअल हो या रोमांटिक. हर इंसान की सेक्सुअलिटी अलग हो सकती है और ये वक्त के साथ बदल भी सकती है. दरअसल, सेक्सुअलिटी तय करती है कि कोई इंसान किसके प्रति सेक्सुअल या रोमांटिक आकर्षण फील करता है. सेक्सुअल आकर्षण यानी फिजिकल रिलेशन की इच्छा, जबकि रोमांटिक आकर्षण यानी प्यार या इमोशनल कनेक्शन. जरूरी नहीं कि दोनों एक ही इंसान या जेंडर के लिए हों. सेक्सुअलिटी वक्त के साथ बदल सकती है और ये बिल्कुल नॉर्मल है.
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सेक्सुअलिटी के प्रमुख प्रकार (Types of Sexuality)
एलोरोमांटिक (Alloromantic): ऐसे लोग जो दूसरों के प्रति रोमांटिक फीलिंग्स रखते हैं, जैसे प्यार या इमोशनल कनेक्शन.
एलोसेक्सुअल (Allosexual): ये लोग दूसरों के प्रति सेक्सुअल आकर्षण महसूस करते हैं और पार्टनर के साथ फिजिकल रिलेशन चाह सकते हैं. ये लोग गे, लेस्बियन या बायसेक्सुअल भी हो सकते हैं.
एंड्रोसेक्सुअल (Androsexual): ऐसे लोग जो पुरुषों, मेल जेंडर या मर्दाना खूबियों की तरफ आकर्षित होते हैं, चाहे वो इंसान जन्म से मेल हो या न हो.
एरोमांटिक (Aromantic): ये लोग किसी के प्रति रोमांटिक आकर्षण नहीं महसूस करते.
एसेक्सुअल (Asexual): ये लोग सेक्सुअल या रोमांटिक आकर्षण कम या बिल्कुल नहीं महसूस करते. इनके भी कई प्रकार हैं:
सेक्स-एवर्स (Sex-averse): यौन संबंध से पूरी तरह दूरी रखते हैं.
सेक्स-फेवरेबल (Sex-favorable): कुछ खास हालात में यौन संबंध को पॉजिटिव मानते हैं.
सेक्स-इंडिफरेंट (Sex-indifferent): यौन संबंध के प्रति न पॉजिटिव न नेगेटिव, बस न्यूट्रल.
सेक्स-रिपल्स्ड (Sex-repulsed): यौन संबंध से घृणा या असहजता महसूस करते हैं.
क्यूपियोसेक्सुअल (Cupiosexual): सेक्सुअल आकर्षण नहीं होता, लेकिन फिर भी सेक्सुअल रिलेशनशिप में इंटरेस्ट रखते हैं.
लिबिडोइस्ट एसेक्सुअल (Libidoist Asexual): सेक्सुअल फीलिंग्स होती हैं, लेकिन वो खुद से स्टिमुलेशन (जैसे मास्टरबेशन) से सेटिस्फाई करते हैं.
ग्रेसेक्सुअल (Graysexual): कभी-कभार या हल्का सेक्सुअल आकर्षण महसूस करते हैं.
ग्रेरोमांटिक (Grayromantic): कभी-कभार या हल्का रोमांटिक आकर्षण महसूस करते हैं.
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ऑटोरोमांटिक (Autoromantic): खुद के प्रति रोमांटिक आकर्षण महसूस करते हैं, लेकिन दूसरों के लिए भी रोमांटिक फीलिंग्स हो सकती हैं.
ऑटोसेक्सुअल (Autosexual): खुद के प्रति सेक्सुअल आकर्षण महसूस करते हैं, लेकिन दूसरों के लिए भी आकर्षण हो सकता है.
बायसेक्सुअल (Bisexual): ऐसे लोग जो अपने जेंडर और दूसरे जेंडर्स दोनों की तरफ आकर्षित होते हैं. कुछ लोग इसे पैनसेक्सुअल के साथ मिलाकर भी यूज करते हैं.
बायरोमांटिक (Biromantic): दो या ज्यादा जेंडर्स के प्रति रोमांटिक आकर्षण, लेकिन जरूरी नहीं कि सेक्सुअल आकर्षण हो.
डेमीरोमांटिक (Demiromantic): सिर्फ उन लोगों के प्रति रोमांटिक आकर्षण महसूस करते हैं, जिनके साथ गहरा इमोशनल बॉन्ड हो.
डेमीसेक्सुअल (Demisexual): सिर्फ उन लोगों के प्रति सेक्सुअल आकर्षण महसूस करते हैं, जिनके साथ पहले से इमोशनल कनेक्शन हो.
गे (Gay): ऐसे पुरुष जो सिर्फ पुरुषों की तरफ सेक्सुअल और रोमांटिक आकर्षण महसूस करते हैं.
जायनेसेक्सुअल (Gynesexual): महिलाओं, फीमेल जेंडर या फेमिनिन खूबियों की तरफ आकर्षित होते हैं, चाहे वो इंसान जन्म से फीमेल हो या न हो.
हेटेरोरोमांटिक (Heteroromantic): अलग जेंडर के प्रति रोमांटिक आकर्षण, लेकिन जरूरी नहीं कि सेक्सुअल आकर्षण हो.
हेटेरोसेक्सुअल (Heterosexual): अलग जेंडर के प्रति सेक्सुअल और रोमांटिक आकर्षण. इसे स्ट्रेट भी कहते हैं.
होमोरोमांटिक (Homoromantic): उसी जेंडर के प्रति रोमांटिक आकर्षण, लेकिन सेक्सुअल आकर्षण जरूरी नहीं.
होमोसेक्सुअल (Homosexual): उसी जेंडर के प्रति सेक्सुअल और रोमांटिक आकर्षण. ये टर्म अब कम यूज होता है, क्योंकि इसे पुराना और नेगेटिव माना जाता है.
लेस्बियन (Lesbian): ऐसी महिलाएं जो दूसरी महिलाओं की तरफ सेक्सुअल और रोमांटिक आकर्षण महसूस करती हैं. कुछ नॉन-बाइनरी लोग भी इस टर्म को यूज करते हैं.
मोनोसेक्सुअल (Monosexual): सिर्फ एक जेंडर की तरफ आकर्षण, जैसे हेटेरोसेक्सुअल, गे या लेस्बियन.
मल्टीसेक्सुअल (Multisexual): एक से ज्यादा जेंडर्स की तरफ आकर्षण, जैसे बायसेक्सुअल या पैनसेक्सुअल.
पैनसेक्सुअल (Pansexual) और ओम्नीसेक्सुअल (Omnisexual): सभी जेंडर्स और सेक्स की तरफ आकर्षण, जहां जेंडर कोई फैक्टर नहीं होता.
पैनरोमांटिक (Panromantic): सभी जेंडर्स की तरफ रोमांटिक आकर्षण, लेकिन सेक्सुअल आकर्षण जरूरी नहीं.
पॉलीसेक्सुअल (Polysexual): एक से ज्यादा, लेकिन सभी नहीं, जेंडर्स की तरफ आकर्षण.
क्वीर (Queer): LGBTQIA+ कम्युनिटी के लोग इस टर्म को अपनी पहचान के लिए यूज करते हैं. पहले इसे गाली के तौर पर यूज किया जाता था, लेकिन अब इसे कम्युनिटी ने रिक्लेम किया है.
सेक्सुअल फ्लूइडिटी (Sexual Fluidity): सेक्सुअल ओरिएंटेशन जो फिक्स नहीं होता और वक्त के साथ बदल सकता है.
स्कोलियोसेक्सुअल (Skoliosexual): नॉन-बाइनरी लोगों की तरफ आकर्षण.
स्पेक्ट्रासेक्सुअल (Spectrasexual): कई जेंडर्स की तरफ आकर्षण, लेकिन सभी की तरफ नहीं.
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सेक्सुअलिटी क्यों जरूरी है?
सेक्सुअलिटी इंसान की पहचान का हिस्सा है. ये तय करती है कि वो किसके प्रति प्यार या आकर्षण महसूस करता है. हालांकि हर इंसान को अपनी सेक्सुअलिटी को लेबल करने की जरूरत नहीं है. कुछ लोग बिना किसी लेबल के खुश रहते हैं, और उनकी सेक्सुअलिटी वक्त के साथ बदल सकती है. लेकिन कुछ लोग लेबल्स से अपनी कम्युनिटी ढूंढते हैं, जहां वो अपने जैसे लोगों से कनेक्ट कर सकते हैं.
LGBTQIA+ का मतलब
LGBTQIA+ एक इनक्लूसिव टर्म है, जो इन लोगों को कवर करता है:
- लेस्बियन (Lesbian)
- गे (Gay)
- बायसेक्सुअल (Bisexual)
- ट्रांसजेंडर (Transgender)
- क्वेश्चनिंग (Questioning) या क्वीर (Queer)
- इंटरसेक्स (Intersex)
- एसेक्सुअल (Asexual)
- ‘+' उन लोगों के लिए जो दूसरी सेक्सुअल या जेंडर आइडेंटिटी रखते हैं.
क्लोसेटेड (Closeted) का मतलब
क्लोसेटेड वो लोग हैं जो अपनी सेक्सुअल या जेंडर आइडेंटिटी को ओपनली शेयर नहीं करते. इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे समाज का डर या जजमेंट. किसी की आइडेंटिटी को बिना उनकी इजाजत के शेयर करना गलत है, इसे “आउटिंग” कहते हैं.
दरअसल, सेक्सुअलिटी इंसान की पर्सनल जर्नी है, जो हर किसी के लिए अलग होती है. ये एक स्पेक्ट्रम है, जहां लोग अलग-अलग तरह के आकर्षण महसूस करते हैं. अपनी आइडेंटिटी को सेलिब्रेट करें और दूसरों की भी रिस्पेक्ट करें!
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)