Diabetic retinopathy: डायबिटीज यानी मधुमेह की बीमारी से आंखों की रोशनी जाने का खतरा हो सकता है. अगर समय पर ध्यान नहीं दिया जाए तो मरीज सदैव के लिए आंखें खो देता है. डॉक्टर इसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं. जब डायबिटीज के मरीजों की शुगर कंट्रोल में नहीं रहती, तो यह समस्या होती है. इसका पता लगते-लगते मरीज आंखों की रोशनी खो चुके होते हैं. इस अवस्था में रेटिना के ब्लड वेसल्स प्रभावित हो जाते हैं, जिससे विजन लॉस होता है. इसलिए मधुमेह के रोगियों को इस बारे में सतर्क रहना चाहिए और इसके लक्षण दिखें तो उसे इग्नोर नहीं करना चाहिए.
क्यों होती है डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy Reason)
जब डायबिटीज के किसी मरीज के खून में शुगर लेवल लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहता है तो उसका असर आंखों को पोषण देने वाली छोटी नसों पर होता है और उसमें रुकावट पैदा हो सकती है. आंखों के पास ब्लड सप्लाई ठीक नहीं हो पाती. इसक कारण रेटिना पर असर पड़ता है, और रेटिना खराब होने लगता है. अगर समय पर इलाज न हो तो ये अंधेपन का कारण बन सकता है.
डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण (Diabetic Retinopathy Symptoms)
डॉक्टर्स कहते हैं कि मरीज को दृष्टि में बदलाव दिख सकता है. जैसे नजर कमजोर होना. विजन में मकड़ी के जाले जैसे दिख सकते हैं. आंखों में धब्बे दिख सकते हैं. अगर किसी को चश्मा लगा है तो उसका नंबर अचानक बढ़ जाना, सफेद या काला मोतियाबिंद, आंखों में संक्रमण, रेटिना से खून का दिखना.
कैसे करें बचाव (Diabetic Retinopathy Cure)
डॉक्टर्स कहते हैं कि इस स्थिति से बचाव के लिए सबसे पहले शुगर के मरीज अपनी शुगर कंट्रोल में रखें. समय-समय पर आंखों की जांच करते रहें. आंखों में दर्द हो या जाला सा दिखे तो डॉक्टर से जांच कराएं. सबसे बेहतर तो यही है कि अगर डायबिटीज है तो आंखों की जांच हर महीने करवा लें. उपरोक्त कोई लक्षण दिखाई दे तो उसे इग्नोर ना करें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)