मासूम को खिड़की पर लटका पीटा, ऐसी हैवानियत से बच्चों के दिमाग पर क्या पड़ता है असर, जानें क्या कहता है WHO

कई शोधों से पता चलता है कि शारीरिक दंड से कई तरह के नकारात्मक परिणामों जुड़े होते हैं. कई बार तो बच्चे अवसाद का शिकार भी हो जाते हैं और आत्महत्या तक का सोच लेते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
शारीरिक दंड केवल स्कूल तक ही सीमित नहीं है. घरों में भी बच्चों को शारीरिक दंड दिया जाता है.

बच्चों को शारीरिक दंड (Corporal Punishment) देने का सीधा असर उनके मानसिक विकास पर पड़ता है. अक्सर ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जहां पर बच्चों को सुधारने के नाम पर उनके साथ मारपीट की जाता है. ताजा मामला पानीपत का है, जहां पर 7 साल के बच्चे को खिड़की पर उल्टा लटका कर पीटा गया. इस मामले ने सबको हैरान कर दिया. इस मामले पर राज्य के शिक्षा मंत्री का बयान भी आया है. जिसमें उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट ने कड़ी कार्रवाई करते हुए नोटिस भिजवाकर स्कूल को बंद कर दिया है. साथ ही स्कूल की प्रिंसिपल और ड्राइवर गिरफ्तार कर लिए गए है. शिक्षा मंत्री ने कहा यह इंसानियत नहीं है,विभाग ने कड़ा एक्शन लिया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार  6-17 साल की आयु के 2 में से एक बच्चा ऐसे देशों में रहता है जहां स्कूल में शारीरिक दंड पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं है. ऐसे में स्कूल के टीचर बच्चों के साथ मारपीट करने से घबराते नहीं हैं. 

Corporal punishment को हिंदी में शारीरिक दंड कहा जाता है, जो कि बच्चों को माता-पिता या अध्यापक द्वारा दिया जाता है.

घर में भी बच्चे मारपीट का होते हैं शिकार

आपको जानकार हैरानी होगी कि शारीरिक दंड केवल स्कूल तक ही सीमित नहीं है. घरों में भी बच्चों को शारीरिक दंड दिया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में, अनुमानतः 0-18 साल की आयु के 1.2 अरब बच्चे हर साल घर पर शारीरिक दंड का शिकार होते हैं. शारीरिक दंड देने से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. कई बच्चे डरा हुआ महसूस करते हैं, जिसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर दिखता. जबकि कुछ बच्चों में हिंसा की भावना आ जाती है.

ये भी पढ़ें- फाइबर से भरपूर, याददाश्त भी करे मजबूत... जानें शकरकंद खाने के फायदे

शारीरिक दंड का बच्चों पर पड़ता है बुरा प्रभाव

कई शोध से पता चलता है कि शारीरिक दंड से कई तरह के नकारात्मक परिणामों से जुड़ा होता है. कई बार तो बच्चे अवसाद का शिकार भी हो जाते हैं और आत्महत्या तक का सोच लेते हैं. कुछ मामलों में तो बच्चे शराब और नशीली दवाओं का सेवन भी शुरू कर देते हैं. यहां तक की बच्चे के माता-पिता से रिश्ते भी खराब हो जाते हैं.

कैसे रोकी जाएं बच्चों के साथ होनेवाली मारपीट

बच्चों के साथ होने वाली इस मारपीट को कई उपायों के माध्यम से रोका जा सकता है, जैसे कानून,  बच्चों के पालन-पोषण और दंड से संबंधित मानदंडों में बदलाव, टीचर, माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने वाले लोगों को जागरूक करना. कई देशों में इस पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों के लागू होने के बाद इसकी व्यापकता दर कमी देखी गई है.

जब भी बच्चा कोई गलती करे तो माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो बच्चों से बात करें. न की उनके साथ मारपीट करें. बात करके भी बच्चों को गलत और सही के बारे में समझाया जा सकता है.

Advertisement

ये भी पढ़ें: साबूदाना हेल्दी है या नहीं? जानिए इसे खाने के फायदे और नुकसान

World Heart Day: दिल की बीमार‍ियां कैसे होंगी दूर, बता रहे जाने माने पद्मभूषण डॉक्‍टर TS Kler?

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Anurag Kashyap: OTT Rights पर ऐसा क्यों बोले अनुराग कश्यप? कुछ प्रोडक्शन हाउस नहीं बेचते Rights!