दिमाग से स्ट्रेस को दूर करने और शरीर को लचीला बनाता है सेतुबंधासन, जानें इसे करने का सही तरीका और फायदे

Setu Bandhasana Benefits: सेतु बंधासन योग का एक महत्वपूर्ण आसन है जो शरीर को लचीला, मजबूत और ऊर्जावान बनाता है. यह न सिर्फ रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है बल्कि मेंटल पीस और डाइजेशन सिस्टम को भी दुरुस्त रखता है. 

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Setu Bandhasana Benefits: सेतुबंधासन करने के जान लीजिए फायदे.

Setu Bandhasana Benefits: योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने का एक असरदार तरीका है. सेतु बंधासन, जिसे "ब्रिज पोज" भी कहा जाता है, न सिर्फ रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है बल्कि डाइजेशन सिस्टम, थायराइड ग्लैंड और मेंटल पीस के लिए भी फायदेमंद है. इस आसन को सही ढंग से करने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है और स्ट्रेस कम होता है. नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं में राहत मिलती है. अगर इसे सही तरीके से किया जाए तो यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. आइए जानते हैं कि इस आसन को कैसे करना चाहिए और इससे क्या-क्या फायदे मिलते हैं.     

सेतुबंधासन के फायदे (Setu Bandhasana Benefits)

सेतु बंधासन करने का सही तरीका -
1. शुरुआत करें  

-सबसे पहले योग मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं.  
-पैरों को घुटनों से मोड़ें और तलवे जमीन पर रखें.  
-दोनों पैरों के बीच कंधे की चौड़ाई जितना अंतर रखें.  
-हाथों को शरीर के पास रखें और हथेलियां जमीन की ओर हों.  

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2. आसन में प्रवेश करें  
-धीरे-धीरे सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं.  
-सबसे पहले निचली कमर, फिर मध्य भाग और अंत में ऊपरी पीठ को ऊपर उठाएं.  
-इस दौरान सिर और कंधे जमीन पर टिके रहें.  
-ठोड़ी को हल्का सा छाती की ओर झुकाएं ताकि गर्दन में कोई दबाव न पड़े.  
-पैरों से मजबूती से दबाव डालें और जांघों को एक-दूसरे के समानांतर रखें.  

3. आसन को बनाए रखें  
-इस मुद्रा में 20-30 सेकंड तक रहें और गहरी सांस लेते रहें.  
-अगर सहज महसूस हो तो इसे 1 मिनट तक बनाए रखें.  
-धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए कमर को वापस जमीन पर लाएं.  
-सबसे पहले ऊपरी पीठ, फिर मध्य भाग और अंत में निचली कमर को धीरे-धीरे नीचे लाएं.  
-आराम से कुछ देर शवासन में लेटें ताकि शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो सके.  

सेतु बंधासन के हेल्थ बेनेफिट्स -

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1. रीढ़ की हड्डी के लिए लाभकारी  
-यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और पीठ दर्द को कम करता है.  
-लंबे समय तक बैठकर काम करने वालों के लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद होता है.  

2. थायराइड ग्रंथि को सक्रिय करता है  
-इस मुद्रा में गर्दन का झुकाव थायराइड ग्रंथि को सक्रिय करता है और हार्मोन संतुलन में मदद करता है.  
-इससे मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और वजन नियंत्रण में रहता है.  

3. मेंटल पीस और स्ट्रेस में राहत  
-यह आसन स्ट्रेस और चिंता को कम करता है क्योंकि इससे ब्रेन में ब्लड फ्लो बेहतर होता है.  
-यह शरीर को रिलैक्स करता है और मेंटल पीस प्रदान करता है.  

4. डाइजेशन सिस्टम को मजबूत करता है  
-पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है.  
-पेट के अंगों की काम करने क्षमता बढ़ाने में मदद करता है.  

5. पैरों और हिप्स को मजबूत बनाता है  
-यह जांघों, हिप्स और पैरों की मांसपेशियों को टोन करता है और उन्हें मजबूत बनाता है.  
-खासतौर पर महिलाओं के लिए यह आसन बहुत लाभकारी है क्योंकि यह पेल्विक फ्लोर की मजबूती बढ़ाता है.  

आसन करते समय सावधानियां  
- अगर किसी को गंभीर पीठ दर्द, गर्दन में समस्या या स्लिप डिस्क की समस्या है तो यह आसन करने से पहले डॉक्टर या योग विशेषज्ञ की सलाह लें.  
- गर्भवती महिलाओं को यह आसन सावधानीपूर्वक करना चाहिए और प्रशिक्षक की देखरेख में करना बेहतर होता है.  
- अगर ब्लड प्रेशर की समस्या हो तो यह आसन ज्यादा देर तक न करें.  

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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