ब्रेन में ब्लड फ्लो को बेहतर बनाता है वियाग्रा, डिमेंशिया को रोकने में मदद कर सकता है: ऑक्सफोर्ड अध्ययन

वैज्ञानिकों ने पाया है कि सिल्डेनाफिल, जिसे वियाग्रा के नाम से जाना जाता है, में ब्रेन की बड़ी और छोटी दोनों वाहिकाओं में ब्लड फ्लो को बढ़ाने की क्षमता है.

Advertisement
Read Time: 4 mins

एक नए अध्ययन में पाया गया है, सिल्डेनाफिल, जिसे वियाग्रा के नाम से जाना जाता है, इरेक्टाइल डिसफंक्शन से पीड़ित पुरुषों के इलाज के अलावा भी कई अन्य लाभ दे सकता है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में कहा गया है कि इस दवा में ब्रेन में ब्लड फ्लो को बढ़ाने और वैस्कुलर डिमेंशिया के हाई रिस्क वाले व्यक्तियों में ब्लड वेसल्स के कार्य को बेहतर बनाने की क्षमता है.

वैस्कुलर डिमेंशिया एक ऐसी स्थिति है जो निर्णय, स्मृति और अन्य कॉग्नेटिव फंक्शन को प्रमुख रूप से प्रभावित करती है. ऐसा ब्रेन में ब्लड सप्लाई कम होने के कारण होता है, जो ब्रेन टिश्यू को प्रभावित करता है और उसे नुकसान पहुंचाता है.

यह भी पढ़ें: भद्दा लगता है दांतों का पीलापन, छुपाते हैं अपनी हंसी, तो इस फल के छिलके को हफ्ते में 3 बार रगड़ें और देखें कमाल

Advertisement

जर्नल सर्कुलेशन रिसर्च में प्रकाशित यह अध्ययन मनोभ्रंश के खिलाफ लड़ाई में संभावित रूप से बड़ा कदम है.

वैज्ञानिकों ने पाया कि सिल्डेनाफिल में बड़ी और छोटी दोनों ब्रेन वेसल्स में ब्लड फ्लो को बढ़ाने की क्षमता है, जिसे अल्ट्रासाउंड और एमआरआई स्कैन द्वारा मापा गया था. इसने कार्बन डाइऑक्साइड के प्रति ब्लड फ्लो रिएक्शन को बढ़ाया, जो बेहतर सेरेब्रोवास्कुलर फंक्शन का संकेत देता है.

Advertisement

इसके अलावा, सिल्डेनाफिल, सिलोस्टाज़ोल के साथ मिलकर ब्रेन में ब्लड वेसल्स रिजस्टेंस को कम करता है, अध्ययन ने सुझाव दिया.

हालांकि, इसने पाया कि सिल्डेनाफिल ने सिलोस्टाजोल की तुलना में कम दुष्प्रभाव पैदा किए, खासकर दस्त की कम घटनाओं के साथ. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्ट्रोक और डिमेंशिया की रोकथाम के लिए वोल्फसन सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एलेस्टेयर वेब ने कहा, "यह पहला टेस्ट है जो दिखाता है कि सिल्डेनाफिल इस स्थिति वाले लोगों में ब्रेन में ब्लड वेसल्स में जाता है, जिससे ब्लड फ्लो में सुधार होता है और ये ब्लड वेसल्स कितनी प्रतिक्रियाशील होती हैं." उन्होंने जोर देकर कहा कि ये कारक ब्रेन के अंदर छोटी ब्लड वेसल्स को होने वाली पुरानी क्षति से जुड़े हैं, जो वैस्कुलर डिमेंशिया के सबसे आम कारणों में से एक है. डॉ. वेब ने कहा, "यह इस अच्छी तरह से सहन की जाने वाली, व्यापक रूप से उपलब्ध दवा की मनोभ्रंश को रोकने की क्षमता को दर्शाता है, जिसे बड़े ट्रायल में टेस्ट की जरूरत है."

Advertisement

यह भी पढ़ें: सीढ़ी चढ़ते और उतरते समय करें ये 5 एक्सरसाइज, पेट का मोटापा होगा गायब, बाहर निकला पेट होने लगेगा अंदर!

Advertisement

रिपोर्ट में इस बात पर ध्यान दिया गया है कि वर्तमान में वैस्कुलर डिमेंशिया के लिए विशिष्ट उपचारों का अभाव है, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ब्रेन में छोटी ब्लड वेसल्स को होने वाली पुराने डैमेज इस स्थिति का एकमात्र प्रमुख कारण नहीं है, क्योंकि यह 30 प्रतिशत स्ट्रोक और 80 प्रतिशत ब्रेन ब्लीडिंग का कारण भी बनती है.

ऑक्सहार्प ट्रायल में 75 प्रतिभागी शामिल थे, जिन्हें मामूली स्ट्रोक हुआ था, जिसमें हल्के से मध्यम छोटे पोत रोग के लक्षण दिखाई दिए थे.

प्रत्येक पार्टिसिपेंट्स को तीन हफ्ते की अवधि में सिल्डेनाफिल, एक प्लेसबो और सिलोस्टाज़ोल - एक समान दवा - दी गई थी. दवाओं के प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए अध्ययन में कार्डियोवैस्कुलर फिजियोलॉजी टेस्ट, अल्ट्रासाउंड के साथ-साथ कार्यात्मक एमआरआई स्कैन का उपयोग किया गया.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Haryana Elections 2024: जब मौलवी के मुंह से राम-राम सुना...CM Yogi ने सुनाया किस्सा