गले में निगलने में दर्द है या गले में खराश के उपाय चाहिए? आयुर्वेद के नुस्खे आएंगे काम

Gale mein dard ke ayurvedic nuskhe: आयुर्वेद के अनुसार गला वात, पित्त और कफ तीनों दोषों से प्रभावित हो सकता है. यदि इन दोषों का संतुलन बिगड़ जाए तो गले से जुड़ी कई समस्याएं सामने आती हैं. उदाहरण के लिए, अधिक ठंडे या गरम पदार्थों के सेवन से कफ बढ़ जाता है, जिससे गले में खराश, सूजन या बलगम की समस्या उत्पन्न हो सकती है.

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गले में दर्द के आयुर्वेदि‍क नुस्‍खे | Gale mein dard ke ayurvedic nuskhe

Throat Infection Ayurvedic Home Remedy : आयुर्वेद में गले को शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग माना गया है, क्योंकि यह न केवल भोजन और पानी को निगलने का मार्ग है बल्कि वाणी, श्वास और संचार का भी केंद्र है. आयुर्वेद के अनुसार गले में कंठ और स्वर तंत्र स्थित होते हैं, जो बोलने की क्षमता और जीवन ऊर्जा (प्राण) के प्रवाह से जुड़े होते हैं. यही कारण है कि गले की सुरक्षा (Gale Me Infection Ka Ilaj) और देखभाल को स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा माना गया है.

क्‍यों होता है गले में दर्द या संक्रमण

आयुर्वेद के अनुसार गला वात, पित्त और कफ तीनों दोषों से प्रभावित हो सकता है. यदि इन दोषों का संतुलन बिगड़ जाए तो गले से जुड़ी कई समस्याएं सामने आती हैं. उदाहरण के लिए, अधिक ठंडे या गरम पदार्थों के सेवन से कफ बढ़ जाता है, जिससे गले में खराश, सूजन या बलगम की समस्या उत्पन्न हो सकती है.

इसी प्रकार तीखे और खट्टे पदार्थों का अधिक सेवन पित्त को बढ़ाता है, जिससे गले में जलन हो सकती है. वहीं वात दोष का असंतुलन गले को शुष्क कर देता है, जिससे बोलने में मुश्किल और खरखराहट जैसी समस्या हो सकती है. इसलिए आयुर्वेद गले की देखभाल में दोषों के संतुलन पर विशेष ध्यान देने की सलाह देता है.

गले में दर्द के आयुर्वेदि‍क नुस्‍खे | Gale mein dard ke ayurvedic nuskhe

आयुर्वेद में गले की सुरक्षा और सेहत के लिए सरल लेकिन प्रभावी उपाय बताए गए हैं.

  • गुनगुने पानी से गरारे करना सबसे आसान और कारगर उपाय माना जाता है, क्योंकि यह गले की सफाई करता है और संक्रमण से बचाता है.
  • हल्दी और शहद का मिश्रण गले की खराश और सूजन को कम करता है, साथ ही यह प्राकृतिक एंटीसेप्टिक का काम भी करता है.
  • तुलसी और मुलेठी का काढ़ा गले के लिए अमृत समान माना जाता है, क्योंकि यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और गले को भीतर से मजबूत करता है.
  • अदरक, लौंग और काली मिर्च जैसे घरेलू मसाले भी गले के दर्द और संक्रमण में उपयोगी होते हैं.

नोट : आयुर्वेद में यह भी कहा गया है कि अधिक ठंडे पेय, आइसक्रीम और अत्यधिक तैलीय पदार्थों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि ये गले को कमजोर बनाते हैं.

बदलें अपनी जीवनशैली (Lifestyle Changes)

  • गले की देखभाल केवल औषधियों या नुस्खों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवनशैली का संतुलन भी इसमें अहम भूमिका निभाता है.
  • प्राणायाम और ध्यान जैसी क्रियाएं गले और स्वर तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होती हैं. प्राणायाम से श्वास प्रणाली मजबूत होती है और वाणी की स्पष्टता बढ़ती है.
  • नियमित योगाभ्यास गले में रक्तसंचार को बेहतर बनाता है और इससे कंठ का स्वास्थ्य लंबे समय तक सुरक्षित रहता है.
  • इसके अलावा पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और तनावमुक्त जीवनशैली भी गले की सेहत के लिए आवश्यक है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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