ऑस्टियोपोरोसिस से राहत पाने के लिए फायदेमंद हैं ये 5 योग आसन, जानिए कैसे जोड़ों और हड्डियों को करते हैं मजबूत

Yoga For Osteoporosis: आयुष मंत्रालय के अनुसार, योग न सिर्फ हड्डियों को मजबूत करता है, बल्कि मसल्स को फ्लेक्सिबल और बैलेंस बनाता है. इससे शरीर का संतुलन सुधरता है, गिरने की संभावना कम होती है और साथ ही हड्डियों को मिलने वाला पोषण भी बेहतर ढंग से अवशोषित होता है.

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इस बीमारी में जिसमें बोन डेंसिटी धीरे-धीरे घटने लगती है.

Yoga For Osteoporosis: उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर की ताकत में भी कमी आने लगती है. खासतौर पर हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनके टूटने की संभावना बढ़ जाती है. डॉक्टर इसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें बोन डेंसिटी धीरे-धीरे घटने लगती है. इसके चलते हड्डियां मामूली चोट या झटके से भी टूट सकती हैं. योग की मदद से इस स्थिति से न सिर्फ राहत पाई जा सकती है, बल्कि इसे समय रहते रोका भी जा सकता है. आयुष मंत्रालय भी लोगों को योग अभ्यास की सलाह देता है ताकि लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखा जा सके.

आयुष मंत्रालय के अनुसार, योग न सिर्फ हड्डियों को मजबूत करता है, बल्कि मसल्स को फ्लेक्सिबल और बैलेंस बनाता है. इससे शरीर का संतुलन सुधरता है, गिरने की संभावना कम होती है और साथ ही हड्डियों को मिलने वाला पोषण भी बेहतर ढंग से अवशोषित होता है. कुछ ऐसे योगासन हैं, जो ऑस्टियोपोरोसिस के दौरान बेहद लाभकारी माने जाते हैं.

ऑस्टियोपोरोसिस के लिए फायदेमंद योगासन (Beneficial Yoga Poses For Osteoporosis)

1. पादहस्तासन

पादहस्तासन रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूती देता है. जब आप अपने पैरों की ओर झुकते हैं, तो शरीर की पिछली मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे उनमें लचीलापन आता है. ऑस्टियोपोरोसिस के दौरान यह आसन गिरने की संभावना को कम करने में मदद करता है क्योंकि यह शरीर का संतुलन सुधारता है और रीढ़ के लचीलेपन को बढ़ाता है.

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2. वीरभद्रासन

वीरभद्रासन खासतौर पर कूल्हों और घुटनों की हड्डियों को मजबूत करता है. यह आसन शरीर को स्थिरता देता है और रीढ़ की स्थिति को बेहतर करता है, जिससे शरीर के पॉश्चर में सुधार आता है.

3. अर्ध पिंच मयूरासन

यह आसन कंधों, पीठ और पैरों की हड्डियों पर असर करता है. इस आसन को करते समय जब कूल्हों को ऊपर उठाया जाता है, तो शरीर की मांसपेशियों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और पोषक तत्व तेजी से हड्डियों तक पहुंचते हैं. यह आसन शरीर को एनर्जेटिक बनाता है और कमर के निचले हिस्से की मजबूती बढ़ाता है.

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4. अर्ध चंद्रासन

अर्ध चंद्रासन में जब एक पैर हवा में ऊपर उठता है, तो निचले शरीर की हड्डियों पर दबाव बनता है, जिससे उनमें मजबूती आती है. यह आसन रीढ़, कूल्हों और टखनों को सक्रिय करता है और खासतौर पर बुजुर्गों के लिए बेहद लाभकारी है क्योंकि यह संतुलन सुधारता है और गिरने की संभावना को कम करता है.

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5. सेतु बंधासन

इस आसन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है और कूल्हों को ऊपर उठाया जाता है. यह आसन पीठ, कूल्हे और जांघों की हड्डियों को मजबूती देने में असरदार है. साथ ही, यह थायरॉइड ग्रंथि को भी सक्रिय करता है, जो शरीर की कैल्शियम मेटाबॉलिज्म में भूमिका निभाती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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