Agoraphobia: मौजूदा आपाधापी से भरे दौर में हम अक्सर तरह-तरह की शारीरिक और मानसिक दिक्कतों के बारे में सुनते रहते हैं. ऐसी ही एक मानसिक समस्या का नाम है पैनिक अटैक. यह समस्या भले ही मानसिक होता है, लेकिन इसके लक्षण शरीर पर काफी गंभीर रूप से नजर आते हैं. अचानक किसी चिंता या डर का दबाव इतना बढ़ जाता है कि धड़कनें तेज हो जाती है, पसीना आने लगता है, शरीर कांपने लगता है, सांस लेने में तकलीफ होती है, दम घुटता हुआ महसूस होता है, छाती और पेट में दर्द शुरू हो जाता है और कभी-कभी बेहोशी भी आ जाती है.
पैनिक अटैक के लक्षण (Symptoms of Anxiety and Panic Attack)
चूंकि शरीर में बाहर से दिखने वाले ऐसे लक्षण अन्य कई बीमारियों के भी होते हैं तो लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर हमें कैसे पता चलेगा कि हम पैनिक अटैक से गुजर रहे हैं? मनोवैज्ञानिक इसे पहचानने के कई तरीके बताते हैं. साइकोलॉजी के एक्सपर्ट के मुताबिक, सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा कि पैनिक अटैक एक तरह की एंजायटी है. एंजाइटी दरअसल एक इलॉजिकल फियर यानी बेमतलब का खौफ होता है. ये एक ऐसा खौफ है, जिसकी कोई वजह नहीं है लेकिन हम उसके चक्कर में मरते रहते हैं.
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क्या होता है अगोराफोबिया एंजायटी डिसऑर्डर? (What is Agoraphobia Anxiety Disorder?)
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये खौफ हमें इतना तंग करता है कि हमें कुछ समझ नहीं आता कि हकीकत क्या है और ये डर लॉजिकल है भी या नहीं, लेकिन हम उस पर बिना किसी वजह के यकीन कर लेते हैं या करने लगते हैं. ये एंजायटी डिसऑर्डर भी कई तरह का होता है. इनमें जनरलाइज्ड एंजायटी, सोशल एंजायटी और अगोराफोबिया जैसे कई प्रमुख एंजायटी शामिल हैं. अगोराफोबिया में हमें किसी स्पेसिफिक जगह पर जाने से जान का खतरा महसूस होने लगता है. जैसे किसी को बाजार में या भीड़ के बीच जाने से डर लगता है तो किसी को बंद जगह पर जाकर लगता है कि उसका बचना मुश्किल है.
जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर से कैसे बचें? (How to avoid Generalized Anxiety Disorder?)
- साइकोलॉजी के एक्सपर्ट का कहना है कि जनरलाइज्ड एंजायटी में कोई इंसान हर वक्त खौफ में रहता है कि उसे कुछ हो जाएगा. वह बेमतलब के डर में जीता है कि उसके साथ कुछ बुरा हो जाएगा.
- इन खौफ के चलते जब बार-बार शारीरिक और मानसिक लक्षण उभरने लगते हैं तो उसे पैनिक अटैक कहा जाता है.
- इससे बचने के लिए हमें अटैक के वक्त गहरी सांसें लेने, लैवेंडर का तेल इस्तेमाल करने, कैफीन का सेवन कम करने, रोजाना सुबह-शाम टहलने, पसंदीदा जगहों पर जाने और ध्यान का अभ्यास करने की जरूरत होती है.
- लाइफस्टाइल में इन सुधारों से भी राहत नहीं मिलने पर किसी साइकेट्रिस्ट से सलाह लेने की जरूरत पड़ती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)