सर्दी के मौसम में हाथ-पैर ठंडे पड़ना, बार-बार जुकाम, सिरदर्द और जोड़ों में दर्द आम शिकायतें हैं. योगासन और प्राणायाम को दिनचर्या में शामिल कर इन समस्याओं से निजात पाई जा सकती है. सर्दियों में सूर्यभेदन प्राणायाम का अभ्यास बेहद लाभकारी है. मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा के विशेषज्ञों के अनुसार, सबसे कारगर और सरल उपाय सूर्यभेदन प्राणायाम है. यह प्राणायाम शरीर के अंदरूनी ताप को तेजी से बढ़ाता है, जिससे सर्दी की छुट्टी हो जाती है. इसे 'सूर्य नाड़ी' (पिंगला नाड़ी) को सक्रिय करने वाला प्राणायाम कहा जाता है, जो दाहिनी नासिका से किया जाता है.
सूर्यभेदन प्राणायाम के अभ्यास से कई फायदे मिलते हैं. यह सर्दी-जुकाम, नाक बंद होना और साइनस की समस्या में राहत देता है. यह सिरदर्द और माइग्रेन में बहुत प्रभावी है. इससे वात दोष से होने वाले जोड़ों के दर्द, गठिया और कमर दर्द में आराम मिलता है. यह पेट के कीड़े (परजीवी) नष्ट कर पाचन तंत्र को मजबूत करता है. जबकि, शरीर का आंतरिक तापमान बढ़ाकर ठंड से बचाता है. यह प्राणायाम कुंडलिनी जागरण और मानसिक एकाग्रता में मदद करता है.
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एक्सपर्ट सूर्यभेदन प्राणायाम अभ्यास के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं. इसके लिए सुखासन, पद्मासन या किसी आरामदायक मुद्रा में बैठें. बाईं नासिका को अंगूठे से बंद करें और दाहिनी नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें. सांस भरने के बाद दोनों नासिकाएं बंद कर कुछ सेकंड तक रोके रखें. इसके बाद बाईं नासिका से धीरे-धीरे सांस छोड़ें. यह एक चक्र है. रोजाना 10-15 चक्र सुबह के समय खाली पेट करना चाहिए.
योगाचार्यों का कहना है कि सर्दियों में रोज सुबह 10-15 मिनट सूर्यभेदन प्राणायाम करने से शरीर गर्म रहता है, इम्यूनिटी मजबूत होती है और मौसमी बीमारियां दूर रहती हैं. हालांकि, कुछ लोगों को परहेज की सलाह भी दी जाती है. हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों, हृदय रोगियों, गर्मी या पित्त प्रकृति वाले लोगों के साथ ही तेज बुखार से पीड़ित व्यक्ति को भी सूर्यभेदन प्राणायाम के अभ्यास से परहेज करना चाहिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














