डिप्थीरिया या गलाघोंटू रोग क्या है? लिवर, किडनी और नर्वस सिस्टम को पहुंचाता है नुकसान, जानें कारण, लक्षण, इलाज और रोकथाम

दुनिया के कई देशों में कहर बरपाने वाली डिप्थीरिया को बोलचाल की भाषा में लोग गलाघोंटू भी कहते हैं. बेहद संक्रामक बीमारी माने जाने वाली डिप्थीरिया की पीड़ितों को समय पर इलाज नहीं मिलने पर उनकी जान भी जा सकती है.

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डिप्थीरिया या गलाघोंटू रोग क्या है? (What is Diphtheria or Galaghontu?)

Diphtheria Outbreak: देश और दुनिया भर में लोगों का गला घोंटकर (Galghotu) मारने वाली खतरनाक बीमारी डिप्थीरिया का प्रकोप (Diphtheria Outbreak) लगातार बढ़ रहा है. इस बीमारी के चलते मरीज के लिवर, किडनी और नर्वस सिस्टम को बेहद नुकसान पहुंचता है. बीते दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस संक्रामक और जानलेवा बीमारी के बारे में पूरी दुनिया को चेतावनी दी थी. आइए, जानते हैं कि डिप्थीरिया क्या है (What is Diphtheria) और कितनी खतरनाक बीमारी है? साथ ही डिप्थीरिया कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या-क्या हैं और किन उपायों के जरिए इससे बचा जा सकता है या इसे रोका जा सकता है?

डिप्थीरिया या गलाघोंटू रोग क्या है? (What is Diphtheria or Galaghontu?)

दुनिया के कई देशों में कहर बरपाने वाली डिप्थीरिया को बोलचाल की भाषा में लोग गलाघोंटू भी कहते हैं. बेहद संक्रामक बीमारी माने जाने वाली डिप्थीरिया पीड़ितों को समय पर इलाज नहीं मिलने पर उनकी जान भी जा सकती है. मेडिकल साइंस की भाषा में कहें तो डिप्थीरिया एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है. यह संक्रमण गले और नाक की भीतरी परत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.

डिप्थीरिया के मजबूत बैक्टीरियल इंफेक्शन होने और समय पर इलाज नहीं मिलने पर इसके खतरनाक टॉक्सिन्स मरीज की किडनी, उसके लिवर और नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस बीमारी से मरीज का श्वसन तंत्र (Respiratory System) बुरी तरह प्रभावित होता है. कई बार डिप्थीरिया के संक्रमण के कारण हार्ट अटैक की आशंका भी बढ़ जाती है. डॉक्टरों के मुताबिक, गर्भवती महिलाओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को डिप्थीरिया से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा होता है.

डिप्थीरिया फैलने के पीछे क्या कारण है? (What is the causes of Diphtheria?)

बैक्टीरियल इंफेक्शन और किसी मरीज के संपर्क में आना डिप्थीरिया फैलने का सबसे बड़ा कारण है. कोरिनेबैक्टीरियम नाम के बैक्टीरिया वाली किसी चीज को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है. वहीं, डिप्थीरिया संक्रमित मरीज के खांसने और छींकने पर नजदीक में बिना मास्क के खड़े लोगों में भी संक्रमण फैल सकता है. कई बार संक्रमण फैला रहे लोगों को भी नहीं मालूम होता कि वह लोगों को बीमारी बांट रहे हैं, क्योंकि कोविड-19 की तरह ही डिप्थीरिया की बीमारी में भी शुरुआती दिनों में कोई लक्षण नहीं दिखता.

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डिप्थीरिया बीमारी के क्या लक्षण होते हैं? (What are the symptoms of Diphtheria disease?)

डिप्थीरिया का संक्रमण सबसे पहले मरीज के श्वसन तंत्र पर असर करता है. इसलिए संक्रमण के शुरुआती लक्षण गले पर दिखते हैं. मेडिकल प्रोफेशनल्स बताते हैं कि डिप्थीरिया के बैक्टीरियल संक्रमण होने के बाद पहले मरीज के गले में मोटी भूरे रंग की परत जमती है, फिर यह धीरे-धीरे बढ़कर हृदय के कामकाज को भी डैमेज करना शुरू कर देती है. बाद में इसका बुरा असर शरीर के बाकी अंगों पर भी दिखने लगता है.

यह संक्रमण शरीर में प्रोटीन बनने की प्रक्रिया पर भी असर डालता है. इससे मरीज में कमजोरी और जल्दी थकने के लक्षण दिखने लगते हैं. आमतौर पर डिप्थीरिया से संक्रमित लोगों में गले में खराश, सूजन और दर्द, कुछ खाने-पीने या निगलने में तकलीफ, सांस लेने में दिक्कत, तेज बुखार, जुकाम और खांसी, आंखों से धुंधला दिखना और स्किन पर नीले धब्बे जैसे कई लक्षण सामने आते हैं.

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कैसे किया जाता है डिप्थीरिया का इलाज ? (What is Diphtheria Treatment?)

डिप्थीरिया के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करने या समय पर इलाज नहीं करवाने से यह गंभीर हो सकता है. इसलिए, डिप्थीरिया का लक्षण दिखने पर मरीज को फौरन डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए. शुरुआती सवाल-जवाब और टेस्ट रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर सबसे पहले मरीज को एंटीटॉक्सिन इंजेक्शन देकर शरीर में बैक्टीरिया से फैले टॉक्सिंस के असर को कम करते हैं. उसके बाद इंफेक्शन को कंट्रोल करने के लिए एरिथ्रोमाइसिन, पेनिसिलिन जैसे कुछ एंटीबायोटिक्स की खुराक देते हैं.

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दूसरे लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए इलाज के दौरान डिप्थीरिया के मरीज को उनके घर या अस्पताल में क्वारंटीन रखा जाता है. संक्रमण से बचने के लिए कई बार मरीज के करीबी लोगों को भी एहतियातन एंटीबॉयोटिक्स लेने की सलाह दी जाती है. वहीं, मरीज की साफ- सफाई और आराम के साथ ही उसके खान-पान और दवाइयों का पूरा ध्यान रखना पड़ता है.

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डिप्थीरिया से बचाव या रोकथाम के क्या उपाय हैं? (What are the measures to prevent or stop Diphtheria?)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइंस के मुताबिक, डिप्थीरिया के संक्रमण को फैलने से एंटीबायोटिक दवाओं और वैक्सीनेशन के जरिए रोका जा सकता है. आमतौर पर डिप्थीरिया से बचाव के लिए DTaP नाम की वैक्सीन पर्टुसिस और टेटनस के टीकों के साथ दी जाती है.

कम इम्यूनिटी होने के चलते बच्चों में डिप्थीरिया के खतरे को देखते हुए दो महीने से लेकर 6 साल की उम्र तक उन्हें पांच बार में टीके की पूरी खुराक दी जाती है. हालांकि, इसका असर 10 साल तक ही रहता है. इसलिए 12वें साल में फिर से डिप्थीरिया का टीका लगवाया जाता है.

बाद में जरूरी होने पर डॉक्टर की सलाह पर इसका बूस्टर डोज भी लिया जा सकता है. इसके अलावा, आसपास साफ-सफाई रखने, अस्पताल समेत संवेदनशील जगहों पर मास्क लगाने जैसी सावधानी भी बरती जा सकती है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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