बच्चों में लगातार बढ़ रही स्क्रीन की लत, पेरेंट्स के लिए खतरे की घंटी!

खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत में बच्चों को इस लत से छुटकारा पाने की सलाह दी. उन्होंने कुछ दिन पहले दिल्ली में आयोजित परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के दौरान बच्चों से बात की.

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Screen time: सोशल मीडिया पर आज कंटेंट की इतनी ज्यादा भरमार है कि लोग इसके आदी होने लगे हैं. एक रील स्क्रॉल करने के बाद लोगों को पता नहीं चल पाता है कि कब वो कई घंटों तक इसे देखते रहते हैं. यही वजह है कि तमाम तरह की रिसर्च और स्टडीज में स्क्रीन टाइम के खतरे को लेकर चेतावनी दी जा रही है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत में बच्चों को इस लत से छुटकारा पाने की सलाह दी. उन्होंने कुछ दिन पहले दिल्ली में आयोजित परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम के दौरान बच्चों से बात की. जिसमें पीएम मोदी ने छात्रों को सोशल मीडिया के नुकसान भी बताए.

पीएम मोदी ने दी थी सलाह (PM Modi's advice)

पीएम मोदी ने बच्चों को अपना उदाहरण देते हुए बताया कि जब मुझे जरूरत होती है, तभी मैं मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता हूं. उन्होंने बच्चों से कहा कि वो अपना स्क्रीन टाइम कम करने की कोशिश करें. इस दौरान पीएम ने ये भी कहा कि पेरेंट्स को अपने बच्चों के मोबाइल फोन का पासवर्ड पता होना चाहिए. उन्हें हर चीज की ट्रैकिंग भी करनी चाहिए. आपके फोन या फिर लैपटॉप में ऐसे ऐप्स इंस्टॉल होने चाहिए जो आपके स्क्रीन टाइम को काउंट करते हों.

सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा (Shocking revelation in the survey)

स्क्रीन टाइम को लेकर कई तरह के सर्वे और स्टडी भी सामने आई हैं. जिनमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. इंटरनेट फिल्टरिंग डिवाइस बनाने वाली कंपनी हैप्पीनेट्स के एक सर्वे में बताया गया कि 12 साल से कम उम्र के 42% बच्चे रोजाना औसतन दो से चार घंटे अपने स्मार्टफोन या टैबलेट पर बिजी रहते हैं. इस सर्वे में बताया गया कि ज्यादा उम्र के लोग अपने दिन का 47% तक स्क्रीन को देते हैं.

पेरेंट्स भी परेशान

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एक दूसरे सर्वे के मुताबिक भारत में ये समस्या लगातार बढ़ती जा रही है और 95 फीसदी पेरेंट्स अपने बच्चों की इस लत से परेशान हैं. बच्चे लगातार मोबाइल फोन, टैबलेट, कंप्यूटर और स्मार्टवॉच पर अपना टाइम बिता रहे हैं. बच्चे कई घंटों तक टीवी देखते हैं और इसके बाद मोबाइल फोन पर रील्स देखना भी पसंद कर रहे हैं, ऐसे में वो भूल जाते हैं कि दिन में कितने घंटे उनकी आंखें स्क्रीन पर रहीं. कई पेरेंट्स भी इसे नजरअंदाज करते हैं. ये एक खतरनाक लत की तरह बन गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेरेंट्स ही इस लत से बच्चों को दूर कर सकते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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