ऑस्टियोआर्थराइटिस मुख्यतः जोड़ों की हडियों के बीच रहने वाली आर्टिकुलर कार्टिलेज टूटने से होता है. कार्टिलेज नष्ट होने से, मूवमेंट के वक़्त जोड़ों की हडियां एक दूसरे से टकराने लगती हैं. हड्डियां आपस में घिसने लगती हैं, जिससे दर्द, सूजन और जकड़न हो जाती है, जिससे दैनिक गतिविधियों पर असर पड़ता है. यूं तो ऑस्टियोआर्थराइटिस का पूरी तरह से कोई उपचार संभव नहीं है, लेकिन कई ऑप्शन इसके लिए उपलब्ध हैं, तो दर्द कम करने और जकडन को रोकथाम के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या जोडों में गंभीर दर्द का कारण बन जाये, तो आंशिक यानी पार्शल सर्जरी और टोटल नी रिप्लेसमेंट का ऑप्शन दिया जाता है.
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अगर यह सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प माना जा रहा है, तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि NAVIO-CORI रोबोटिक सर्जरी प्लेटफॉर्म (स्मिथ एंड नेफ्यू, यूके) आज के सदी की सर्वोत्तम उपलब्धी है . आज के सदिकी सबसे यशस्वी सर्जरी का यह चरण है. रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट में तेजी से रिकवरी, बेहतर महसूस करने और लंबे समय तक चलने की क्षमता है.
आंशिक नी रिप्लेसमेंट (Partial Knee Replacement): जहां घुटने के केवल प्रभावित अंग को काट कर नए इम्प्लान्ट्स लगा दिए जाते हैं. जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस के मरिजों को दर्द से राहत मिलती हैं . पूरा घुटना बदलना ( टोटल नी रिप्लेसमेंट) की सर्जरी में पूरा घुटना इम्प्लांट किया जाता है, आमतौर पर यह सर्जरी जोड़ों के पास आने वाले हड्डियों को प्रभावित करने वाले उन्नत ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए आरक्षित होता है.
जोडों के सर्जिकल उपचार के तीन चरण हैं.
1. घुटने के प्रभावित हिस्से के ऊपर की त्वचा और कोमल ऊतकों को काट दिया जाता है. अंतर्निहित हड्डी की सतहों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए मांसपेशियों को वापस लाया जाता है.
2.फीमर (जांघ की हड्डी) और टिबिया (पिंडली की हड्डी) में हुए क्षतिग्रस्त कोटिंग को मैन्युअल रूप से या रोबोट की सहायता से हटा दिया जाता है.
3. फीमर और टिबिया सतहों को फिर से बनाने के लिए हटाए गए कार्टिलेज कोटिंग और हड्डी को धातु के घटकों से बदल दिया जाता है. इन धातु भागों को जगह-जगह सीमेंट किया जाता है.
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इसकी 2 अहम बातें :
इसमें डॉक्टर पारंपरिक शल्यचिकित्सक उपकरणों के साथ सर्जरी करते हैं, तथा यह उपकरण कंप्यूटर (कंप्यूटर असिस्टेड - नेविगेटेड सर्जरी) से संपादित किए जाके हैं. या NAVIO-CORI रोबोटिक्स प्लेटफॉर्म = रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट द्वारा किया जा सकता है.
बेहतर मुल्यांकन और सटीकता के बदौलत ऊतकों का नुकसान कम होता है. इस ऑप्शन से सुसंगत और संबंधित तक्नीकी दोहराने से अधिकतम समस्यां का निवारण सुनिश्चित हो सकता हैं. जिससे जोंडों के दर्द से प्राकृतिक रूप से राहत मिलने की योजनाएं बनाई जा सकती हैं .
यह विकल्प भविष्य के लिए राहत है . इससे आप के घुटने अब तेजी से ठीक हो सकते हैं, बेहतर महसूस कर सकते हैं.
(डॉ मितेन शेठ, चीफ सर्जन और डायरेक्टर द नी क्लिनिक, एसीआई कुंबल्ला हिल हॉस्पिटल मुंबई)