शरीर में प्रोटीन रीसाइक्लिंग सिस्टम करता है बैक्टीरिया के खिलाफ एंटीबायोटिक जैसा काम, स्टडी में खुलासा

प्रयोगों में यह देखा गया कि जिन सेल्स में प्रोटियासोम एक्टिव थे. वे बैक्टीरिया के बढ़ने को कंट्रोल कर रहे थे. लेकिन, जब इसकी एक्टिविटी को रोका गया, तो संक्रमण तेजी से फैलने लगा.

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यह शोध 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

इजरायली वैज्ञानिकों ने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी एक चौंकाने वाली खोज की है. उन्होंने पाया है कि प्रोटियासोम नामक कोशिकीय संरचना, जो आमतौर पर पुराने व बेकार प्रोटीन को तोड़कर नष्ट करने और दोबारा उपयोग के लिए तैयार करने का काम करती है. ये इंफेक्शन से बचाव में भी बड़ी भूमिका निभाती है.  यह शोध 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, इससे एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंस इंफेक्शन के खिलाफ नई रणनीतियां बनाने में मदद मिल सकती है.

शोध में क्या सामने आया?

इजरायल के वाइजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (डब्ल्यूआईएस) के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि जब प्रोटियासोम पुराने प्रोटीन को तोड़ता है, तो यह रेगुलर ऐसे पेप्टाइड्स छोड़ता है, जो बैक्टीरिया को मारने में सक्षम होते हैं. ये पेप्टाइड्स शरीर की इम्यूनिटी की पहली डिफेंस लाइन का हिस्सा होते हैं.

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प्रयोगों में यह देखा गया कि जिन सेल्स में प्रोटियासोम एक्टिव थे, वे बैक्टीरिया के बढ़ने को कंट्रोल कर रहे थे. लेकिन, जब इसकी एक्टिविटी को रोका गया, तो संक्रमण तेजी से फैलने लगा.

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संक्रमित चूहों पर किया गया परिक्षण

संक्रमित चूहों पर किए गए टेस्ट में भी यह पाया गया कि प्रोटियासोम से बने पेप्टाइड्स बैक्टीरिया की संख्या को कम करने, टिश्यू को होने वाले नुकसान को घटाने और जीवित रहने की संभावना को बढ़ाने में प्रभावी रहे. इनका असर क्लिनिकल लेवल पर उपयोग होने वाली मजबूत एंटीबायोटिक्स के समान ही था.

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वैज्ञानिकों ने 92 प्रतिशत मानव प्रोटीन में 2.7 लाख से ज्यादा संभावित एंटीबैक्टीरियल पेप्टाइड्स की पहचान की है. इस खोज को एक नई दिशा मानते हुए डब्ल्यूआईएस में प्रोफेसर यिफात मर्बल ने कहा कि इस पेप्टाइड डेटाबेस की मदद से इंफेक्शन और अन्य बीमारियों के लिए पर्सनालाइज्ड ट्रीटमेंट डिवेलप किए जा सकते हैं.

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कमजोर इम्यूनिटी वालों के लिए मददगार

यह शोध उन मरीजों के लिए खासतौर से मददगार साबित हो सकता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, जैसे कैंसर पीड़ित या अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन ने सेल्स के एक बुनियादी तंत्र का खुलासा किया है, जो प्रोटियासोम से कंट्रोल होता है और अब तक अज्ञात था.

प्रोफेसर मर्बल ने कहा, "यह खोज दिखाती है कि तकनीकी इनोवेशन और मूलभूत शोध किस तरह अप्रत्याशित तरीकों से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं. अगर हमें कोशिकाओं के सेलुलर ट्रैश का विश्लेषण करने की तकनीक नहीं मिलती, तो यह खोज संभव नहीं थी. लेकिन, जब हमने इस तकनीक को विकसित किया, तब हमने कभी नहीं सोचा था कि हम एक नई इम्यूनिटी खोज लेंगे."

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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