पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली एक आम समस्या है. इस हार्मोनल डिसऑर्डर में अंडाशय के बाहरी किनारों पर छोटे सिस्ट बनते हैं, जिससे वे बड़े हो जाते हैं. इस विकार के सबसे आम और भयावह परिणाम वजन बढ़ना, अनियमित मासिक धर्म, गंजापन, चेहरे और शरीर पर बहुत ज्यादा बाल उगना और मुंहासे हैं. अब, चूंकि सितंबर को हर साल दुनिया भर में पीसीओएस जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, इसलिए एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स की कार्यकारी निदेशक और 'शार्क टैंक इंडिया' की जज नमिता थापर ने वर्जनाओं को तोड़ने और जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से डिसऑर्डर के बारे में बात करने के लिए इंस्टाग्राम का सहारा लिया.
नमिता थापर ने वीडियो के कैप्शन में लिखा, "सितंबर पीसीओएस जागरूकता महीना है. 20 प्रतिशत भारतीय महिलाओं में यह हेल्थ प्रोब्लम है और पीसीओएस वाली 70 प्रतिशत महिलाओं में डायग्नोस ही नहीं किया जाता है, तो हमें और ज्यादा जागरुक करना चाहिए."
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नीचे उनकी पोस्ट पर एक नजर डालें:
क्लिप में नमिता थापर ने बताया कि कैसे अनिल कपूर और कमल हासन की दोनों बेटियां, सोनम कपूर और श्रुति हासन पीसीओएस से पीड़ित हैं और दोनों ने इस समस्या पर खुलकर बात की है. उन्होंने समय पर डायग्नोस के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इस कंडिशन को डायग्नोस करने के लिए एक साधारण पैल्विक एग्जामिनेशन, अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट ही पर्याप्त है.
"बहुत जानकारीपूर्ण और गंभीरता से कहें तो पीसीओएस का डायग्नोस करने में कई साल लग जाते हैं," एक यूजर्स ने लिखा. "पीसीओएस से लड़ने के लिए वास्तव में साहस की जरूरत है, मैं पिछले कुछ सालों से इससे पीड़ित हूं, लेकिन हाल ही में मुझे इसके बारे में पता चला. हमें इसके बारे में ज्यादा जागरूकता की जरूरत है," एक अन्य यूजर ने कहा.
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"जानकारीपूर्ण. हालांकि लाइफस्टाइल में बदलाव से मदद मिल सकती है, लेकिन महिलाओं के लिए वातावरण को कम विषाक्त और तनावपूर्ण बनाने के लिए घर में परिवार और ऑफिश में आसपास के लोगों को शिक्षित करना जरूरी है," एक तीसरे यूजर्स ने कहा. "आखिरकार सेलिब्रिटी इस बारे में इतनी खुलकर बात कर रहे हैं कि जागरूकता पैदा करना एक बढ़िया स्टेप है," एक चौथे यूजर्स ने कहा.
पीसीओएस 10 में से कम से कम 1 महिला को प्रभावित करता है. पीसीओएस के लक्षणों में मेंस्ट्रुअल साइकिल में बदलाव, चेहरे और शरीर के बालों और मुंहासों में वृद्धि जैसे त्वचा में बदलाव, अंडाशय में असामान्य वृद्धि और बांझपन शामिल हैं. इस डिसऑर्डर का समय पर पता लगना लक्षणों को प्रभावी तरीके से मैनेज करने और किसी भी लॉन्ग टर्म कॉम्प्लीकेशन की रोकथाम में मदद करता है.
जबकि पीसीओएस का सटीक कारण साफ नहीं है, शोध से पता चलता है कि आनुवंशिकी, रिजिस्टेंस, गट माइक्रोबायोम संरचना और लाइफस्टाइल फैक्टर्स इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)