Parkinson's Disease Dementia: पर्किंसन्‍स के मरीज होने लगते हैं डिमेंशिया के शिकार, जानें कैसे ये दिमाग को करता है प्रभावित

पार्किंसन का एक बड़ा ही चिंताजनक पहलू है इसका और डिमेंशिया यानी कि मनोभ्रंश के बीच का नाता. पार्किंसन के कई रोगियों को डिमेंशिया भी हो जाता है. पार्किंसन रोग दिमाग के कुछ हिस्से में हुए डैमेज या गड़बड़ी के कारण होता है.

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ऐसा देखा जा रहा है कि पार्किंसन के बहुत से रोगियों को डिमेंशिया भी हो जाता है.
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  • पार्किंसन के बहुत से रोगियों को डिमेंशिया भी हो जाता है.
  • पार्किंसन नामक ये रोग दिमाग के कुछ हिस्से में आए विकार के कारण होता है.
  • डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है जिसका सीधा असर मरीज के दिमाग पर पड़ता है.
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पार्किंसन नर्वस सिस्टम में आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ने वाला एक विकार होता है. इससे इंसान के शरीर की पूरी गतिविधि प्रभावित होती है. पार्किंसन रोग को लेकर एक चिंताजनक पहलू और भी है, वो है पार्किंसन और डिमेंशिया यानी कि मनोभ्रंश के बीच का कनेक्शन. ऐसा देखा जा रहा है कि पार्किंसन के बहुत से रोगियों को डिमेंशिया भी हो जाता है. आपको बता दें कि पार्किंसन नामक ये रोग दिमाग के कुछ हिस्से में आए विकार के कारण होता है. पार्किंसन रोग से पीड़ित लगभग 40% मरीजों में कॉग्निटिव इंपेयरमेंट का एक अधिक गंभीर रूप विकसित होने लगता है, इसे ही डिमेंशिया कहते हैं. 

पार्किंसन के लक्षण

पार्किंसन के लक्षणों की बात करें तो इसमें कंपन (ट्रेमर), शरीर में जकड़न, सुस्ती, गति में बदलाव, शारीरिक संतुलन (बैलेंस) में दिक्कत. इस बीमारी का दूसरा नाम मोटर डिसऑर्डर या मूवमेंट डिसऑर्डर भी है. पार्किंसन के साथ डिमेंशिया का कनेक्शन चिंता का विषय है. करीब एक-तिहाई पार्किंसन रोगियों को डिमेंशिया होता है, इसे पार्किन्संस रोग डिमेंशिया (Parkinson's Disease Dementia) कहा जाता है. मस्तिष्क की कोशिकाओं में हुए डैमेज के कारण इसका याददाश्त पर भी असर पड़ता है. यही कारण है कि पार्किंसंस के मरीजों की डिमेंशिया भी हो जाता है.

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 सीधे दिमाग पर करता है असर

डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है जिसका सीधा-सीधा असर मरीज के दिमाग पर पड़ता है. डिमेंशिया की वजह से मरीज अपनी डेली रूटीन भी ठीक से फॉलो नहीं कर पाता. डिमेंशिया के कारण होने वाली बाकी बीमारियां भी सीधे दिमाग को नुकसान पहुंचाती हैं. डिमेंशिया की बात की जाए तो, इस बीमारी में सबसे पहले मरीज की याद्दाश्त पर ही असर दिखना शुरू होने लगता है यानी वह हर दिन के आसान काम भी भूलने लग जाता है. मिड एज वालों में बीपी में आई अचानक से गिरावट डिमेंशिया या स्ट्रोक के बढ़ते खतरे का इशारा हो सकती है. बीपी लो हो जाने पर मरीज को खड़े होने के दौरान बेहोशी या चक्कर आना जैसा महसूस होता है. इस रोग में मस्तिष्क तक खून ले जाने वाली धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं, जिससे मस्तिष्क का कुछ भाग ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत हो जाता है.

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डिमेंशिया के लक्षण

  • रोजमर्रा की आम बातें भूल जाना.
  • उल्टे कपड़े पहनना या गंदे कपड़े पहन लेना.
  •  तारीख, महीना, साल, शहर और अपना घर भी भूल जाना.
  • किसी चीज की फोटो को देखकर समझने में मुश्किल होना.गिनती करने में परेशानी.
  • बोलते या लिखते हुए गलत शब्द का इस्तेमाल करना या शब्दों का मतलब ठीक से न समझ पाना.
  • अपने आप में चुपचाप या गुमसुम सा रहना, मेल-जोल बंद कर देना. चुप्पी साधना और मामूली सी बातों पर ही गुस्सा करना और चिल्लाना.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.


 

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