Foot swelling cause : आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में पैरों की सूजन एक आम समस्या बन गई है. चाहे लंबे समय तक खड़े रहना हो, ऑफिस में लगातार बैठे रहना या घंटों की यात्रा करनी हो, इन सबका असर सीधे पैरों पर पड़ता है. सूजन तब होती है, जब शरीर के किसी हिस्से में तरल पदार्थ इकट्ठा हो जाता है. आमतौर पर यह हानिकारक नहीं होते, लेकिन अगर बार-बार या ज्यादा सूजन रहने लगे तो यह शरीर में किसी छिपी हुई समस्या का संकेत भी हो सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं पैर की सूजन के कारण और घरेलू उपचार.
आयुर्वेद के अनुसार पैर की सूजन का कारण
आयुर्वेद में इसे 'शोथ' कहा गया है, जो वात, पित्त और कफ के असंतुलन से उत्पन्न होता है. वहीं, विज्ञान के अनुसार, रक्त संचार में रुकावट, नमक की अधिकता या शरीर में पानी का रुक जाना इसकी प्रमुख वजहें मानी जाती हैं.
साइंस के अनुसार पैर की सूजन का कारण
आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर में विषैले तत्व बढ़ जाते हैं या रक्त प्रवाह कमजोर हो जाता है, तो सूजन की स्थिति बनती है. वहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो हमारे पैरों में सूजन तब आती है जब रक्त धमनियों में दबाव बढ़ जाता है और तरल पदार्थ ऊतकों में जमा हो जाते हैं. लेकिन जीवनशैली में सुधार और कुछ सरल घरेलू उपाय अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है.
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गुनगुने पानी में नमकनमक यानी सोडियम शरीर के तरल पदार्थों को संतुलित रखने में मदद करता है. जब पैरों को गुनगुने नमक वाले पानी में डुबोया जाता है, तो यह त्वचा के रोमछिद्रों से अतिरिक्त पानी बाहर निकालने में मदद करता है. आयुर्वेद में इसे 'स्वेदन क्रिया' कहा गया है, जो शरीर की सूजन और जकड़न को दूर करती है. इस प्रक्रिया से न केवल सूजन घटती है बल्कि मांसपेशियों को भी आराम मिलता है.
बर्फ की सिकाईआधुनिक विज्ञान के अनुसार, बर्फ की सिकाई करने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं और तरल पदार्थ का रिसाव कम हो जाता है, जिससे सूजन घटती है. आयुर्वेद में इसे 'शीतल उपचार' कहा गया है, जो जलन, सूजन और दर्द तीनों में राहत देता है. ध्यान रहे कि यह उपाय ज्यादा लंबे समय तक न करें, सिर्फ 10 से 15 मिनट पर्याप्त हैं.
सेब के सिरके में पोटेशियम और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो शरीर से अतिरिक्त पानी निकालने में मदद करते हैं. आयुर्वेद के अनुसार, यह शरीर के दोषों को संतुलित करता है और सूजन को जड़ से खत्म करने में सहायता करता है. इसे गुनगुने पानी में मिलाकर पैरों को भिगोना या हल्का मसाज करना बेहद फायदेमंद रहता है.
अदरकआयुर्वेद में अदरक को प्राकृतिक औषधि माना गया है. इसमें मौजूद जिंजरॉल सूजन और दर्द को कम करने का काम करता है. जब अदरक का रस प्रभावित हिस्से पर लगाया जाता है, तो यह त्वचा के अंदर जाकर रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है. विज्ञान भी इस बात को मानता है कि अदरक एक नैचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट है.
हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट है जो शरीर की सूजन कम करता है और रक्त प्रवाह को संतुलित रखता है. आयुर्वेद में हल्दी को हरिद्रा कहा गया है, जो रक्त शुद्ध करने और शोथ घटाने की क्षमता रखती है. रात में सोने से पहले गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से शरीर को आराम मिलता है और अगले दिन सूजन में फर्क महसूस होता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














