एक शोध से यह बात सामने आई है कि हार्ट डिजीज, टाइप 2 डायबिटीज और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाने वाला मेटाबोलिक सिंड्रोम ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं में मृत्यु दर के जोखिम को बढ़ा सकता है. मेटाबॉलिक सिंड्रोम को हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर असामान्य कोलेस्ट्रॉल के साथ मोटापे के रूप में परिभाषित किया गया है. विली द्वारा अमेरिकन कैंसर सोसायटी की समीक्षा पत्रिका 'कैंसर' में ऑनलाइन प्रकाशित निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम और मोटापे का ब्रेस्ट कैंसर सबटाइप और मृत्यु जोखिम के साथ अलग-अलग संबंध हैं.
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4,562 स्तन कैंसर की घटनाओं में 659 मौतें हुई:
यह विश्लेषण प्री ब्रेस्ट कैंसर के बिना 63,330 पोस्टमेनोपॉजल के साथ-साथ सामान्य प्रवेश मैमोग्राम और मेटाबॉलिक स्कोर (0-4) पर बेस्ड था. 23.2 सालों के औसत फॉलोअप के बाद 4,562 स्तन कैंसर की घटनाएं हुईं और स्तन कैंसर से 659 मौतें हुईं.
इस वजह से बढ़ जाता है खतरा:
शोधकर्ताओं ने पाया कि मोटापे की परवाह किए बिना हाई मेटाबॉलिक स्कोर (3-4) से खराब फॉरकास्ट वाले एस्ट्रोजन रिसेप्टर (ईआर) पॉजिटिव, प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर (पीआर) नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और ब्रेस्ट कैंसर से मृत्यु दर का 44 प्रतिशत ज्यादा जोखिम होता है.
दूसरी ओर मेटाबॉलिक स्कोर की परवाह किए बिना मोटापे के कारण ईआर पॉजिटिव और पीआर पॉजिटिव कैंसर का अच्छे तरीके से पूर्वानुमान लगाया गया.
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इन महिलाओं में था मृत्यु का ज्यादा खतरा:
केवल गंभीर मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर से मृत्यु का खतरा ज्यादा था. कैलिफोर्निया में द लुंडक्विस्ट इंस्टीट्यूट के प्रमुख लेखक रोवन टी. क्लेबोव्स्की ने कहा, "हाई मेटाबोलिक स्कोर वाली पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं को हाई ब्रेस्ट कैंसर से मृत्यु का जोखिम होता है."
रोवन ने कहा कि किसी भी स्वास्थ्य सुविधा में नियमित दौरे के दौरान "कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर हिस्ट्री के साथ-साथ कमर की माप और ब्लड प्रेशर माप" की जांच कर मेटाबोलिक स्कोर आसानी से निर्धारित किया जा सकता है और इसका इलाज किया जा सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)