Mumps Disease: भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं कण्ठमाला के मामले, जानें क्या है मम्प्स, लक्षण, कारण, बचाव के तरीके और सावधानियां

Mumps Outbreak: रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का कहना है कि वायरल संक्रमण आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और भूख न लगने के साथ शुरू होता है. संक्रमण के कारण गाल फूल जाते हैं और जबड़ा कोमल, सूजा हुआ हो जाता है.

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Mumps: यह एक बहुत ज्यादा संक्रामक वायरल संक्रमण है.

Mumps Infection: राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों में कण्ठमाला बीमारी के मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है. यह एक बहुत ज्यादा संक्रामक वायरल संक्रमण है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो महीनों में शहर के अस्पतालों में कण्ठमाला कॉम्प्लीकेशन के 5 से 6 मामले सामने आए. माना जा रहा है कि कोविड महामारी के कारण टीकाकरण दर में गिरावट इस स्पाइक का एक प्रमुख कारण हो सकता है. बता या जा रहा है ज्यादातर मरीज 6-7 साल की उम्र के बच्चे हैं. साथ ही 18 से 25 साल के बीच के युवा भी कण्ठमाला के लक्षणों के साथ अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. हालांकि वायरल संक्रमण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में फैल रहा है, लेकिन आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में पिछले कुछ महीनों में बच्चों में कण्ठमाला के मामले बढ़ रहे हैं.

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क्या है कण्ठमाला की बीमारी? (What is mumps)

कण्ठमाला एक संक्रामक वायरल संक्रमण है, जिसके कारण लार ग्रंथियों में  दर्दनाक सूजन आ सकती है. लार ग्रंथियां लार का उत्पादन करती हैं, ये एक तरल है जो भोजन को नम करता है और आपको चबाने और निगलने में मदद करता है.

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कण्ठमाला के लक्षण (symptoms of mumps)

  • बुखार
  • सिरदर्द 
  • थकान
  • भूख न लगना
  • मांसपेशियों में दर्द

किस वजह से होता है कण्ठमाला संक्रमण? (Causes of Mumps Infection)

ये संक्रामक रोग मम्प्स वायरस के कारण होता है, जो पैरामाइक्सोवायरस नामक वायरस के समूह से संबंधित है. कण्ठमाला आमतौर पर चेहरे के प्रत्येक तरफ की ग्रंथियों को प्रभावित करती है. ये ग्रंथियां, जिन्हें पैरोटिड ग्रंथियां कहा जाता है, जो लार बनाती हैं. जब ग्रंथियां सूज जाती हैं तो यह कोमल या दर्दनाक हो सकती हैं.

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रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का कहना है कि वायरल संक्रमण आमतौर पर कुछ दिनों के बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और भूख न लगने के साथ शुरू होता है. संक्रमण के कारण गाल फूल जाते हैं और जबड़ा कोमल, सूजा हुआ हो जाता है.

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सीडीसी का यह भी कहना है कि दुर्लभ मामलों में, कण्ठमाला ज्यादा गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है. कण्ठमाला से पीड़ित ज्यादातर लोग दो हफ्ते के भीतर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं.

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किन सावधानियों को बरतें?

बार-बार हाथ धोना और संक्रमित व्यक्तियों के निकट संपर्क से बचना जैसी सावधानियां जरूरी हैं. इसका मुख्य कारण श्वसन बूंदों के जरिए वायरल संचरण है. टीकाकरण सबसे अच्छा निवारक उपाय माना जा रहा है.

अब तक मम्स कितने मामले आ चुके हैं?

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जनवरी से मार्च की अवधि के बीच कण्ठमाला के 15,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं.

कण्ठमाला का इलाज कैसे किया जाता है? (Mumps Treatment)

कण्ठमाला के लिए अलग से कोई उपचार नहीं है. सीडीसी के अनुसार, यह बीमारी कुछ ही हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाती है. आमतौर पर ध्यान बच्चे के लक्षणों को कम करने और उन्हें यथासंभव आरामदायक बनाने पर होना चाहिए.

मम्प्स से बचाव के तरीके (Ways to prevent mumps)

ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ पीएं.
गुनगुने नमक वाले पानी से गरारे करें.
आसानी से चबाने योग्य भोजन खाएं.
एसिडिक चीजों के सेवन से बचें जो आपके मुंह में पानी लाते हैं.
सूजी हुई ग्रंथियों पर बर्फ या हीट पैक रखें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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