Mpox Outbreak 2024: अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स वायरस तेजी से फैल रहा है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता बढ़ गई है. शुरुआत में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में रिपोर्ट किया गया, अब यह युगांडा और केन्या तक पहुंच गया है. जिसके बाद से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चिंता जाहिर की. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मामलों में तेजी को देखते हुए वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित (global health emergency) करने का विचार कर रहा है.
मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) अफ्रीका में तेजी से फैल रहा है. इसे एमपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है. WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने इस पर गंभीर चिंता जाहिर की है. उन्होने अपने X हेंडल पर एक पोस्ट कर बताया कि इस पर वे एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमन आपातकालीन समिति (international health regulations emergency committee) बनाने पर विचार कर रहे हैं.
तेजी से फैल रहा है मंकीपॉक्स | Mpox Outbreak 2024: Understanding Monkeypox
इस मींटिंग में WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा कि इस वायरस के मामले इन छह महिनों में बीते साल सामने आए मामलों के बराबर हैं. टेड्रोस एडनॉम ने बताया कि वे इसे लेकर अलर्ट हैं अभी प्रभावित देशों पर किसी प्रकार से यात्रा पर रोक नहीं लगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस वायरस के खिलाफ इम्यूनाइजेशन के लिए दो टीके मौजूद हैं. जिनके लिए डब्लयू एचओ सिफारिश करता है.
कितना फैला एमपोक्स वायरस?
एमपॉक्स वायरस के फैलने पर WHO ने रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल डीआरसी में 27 हजार से ज्यादा केस मिल चुके हैं. जिसमें से 1100 से ज्यादा की मौत हो चुकी है. मरने वालों में बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा थी. अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक ये वायरस यंग लोगों को अपनी चपेट में ज्यादा आसानी से ले रहा है. बीमारी की चपेट में आने वाले 70 फीसदी लोग यंग हैं. जबकि मरने वालों में 85 प्रतिशत लोगों की उम्र 15 साल से कम है. द अफ्रीका सेंटर्स फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक 96 परसेंट केसेज डीआरसी में ही रजिस्टर हुए हैं. इस साल केसेस की संख्या में 160 फीसदी का इजाफा हुआ है और मौत की संख्या 19 फीसदी तक बढ़ी है.
ग्लोबल इमरजेंसी
साल 2022 में WHO इस बीमारी को ग्लोबल इमरजेंसी डिक्लेयर कर चुका था. उस समय बीमारी दुनियाभर के 70 देशों में फैल गई थी. इस बार वायरस के मामले ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं और मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. जिसे देखते हुए इस वायरस पर ग्लोबल अटेंशन और वायरस से लड़ने के लिए ज्यादा प्रभावी तरीके तलाशने की जरूरत है.
क्या है मंकी पॉक्स या एमपॉक्स वायरस?
यह वायरस आम तौर पर वयस्क मैकाक बंदरों से फैलता है. कुछ दूसरी प्रजाति के मंदर और सूअर भी इसके वाहक हो सकते हैं. यह इंसानों में नहीं पाया जाता, लेकिन एक बार अगर कोई इंसान संक्रमित हो जाता है, तो वह दूसरे इंसानों में इस वायरस को पहुंचा सकता है. यह तंत्रिका संबंधी रोग या मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन की शिकायतें कर सकता है.
क्या हैं एमपॉक्स के लक्षण?
इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर सात से चौदह दिनों के बीच दिखाई देने शुरू होते हैं. इसके आम लक्षणों में बुखार, रैश, लिंफ नोड्स में सूजन, सिर में दर्द, मसल्स में दर्द, फटीग और बैक पेन होना शामिल है. रेश्ज आमतौर पर चेहरे पर दिखाई देना शुरू होते हैं. उसके बाद धीरे धीरे शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलते हैं.
WHO के मुताबिक मंकी पॉक्स वायरस की वजह से गंभीर हेल्थ कॉम्प्लीकेशन्स भी हो सकते हैं. जिसमें निमोनिया, उल्टी आना, खाना निगलने में परेशानी, आंख के कॉर्निया में इंफेक्शन जैसी तकलीफें शामिल हैं.
इन कॉम्प्लिकेशन के घातक परिणाम भी हो सकते हैं. पीड़ित को दिखाई देना बंद हो सकता है. ब्रेन, हार्ट या रेक्टम में सूजन आ सकती हैं. एचआईवीसी पीड़ित लोग इस बीमारी के हाई रिस्क पर हैं.
क्या हैं एमपॉक्स के कारण?
एमपॉक्स वायरस भी उसी तरह तेजी से फैलता है जिस तरह एक आम वायरस स्प्रेड होता है. इस वायरस के फैलने का सबसे बड़ा कारण है इंफेक्टेड एनिमल. जिसके संपर्क में आने से ये वायरस इंसानों को भी अपनी चपेट में ले सकता है. किसी इन्फेक्टेड इंसान के संपर्क में आने से ये वायरस तेजी से मल्टीप्लाई होता जाता है.
एमपॉक्स से बचाव और इलाज?
एमपॉक्स या मंकी पॉक्स वायरस से बचने का सब से कारगर तरीका है कि सबसे पहले खुद को इस वायरस से इन्फेक्टेड एनिमल से दूर रखा जाए. अपने आसपास साफ सफाई रखी जाए. हाई रिस्क एरिया में रहते हैं तो प्रोटेक्टिव किस्म के कपड़े ही पहनें. एम पॉक्स के इलाज के लिए कोई स्पेसिफिक एंटीवायरस ट्रीटमेंट मौजूद नहीं है. हालांकि कुछ बातों का ध्यान रख कर इससे बचा जा सकता है. जैसे खूब पानी पीना और बुखार और इंफेक्शन को दवाओं के जरिए कम रखना. जिसे ये वायरस अपनी चपेट में ले ले, उस मरीज को आइसोलेट करना भी एक जरूरी बचाव है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)