अपने शिशु के प्रति मां का उदासीन या अजीब व्यवहार बच्चे के एपिजेनेटिक बदलाव को प्रभावित करता है, जो कुछ समय बाद बच्चों में तनाव से निपटने की क्षमता के रूप में झलकता है. बच्चों के बढ़ने के शुरुआती दिनों पर आधारित एक नए अध्ययन में यह जानकारी सामने आयी है. एपिजेनेटिक मॉलिक्यूलर प्रोसेसेस हैं जो डीएनए से अलग हैं और यह जीन बिहेवियर को प्रभावित करती हैं.
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इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि 12 महीने की उम्र में माताओं के अपने बच्चों के साथ उदासीन या अजीब व्यवहार का संबंध एनआर3सी1 जीन पर मिथाइलेशन नामक एपिजेनेटिक बदलाव से है, जो बच्चे के सात साल की उम्र में सामने आता है. अध्ययन में पाया गया कि यह जीन स्ट्रेस के प्रति बॉडी रिएक्शन को रेगुलेट करने से संबंधित है.
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अध्ययन की प्रमुख लेखिका एलिजाबेथ होल्ड्सवर्थ ने कहा कि इस बात के साक्ष्य सामने आये हैं कि मां और शिशु के बीच का बिहेवियर एनआर3सी1 जीन में बदलाव को प्रभावित करता है. यह अध्ययन अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन के लिए होल्ड्सवर्थ और उनके सह-लेखकों ने माता-शिशु के 114 सब-सैम्पल पर कार्य किया. अध्ययन माताओं पर केंद्रित था क्योंकि वे अक्सर शिशुओं की प्राइमरी केयरगिवर होती हैं.