सी-सेक्शन से जन्म लेने वाले बच्चों में खसरे के टीके के अप्रभावी होने की संभावना 2.6 गुना ज्यादा : शोध

एक शोध में यह बात कही गई है कि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों की तुलना में सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों में खसरे के टीके की पहली खुराक पूरी तरह से अप्रभावी होने की संभावना 2.6 गुना ज्यादा होती है.

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खसरे को कंट्रोल में रखने के लिए कम से कम 95 प्रतिशत आबादी को पूर्ण टीकाकरण की जरूरत है.

एक शोध में यह बात कही गई है कि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों की तुलना में सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों में खसरे के टीके की पहली खुराक पूरी तरह से अप्रभावी होने की संभावना 2.6 गुना ज्यादा होती है. इसलिए इनमें दूसरी खुराक की जरूरत है. खसरा एक संक्रामक रोग है जिसे टीकों से रोका जा सकता है. हालांकि टीके की विफलता से यह खतरा काफी बढ़ सकता है.

दूसरा टीका लगाना बहुत जरूरी:

कैम्ब्रिज, यूके और चीन के फुडन विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं की एक टीम के नेतृत्व में किए गए शोध से पता चला है कि खसरे का दूसरा टीका लगाना जरूरी है. यह सी-सेक्शन के जरिए पैदा हुए बच्चों में खसरे के खिलाफ एक मजबूत इम्यूनिटी पैदा करता है.

नेचर माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध में पाया गया कि टीके का प्रभाव बच्चे के आंत माइक्रोबायोम के विकास से जुड़ा हुआ है, जो कि स्वाभाविक रूप से आंत के अंदर रहने वाले माइक्रोब का विशाल संग्रह है. यह माना जाता है कि नॉर्मल डिलीवरी में मां से बच्चे में बड़ी संख्या में माइक्रोब ट्रांसफर होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को बढ़ावा दे सकते हैं.

बच्चों के इम्यून सिस्टम पर पड़ता है असर:

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विभाग में प्रोफेसर हेनरिक सैल्जे ने कहा, हमने पाया है नॉर्मल डिलीवरी और सी-सेक्शन से पैदा होने वाले बच्चों में बड़े होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है."

उन्होंने आगे कहा, "सी-सेक्शन से जन्म लेने वाले शिशु ऐसे होते हैं जिनकी हम वास्तव में निगरानी करना चाहते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें खसरे का दूसरा टीका लग जाए क्योंकि उनका पहला टीका असफल होने की ज्यादा संभावना है."

इस तरह किया गया शोध:

खसरे को कंट्रोल में रखने के लिए कम से कम 95 प्रतिशत आबादी को पूर्ण टीकाकरण की जरूरत है. शोध के लिए टीम ने चीन के हुनान में 1,500 से अधिक बच्चों के पिछले अध्ययनों के डेटा का उपयोग किया, जिसमें जन्म से लेकर 12 वर्ष की आयु तक लिए गए रक्त के नमूने शामिल थे.

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उन्होंने पाया कि सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से पैदा हुए 12 प्रतिशत बच्चों में उनके पहले खसरे के टीकाकरण के बाद कोई इम्यून रिस्पॉन्स नहीं थी, जबकि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए 5 प्रतिशत बच्चों में भी कोई इम्यून रिस्पॉन्स नहीं थी.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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