छींक रोकने के चक्‍कर में फट गया गला, फट सकती हैं आंख, नाक और कान की नसें | छींक रोकने के नुकसान

छींक कोई आकस्मिक घटना नहीं है. यह आपके शरीर का प्राकृतिक रक्षा तंत्र है.

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छींक रोकने से होने वाले नुकसान.

कल्पना कीजिए आप किसी ज़रूरी ऑफिस प्रेजेंटेशन में बिजी हैं, किसी हाई-प्रोफाइल क्लाइंट को इम्प्रेस करने वाले हैं—और अचानक, बिना बुलाए छींक आ जाए.  हम सभी इस तरह की स्थिति का अनुभव कर चुके हैं—मीटिंग में, डेट पर, या भीड़-भाड़ वाली बस में—जब छींक सबसे अनफिट समय पर आती है. शर्मिंदगी के मारे हमारी तुरंत प्रतिक्रिया होती है: मुंह बंद करना, नाक दबाना, और छींक को रोक लेना. लेकिन सच यह है कि छींक को रोकना खतरनाक हो सकता है.

इससे सेहत को कई तरह के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है जैसे—कान के पर्दे फटना, रक्त वाहिकाएं फटना, और यहां तक कि गले को नुकसान पहुंचना. डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि छींक को रोकने के बजाय उसे बाहर निकालें.

छींक क्यों आती है? (Why do we sneeze?)

छींक कोई आकस्मिक घटना नहीं है. यह आपके शरीर का प्राकृतिक रक्षा तंत्र है. जब धूल, पराग, धुआं या परफ्यूम जैसी चीजें नाक में प्रवेश करती हैं, तो ब्रेन तुरंत प्रतिक्रिया करता है. हवा का यह शक्तिशाली झोंका 100 मील प्रति घंटे से भी तेज गति से बाहर निकल सकता है और हज़ारों छोटे-छोटे कणों को बाहर निकाल देता है. आसान शब्दों में, छींक आपके शरीर का सफाई तंत्र है—नाक और फेफड़ों को हानिकारक कणों से बचाने का तेज़ और प्रभावी तरीका.

छींक रोकने से क्या होता है? (What happens if you stop a sneeze?)

छींक को रोकना ऐसा है जैसे आप तेज रफ्तार वाली कार पर अचानक ब्रेक लगा दें. यह दबाव आपके साइनस, कान और रक्त वाहिकाओं तक पहुँच सकता है, जिससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

छींक रोकने से होने वाले नुकसान (Harmful effects of suppressing a sneeze)

कान के पर्दे फट सकते हैं :  कान, नाक और गला जुड़े होते हैं. छींक रोकने से हवा मध्य कान में जा सकती है और कान का पर्दा फट सकता है. यह दर्द, सुनने में अस्थायी कमी और इंफेक्शन का कारण बन सकता है.

सीने पर दबाव : रुकी हुई हवा का दबाव छाती की मांसपेशियों पर दबाव डालता है और दुर्लभ मामलों में हृदय पर असर डाल सकता है.

रक्त वाहिकाओं का फटना : छींक रोकने से आंखों, नाक या कानों की छोटी रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं. इससे आँखों के सफ़ेद हिस्से में लाल धब्बे दिखाई दे सकते हैं, जिन्हें सबकंजंक्टिवल हेमरेज कहा जाता है.

गले को नुकसान : कभी-कभी छींक रोकने से गले के ऊतक फट सकते हैं या साइनस को नुकसान पहुँच सकता है. छींक की ताकत सामान्य समझ से कहीं ज्यादा होती है.

साइनस इंफेक्शन :  छींक रोकने से कीटाणु और बलगम नाक में फंस जाते हैं, जिससे बंद नाक और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

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जब छींक रोकने से फट गया व्यक्ति का गला

साल 2018 में, BMJ की केस रिपोर्ट में एक 34 वर्षीय ब्रिटिश व्यक्ति का मामला सामने आया. उसने छींक रोकने के लिए नाक और मुंह बंद कर लिया, और तुरंत उसे अपनी गर्दन में चटकने जैसा एहसास हुआ. कुछ समय बाद उसे निगलने में दर्द, आवाज़ में बदलाव और गर्दन में सूजन महसूस हुई. डॉक्टरों ने पता लगाया कि गले के ऊतकों में हवा की थैली बन गई थी—छींक के ज़ोर से उसका गला फट गया था. इलाज के बाद वह ठीक हो गया, लेकिन यह घटना चेतावनी देती है कि छींक की ताकत को कभी ना आंकें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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