विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन्फर्टिलिटी या बांझपन को पुरुष या महिला प्रजनन प्रणाली का रोग माना है. डब्ल्यूएचओ की परिभाषा के अनुसार यह एक ऐसी बीमारी है जिसका पता नियमित रूप से असुरक्षित संभोग के 12 महीने या उससे अधिक समय के बाद गर्भावस्था पाने में विफलता से चलता है. यह पाया गया है कि बांझपन के 40 फीसदी मामले पुरुषों से संबंधित हैं, वहीं 40 फीसदी महिलाओं से और 20 फीसदी दोनों से हैं. महिलाओं को आमतौर पर जहां अपने शरीर में घटते जैविक परिवर्तनों का ज्ञान होता है, वहीं पुरुषों की एक महत्वपूर्ण आबादी अभी भी अपने स्वयं के प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूक नहीं है.
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पुरुष प्रजनन क्षमता और प्रजनन स्वास्थ्य (जर्नल ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्टिव साइंसेज-2015) पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार, बांझपन से जुड़े जोखिम के कारणों को लेकर केवल 51 फीसदी पुरुष ही जागरुक थे, वहीं बांझपन से जुड़े स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान करने में सिर्फ 45 फीसदी पुरुष सक्षम थे. पुरुषों में बांझपन के लिए परिवर्तनीय जोखिम कारकों के बारे में सबसे अधिक जागरूकता थी (जैसे यौन संचारित संक्रमण, सिगरेट पीना). इसी तरह निश्चित जोखिम कारकों (जैसे विलंबित यौवन, अंडकोष का आकार) और डायरेक्ट हेल्थ इश्यू (जैसे हृदय रोग, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर) तक उनकी जानकारी सीमित थी. सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक पुरुषों ने पुरुष प्रजनन क्षमता और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने में रुचि व्यक्त की.
आज भी पुरुषों में बांझपन के बारे में चर्चा असामान्य है. इस स्थिति को गर्भधारण के लिए चुनौतियों का सामना करने वाले कपल्स की मूल समस्या नहीं माना जाता है. यह समस्या आश्चर्यजनक रूप से आम है लेकिन महिला बांझपन की तुलना में कम आम है. इससे पुरुषों के अहम पर आघात होता है और बच्चे पैदा करने को अत्यधिक महत्व देने वाले समाज में पुरुषों को तनाव होता है, इसलिए इस पर चर्चा कम होती है. पुरुषों को आमतौर पर सही शिक्षा की कमी के कारण उनके प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में सही ज्ञान और धारणा नहीं होती है. ज्यादातर पुरुष जरूरत होने तक मूत्र रोग विशेषज्ञ या इन्फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट के पास नहीं जाते. यह जरूरी है कि शीघ्र निदान और उपचार प्राप्त करने के लिए पुरुष जागरूक हों और पुरुष बांझपन को समझें. यह प्रयास पीढ़ियों से बांझपन के संबंध में महिलाओं द्वारा झेले जाने वाले कलंक की सीमा को भी सीमित कर देगा.
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जानें लाइफस्टाइल में कौन से बदलाव पुरुषों को एक अच्छा प्रजनन स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करते हैं:
1. नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलेंः अगर आप अपने संपूर्ण प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखना चाहते हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. आपका डॉक्टर आपके स्वास्थ्य पर नजर रखते हुए पहले से ही समस्याओं को रोकने के लिए काम कर सकता है.
2. धूम्रपान, तंबाकू छोड़ें और शराब को सीमित करेंः धूम्रपान विषैला होता है. धूम्रपान एक प्रमुख कारण है जो पुरुषों में स्तंभन दोष का कारण बनता है. छोड़ने से इस स्थिति पर काबू पाया जा सकता है. साथ ही, अत्यधिक मात्रा में शराब पीने से आपकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.
3. स्वच्छता का पालन करेंः यह पालन करने के लिए सबसे बुनियादी नियम है. अपने जननांगों में बैक्टीरिया के जमाव को रोकने के लिए नियमित रूप से जननांग स्वच्छता का अभ्यास करें जो संभावित रूप से संक्रमण का कारण बन सकते हैं.
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4. हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखेंः मोटापा कई तरह से प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है. न्यूट्रिशनल डाइट और सही फिजिकल एक्टिविटी से प्रजनन प्रणाली का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. रोजाना कम से कम 15-20 मिनट व्यायाम करें और जितना हो सके तनाव को कम करें.
5. संक्रमण को रोकेंः एसटीआई (यौन संचारित संक्रमण) जैसे क्लैमाइडिया और गोनोरिया पुरुषों में बांझपन का कारण बन सकते हैं. इसे अपने यौन साझेदारों की संख्या को सीमित करके, संभोग के दौरान सुरक्षा का उपयोग करके और एसटीआई की जांच के लिए नियमित परीक्षणों के लिए जाने से रोका जा सकता है.
प्रजनन चुनौतियां अक्सर पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए काफी तनावपूर्ण होती हैं. बांझपन से जुड़े जोखिमों और जीवनशैली कारकों के बारे में अधिक जागरूकता पुरुषों को अपने प्रजनन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकती है.
(डॉ क्षितिज मुर्डिया, सीईओ और को-फाउंडर, इंदिरा आईवीएफ)
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