स्कूली बच्चों में हो रही फेफड़ों की बीमारियां, डॉक्टर ने बताए अस्थमा अटैक आने के कारण

Lung Disease In Children: फेफड़ों में वायु मार्गों में सूजन और संकुचन के कारण ही अस्थमा के अटैक की स्थिति बन जाती है. वहीं डॉक्टर ने बताया कि स्कूल जाने वाले बच्चों में इसका खतरा ज्यादा देखा गया है, जिससे उनकी जान भी जा सकती है.

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डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, कि अस्थमा का अटैक माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर हो सकता है.

Lung Disease In Children: सभी जानते हैं कि शरीर के हर अंग को जीवित रखने के लिए पर्याप्त रूप से ऑक्सीजन का आदान-प्रदान होना जरूरी है. ऐसे में ऑक्सीजन को शरीर के सभी हिस्सों में पहुंचाने का कार्य फेफड़ों की नाजुक संरचनाओं द्वारा किया जाता है. आपको बता दें, फेफड़े हमारे शरीर का अहम हिस्सा हैं. वहीं अगर इसका ध्यान ठीक से न रखा जाए तो इंसान बहुत बड़ी बीमारी से पीड़ित हो सकता है. आज हम आपको अस्थमा अटैक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इन दिनों स्कूल जाने वाले बच्चों में काफी देखा जा रहा है. आइए जानते हैं डॉक्टर अरविंद कुमार का इस बारे में क्या कहना है.

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अस्थमा अटैक को लेकर डॉक्टर ने कही ये बात...

डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा, कि अस्थमा का अटैक माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर हो सकता है. इन सब के साथ फेटल यानी प्राणनाशक/घातक भी हो सकता है. डॉक्टर ने बताया कि वर्तमान में देखा जाए, तो बच्चों में अस्थमा अटैक का आना अलग-अलग कारणों से बढ़ रहा है. खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों में. उन्होंने बताया कि बच्चे एवरेज 6 से 7 घंटे स्कूल में होते हैं. ऐसे में स्कूल में बच्चे फिजिकल एक्टिविटी जैसे भागना- दौड़ना करते हैं, जिसके कारण उन्हें अस्थमा अटैक आ सकता है. डॉक्टर ने आगे बताया कि अगर बच्चों को इस दौरान अस्थमा अटैक आता है, तो वह माइल्ड या सीवियर कुछ भी हो सकता है.

अस्थमा अटैक से जा रही है बच्चों की जान!

डॉक्टर अरविंद कुमार ने बताया कि स्कूल के बच्चों को अस्थमा अटैक आना एक खतरनाक स्थिति है और ऐसे में मैंने कई केस देखे हैं, जब स्कूल के दौरान बच्चों को अस्थमा अटैक आया और उनकी जान चली गई. उन्होंने बच्चों में बढ़ते अस्थमा अटैक को देखते हुए स्कूल में अस्थमा मैनेजमेंट का डिपार्टमेंट जरूरी है, ताकि सही समय पर बच्चों को इलाज मिल सके.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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