गोद में लैपटॉप और जेब में फोन रखने से कमजोर होती है पुरुषों की प्रजनन क्षमता, अध्ययन का दावा

Laptop On Lap Fertility Risk: प्रतिभागियों के सीमन और ब्लड सैम्पल लिए गए. दोनों स्रोतों से डीएनए निकाला गया और म्यूटेशन की पहचान के लिए अगली पीढ़ी के अनुक्रमण (ए हाई-थ्रूपुट जेनेटिक एनलिसिस टेक्नीक) से किया गया.

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लंबे समय तक गैजेट्स के संपर्क में रहने से अंडकोषों के भीतर नाजुक टिश्यू को नुकसान पहुंचता है.

Male Fertility And Technology: कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) के प्राणि विज्ञान विभाग की जेनेटिक्स रिसर्च यूनिट और कोलकाता स्थित रिप्रोडक्टिव इंस्टिट्यूट मेडिसिन (आईआरएम) द्वारा किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि पैंट की जेब में लंबे समय तक मोबाइल फोन रखने और लैपटॉप को गोद में रखकर काम करने से पुरुष की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर होता है और यहां तक उनके नपुंसक होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इस अध्ययन की शुरुआत 2019 में प्रोफेसर सुजय घोष (कलकत्ता विश्वविद्यालय) के नेतृत्व में हुई थी और 5 साल तक हुए अध्ययन में डॉ रत्ना चट्टोपाध्याय (आईआरएम), डॉ समुद्र पाल (कलकत्ता विश्वविद्यालय), डॉ परनब पलाधी (आईआरएम) और डॉ सौरव दत्ता (कलकत्ता विश्वविद्यालय) ने सहयोग किया.

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रिसर्च नोट में क्या लिखा गया?

रिसर्च नोट के मुताबिक, "मेल इंफर्टिलिटी के इलाज के लिए आईआरएम आने वाले लोगों को अध्ययन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस दौरान महिला इंफर्टिलिटी की वजह से संतान पैदा होने में आने वाली समस्या वाले जोड़ों और पुरुष इंफर्टिलिटी (शारीरिक दोषों के कारण) के मामलों को इसमें शामिल नहीं किया. अध्ययन में विशेष रूप से अज्ञात कारणों से होने वाले पुरुष बांझपन के मामलों पर ध्यान केंद्रित किया गया, खासतौर से एजोस्पर्मिया (वीर्य में शुक्राणुओं की अनुपस्थिति) या ओलिगोजोस्पर्मिया (शुक्राणुओं की कम संख्या) वाले मामलों पर."

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले डॉ.घोष ने बताया कि अध्ययन में उन मरीजों को भी शामिल नहीं किया गया जिनमें आनुवंशिक डायग्नोस्टिक टेस्ट से पता चले इंफेक्शन डिजीज की जानकारी मिली. उन्होंने बताया कि उपरोक्त मरीजों से इतर कुल करीब 1,200 मरीजों को अध्ययन में शामिल किया गया.

कैसे की गई पूरी स्टडी?

प्रोफेसर घोष ने बताया कि अध्ययन में शामिल पुरुषों से एक व्यापक प्रश्नावली के माध्यम से साक्षात्कार किया गया, जिसमें लाइफस्टाइल, आदतों, व्यसनों, डाइट रिलेटेड प्रायोरिटीज, यौन गतिविधि, व्यवसाय और मनोवैज्ञानिक कारकों के कई पहलुओं को शामिल किया गया, जिन्हें सामूहिक रूप से महामारी विज्ञान डेटा कहा जाता है.

प्रतिभागियों के सीमन और ब्लड सैम्पल लिए गए. दोनों स्रोतों से डीएनए निकाला गया और म्यूटेशन की पहचान के लिए अगली पीढ़ी के अनुक्रमण (ए हाई-थ्रूपुट जेनेटिक एनलिसिस टेक्नीक) से किया गया.

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उन्होंने कहा कि कई जीन म्यूटेशन की पहचान की गई, जिनका विश्लेषण उपयुक्त सांख्यिकीय मॉडलों का उपयोग करके महामारी विज्ञान और लाइफस्टाइल संबंधी आंकड़ों के साथ किया गया.

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इंफर्टिलिटी का रिस्क क्यों बढ़ जाता है?

प्रो. घोष ने बताया कि निष्कर्षों से जानकारी मिली कि जिन पुरुषों में स्पेसिफिक जेनेटिक म्यूटेशन होते हैं, उनमें मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के संपर्क में आने से इंफर्टिलिटी का जोखिम काफी ज्यादा होता है.

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अध्ययन में बताया गया कि, "लैपटॉप को गोद में रखने या मोबाइल फोन को पैंट की जेब में रखने से हाई-इंटेसिटी वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बनता है. ऐसे क्षेत्रों में अंडकोषों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से और उससे जुड़ी गर्मी से अंडकोषों के भीतर नाजुक टिश्यू को काफी नुकसान पहुंचता है, जिससे शुक्राणु-प्रोडक्शन सेल्स डैमेज हो जाती हैं. यह डैमेज खास जीन बदलावों वाले व्यक्तियों में ज्यादा गंभीर प्रतीत होती है और खासतौर से युवा पुरुषों के लिए चिंताजनक है, जो ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं."

इसमें कहा गया है, "जो लोग इन उपकरणों के साथ लंबे समय तक सीधे शारीरिक संपर्क बनाए रखते हैं, वे सबसे ज्यादा असुरक्षित माने जाते हैं."

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प्रो. घोष के मुताबिक जिन पुरुषों के सैम्पल का विश्लेषण किया गया, वे 20-40 साल की आयु के थे. स्टडी करने वाली टीम ने उनकी लाइफस्टाइल, डाइट, वर्कप्लेस के रिस्क और किसी भी नशे की लत का अध्ययन किया.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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