जानलेवा है काली खांसी, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, ऐसे करें बचाव

शिकागो के एन एंड रॉबर्ट एच. लूरी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और प्रमुख लेखिका कैटलिन ली ने कहा, ''छोटे बच्चों में काली खांसी के लक्षण वयस्कों से अलग होते हैं.''

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गर्भवती महिलाओं को 27 से 36 हफ्ते के बीच टीका लगवाना चाहिए, जिससे बच्चे को जन्म से पहले ही खांसी जैसी बीमारी से बचाने में मदद मिल सके.

Kali khansi ke symptoms : एक नई रिसर्च के अनुसार, छोटे बच्चों के लिए काली खांसी जानलेवा साबित हो सकती है. नई रिसर्च में गर्भावस्था के दौरान माताओं के टीकाकरण पर जोर दिया गया है. इस बीमारी का सबसे बड़ा डर यह है कि यह बहुत जल्दी फैलती है और बच्चों में इसके लक्षण वयस्कों से अलग होते हैं, जिसकी वजह से समय पर पहचान और इलाज मुश्किल हो जाता है. 

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काली खांसी के लक्षण

काली खांसी एक सांस की बीमारी है, जो बैक्टीरिया की वजह से होती है. इसके कारण मरीज को तेज और लंबे समय तक खांसी होती रहती है. खांसी के बाद सांस लेते वक्त जो 'हूप' की आवाज आती है, यह इस बीमारी की पहचान मानी जाती है. यह खांसी कुछ मामलों में महीनों तक बनी रह सकती है, जिससे बच्चे और बड़े दोनों काफी परेशान रहते हैं. लेकिन बच्चों में यह बीमारी अलग तरह से सामने आती है, इसलिए इसे समझना और सही समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है.

शिकागो के एन एंड रॉबर्ट एच. लूरी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और प्रमुख लेखिका कैटलिन ली ने कहा, ''छोटे बच्चों में काली खांसी के लक्षण वयस्कों से अलग होते हैं.''

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल रोग की सहायक प्रोफेसर ली ने कहा, "बच्चों को 'हूप' वाली खांसी नहीं होती, बल्कि उनके सांस लेने में रुकावट (एपनिया) हो सकती है. इससे बच्चे की जान पर खतरा बढ़ जाता है क्योंकि वे ठीक से सांस नहीं ले पाते. साथ ही, खांसी के कारण उनके शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बहुत अधिक बढ़ सकती है, जिसे डॉक्टर कभी-कभी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी समझ बैठते हैं. ऐसे में सही निदान और जल्द से जल्द उपचार शुरू करना बचाव के लिए जरूरी होता है."

कैसे करें काली खांसी से बचाव

पीडियाट्रिक्स पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में शोधकर्ताओं ने इस बीमारी से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण पर विशेष जोर दिया है.

ली ने कहा, ''जब गर्भवती महिलाएं खांसी से बचाव का टीका लगवाती हैं, तो उनका शरीर उस बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है, जो बच्चे को जन्म से पहले ही सुरक्षा प्रदान करती हैं. इससे नवजात शिशु इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रहते हैं.''

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अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के नियमों के मुताबिक, बच्चों को यह टीका 2, 4, 6, 15-18 महीने और फिर 4-6 साल की उम्र में दिया जाता है. इसके अलावा, 11-12 साल की उम्र में बूस्टर डोज लेना जरूरी है और यदि किसी बच्चे ने यह टीका नहीं लिया हो, तो 18 साल की उम्र तक इसे लिया जा सकता है.

गर्भवती महिलाओं को 27 से 36 हफ्ते के बीच टीका लगवाना चाहिए, जिससे बच्चे को जन्म से पहले ही खांसी जैसी बीमारी से बचाने में मदद मिल सके.

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इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति में काली खांसी की पुष्टि हो जाती है या संदिग्ध मामला लगता है, तो उसे तुरंत एंटीबायोटिक लेना चाहिए. जल्दी इलाज शुरू करने से लक्षण कम हो सकते हैं और बीमारी फैलने से रोकी जा सकती है. हालांकि, देर से इलाज शुरू करने पर लक्षणों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता, लेकिन यह संक्रमण को दूसरों तक पहुंचने से जरूर रोकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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