International Yoga Day 2021: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है. असल में यह दिन साल का सबसे लम्बा दिन होता है और योग इंसान को दीर्घआयु देता है. 21 जून को पूरी दुनिया में योग दिवस (International Day of Yoga 2021) मनाया जाता है. तो अगर आप भी योग करना चाहते हैं तो यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे 10 योगासन (Easy Yoga) जो आपकों देंगे हेल्दी लाइफ और करने में भी आसान हैं. योग के कई फायदे हैं, खासतौर पर क्रोनिक बीमारियों के मरीज़ों में यह बहुत अधिक फायदेमंद होता है. इस मौके पर हमने बात की रूचि खोसला, योगा थेरेपिस्ट और ब्रेथवर्क कोच, बीटओ, से. और जाना कि योग किस तरह से आपको लाभ पहुंचा सकता है. उन्होंने बताया योग करने से हर उम्र के व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक क्षमता बढ़ती है और साथ ही शरीर सक्रिय भी होता है. भारत में 5000 साल पहले शुरू हुआ योग सबसे पुरानी प्रचलित स्वास्थ्य प्रणालियों में से एक है. योग में सामान्य सांस के नियन्त्रण, आसान मनन और शरीर की साधारण मुद्राएं शामिल हैं. शरीर को स्वस्थ बनाने और रिलेक्स करने के लिए योग का उपयोग किया जाता है.
International Yoga Day 2021: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जानें योग के फायदे और यह कैसे आपकी जीवनशैली को स्वस्थ बनाता हैः
योग के फायदे
- दर्द को कम करता है.
- चिंता को कम करता है.
- ब्लड प्रेशर कम करता है.
- फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है.
- श्वसन तंत्र और हार्ट रेट में सुधार लाता है.
- सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, मांसपेशियों में खिंचाव पैदा करता है.
- संतुलन में सुधार लाता हैं
- ब्लड शुगर को नियन्त्रित करता है.
- हड्डियों के घनत्व यानि बोन डेंसिटी में सुधार लाता है.
- शरीर की क्षमता बढ़ाकर समग्र स्वास्थ्य में सुधार लाता है.
बद्ध कोणासन (तितली मुद्रा)
इस मुद्रा को बद्ध कोणासन कहते हैं क्योंकि इस मुद्रा में दोनों पैर कमर के करीब लाए जाते हैं, इसके बाद हाथों को एक विशेष कोण पर लाकर इनसे पैरों को बांध लिया जाता है. इसे तितली मुद्रा भी कहते हैं क्योंकि मुद्रा के दौरान शरीर की गतियां और रूप, पंख फैलाए हुए तितली जैसा दिखाई देता है. इस मुद्रा को कभी-कभी मोची मुद्रा भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें व्यक्ति ऐसा दिखा देता है जैसे मोची की तरह बैठ कर काम कर रहा हो.
इसे कैसे करें
1. फर्श पर सीधे बैठ जाएं, कमर सीधी रखें.
2. अपने घुटनों को इस तरह से मोड़ें कि पैरों की तलुएं एक दूसरे को छुएं.
3. अब अपने दोनों पैरों को दोनों हाथों से इस तरह पकड़ें कि आपकी अंगुलियां सामने की ओर इंटरलॉक हो जाएं.
4. अब गहरी सांस लें. जब आप सांस बाहर छोड़ेंगे, अपने घुटनों को फर्श की ओर लेकर आएं, साथ ही अपनी कोहनियों से घुटनों पर दबाव बनाएं.
5. अपने आंखें बंद कर लें, सांस लेते समय अपने भौहों के बीच ध्यान केन्द्रित करें.
6. 5 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें.
7. अब अपनी आंखें खोलें और अपने हाथों एवं पैरों को ढीला छोड़ दें.
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बद्ध कोणासन के फायदे
- यह योग पेट के अंगों, अंडाश्य (ओवरीज़), प्रोस्टेट ग्लैण्ड, ब्लैडर और किडनी (गुर्दों) के लिए फायदेमंद है.
- दिल के लिए फायदेमंद हैं और सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है.
- जांघों के भीतरी हिस्से, कमर और घुटनों में खिंचाव पैदा करता है.
- हल्के अवसाद, तनाव और थकान में राहत देता है.
- माहवारी के दौरान होने वाली असहजता और साइटिका के दर्द में आराम देता है.
- मेनोपॉज़ के लक्षणों में आराम देता है.
इस योग को करते समय विशेष ध्यान दें:
अगर आप साइटिका के मरीज़ हैं या हाल ही में आपके घुटने में चोट लगी है तो आपको बद्ध कोणासन नहीं करना चाहिए.
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बालासन (चाइल्ड पोज़)
चाइल्ड पोज़ (बालासन) योग की सबसे महत्वपूर्ण आरामदायक मुद्रा है और यह धीरे-धीरे आपके शरीर के विभिन्न हिस्सों में खिंचाव लाने का अच्छा तरीका है. इससे आप अपनी पॉज़िशन बदल सकते हैं, अपनी सांस के साथ रीकनेक्ट कर सकते हैं या एक मुद्रा के बाद अगली मुद्रा के लिए तैयारी कर सकते हैं.
बालासन (चाइल्ड पोज़) कैसे करें
1. फर्श पर वज्रासन में बैठ जाएं.
2. आगे की ओर मुड़ें जब तक कि आपका माथा घुटनों के सामने फर्श पर न छुने लगे.
3. अब अपनी भुजाओं को सामने की ओर लेकर जाएं, हथेलियां नीचे की ओर हों.
4. धीरे धीरे छाती से जांघों पर दबाव डालें. अब सांस अंदर खींचें, नाभि को रीढ़ की हड्डी की ओर खीचें और इसके बाद सांस छोड़ दें, पेट को रिलेक्स करें.
5. इसी योग मुद्रा में 5 बार गहरी सांस लें.
6. धीरे-धीरे अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को उठाकर सामान्य मुद्रा में ले आएं और रिलेक्स हो जाएं.
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बालासन (चाइल्ड पोज़) के फायदे
- पीठ को बहुत अधिक आराम मिलता है.
- कब्ज़ में राहत मिलती है.
- यह योग आपके तंत्रिका तंत्र को आराम देता है.
इस योग को करते समय विशेष ध्यान दें: अगर आप डायरिया से पीड़ित हैं या गर्भवती महिला हैं तो बालासन न करें.
सेतुबंधासन (ब्रिज पोज़)
सेतु बंध, संस्कृत भाषा का शब्द है. ‘सेतु' का अर्थ है पुल और बंध का अर्थ है बांधना यानि लॉक करना और आसन का अर्थ है मुद्रा या पोज़, यानि बैठने का तरीका.
सेतुबंधासन (ब्रिज पोज़) कैसे करें
- ज़मीन पर सीधे लेट जाएं.
- अपने घुटनों को मोड़ें और पैरों एवं कूल्हों के बीच दूरी बनाएं. इस दौरान आपकी भुजाएं जमीन पर टिकी हों और हथेलियां ऊपर की ओर हों.
- अब सांस भीतर की ओर खीचें, धीरे-धीरे अपने पीठ को फ़र्श से ऊपर उठाएं जब तक आपकी छाती ठुड्डी को न छुने लगे. इस दौरान आपके नितंबों में खिंचाव बना रहे.
- अपने दोनों हाथों को आगे की ओर धकेल कर पैरों को पकड़ें. इस दौरान आपके कंधे, भुजाएं और पैर ज़मीन पर मजबूती से टिके रहें.
- इस योग मुद्रा में 5 बार गहरी सांस लें.
- अब सांस छोडें और धीरें-धीरे सामान्य मुद्रा में आ जाएं.
सेतुबंधासन (ब्रिज पोज़) के फायदे
- यह योग आपकी पीठ की मांसपेशियों को मजबूती देता हैं
- पीठ की थकान में तुरंत आराम देता है.
- छाती, गर्दन और रीढ़ में अच्छा खिंचाव पैदा करता है.
- दिमाग को शांत कर, चिंता, तनाव एवं अवसाद में राहत देता है.
- फेफड़ों को खोलता है और थॉयरोइड की समस्या में आराम देता है.
- पाचन तंत्र में सुधार लाता है.
- मेनोपॉज़ के लक्षणों और माहवारी के दर्द में आराम देता है.
- अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ऑस्टियोपोरोसिस और साइनुसाइटिस में फायदेमंद है.
इस योग को करते समय विशेष ध्यान दें: अगर आपकी पीठ या कंघे में चोट है तो सेतुबंधासन न करें.
वज्रासन (एडमेंटाईन मुद्रा)
‘वज्र' का अर्थ है हीरे जैसा आकार या बिजली गिरना; ‘आसन' का अर्थ है मुद्रा. वज्रासन का नाम इसके हीरे या बिजली जैसे आकार को ध्यान में रखते हुए दिया है.
वज्रासन (एडमेंटाईन मुद्रा) कैसे करें
- टांगों को सामने की ओर सीधा रखते हुए सीधे बैठ जाएं.
- अब दोनों टांगों को मोड़ें और घुटनो के बल बैठें, इस दौरान कूल्हें आपकी एड़ियां पर टिके हों; पैरों की अंगुलियां पीछे की ओर हों और आपके पैरों की दोनों बड़ी अंगुलियां एक दूसरे को छुएं. अगर आप शुरूआत कर रहे हैं तो आप अपने पैरों के नीचे कुशन रख सकते हैं, इससे टखनों में दर्द नहीं होगा. अगर आपको घुटनो में दर्द होता है तो घुटनां के नीचे भी कंबल या कुशन रख सकते हैं.
- एड़ियों के बीच बने गड्ढे में आराम से बैठ जाएं.
- आपका सिर, गर्दन और रीढ़ एक सीधी रेखा में हों. हथेलियों को जांघों पर रखें, चेहरा सामने की ओर हो.
- अगर आप लम्बे समय से योग कर रहे हैं तो आप इस मुद्रा में 15 मिनट बैठ सकते हैं, इस दौरान गहरी सांसें लें. अगर आपने योग करना अभी शुरू ही किया है तो अपने आराम को ध्यान में रखते हुए 30 सैकण्ड इस मुद्रा में बैठें.
- अब सांस छोड़ें और रिलेक्स करें.
- अपनी टांगों को सीधा कर लें.
वज्रासन (एडमेंटाईन मुद्रा) के फायदे
- इससे पीट के नीचले हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है, पाचन तंत्र में सुधार आता है.
- पेट में दर्द और गैस में राहत मिलती है.
- घुटने और टखने की जोड़ों में प्रत्यास्थता आती है, र्युमेटिक रोगां की संभावना कम हो जाती है.
- गर्दन और रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है, पीठ की नाड़ियों (एनर्जी चैनलों) में एनर्जी का प्रवाह आसानी से होता है.
- कमर और कूल्हों को आराम मिलता है, माहवारी के दर्द में आराम मिलता है.
- यह प्राणायाम के लिए मूल मुद्रा है, साथ ही मनन की तैयारी के लिए भी इसी मुद्रा को अपनाया जाता है.
इस योग को करते समय विशेष ध्यान दें:
- जिन लोगों को पैर, टखने और घुटने में अकड़न की परेशानी या एक्यूट बीमारियां हैं तो उन्हें यह योग नहीं करना चाहिए.
- स्लिप डिस्क के मरीज़ों को यह योग नहीं करना चाहिए.
- जिन्हें हाथ-पैर हिलाने में परेशानी होती है, वे इस योग को ध्यानपूर्वक करें.
- - यह एक मात्र योगासन है जिसे आप खाने के बाद कर सकते हैं. अगर आप खाने के बाद वज्रासन में बैठ जाएं जो खाना जल्दी पचता है.
- इस आसन से शरीर के नीचे हिस्सों में रक्त का प्रवाह कम होता है और ऊपरी हिस्से यानि पाचन तंत्र, फेफड़ों और दिमाग में सर्कुलेशन बढ़ता है.
अर्द्धमत्येन्द्रासन (मछली मुद्रा)
यह मुद्रा पेट के अंगों के लिए फायदेमंद है, जिससे ब्लड शुगर कम करने में मदद मिलती है. पाचन तंत्र में सुधार होता है और शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ता है.
अर्द्धमत्येन्द्रासन (मछली मुद्रा) कैसे करें:
- क्रॉस-लैग्ड स्थिति में बैठ जाएं. दाएं पैर बाएं कूल्हे के बाहर की ओर ले जाएं.
- बाईं टांग को दाई टांग के ऊपर क्रॉस करें, ताकि बायां पैर दाएं कूल्हे के बाहर की ओर टिक जाए.
- नितम्बों में खिंचाव लाएं और अपनी रीढ़ को सीधा करें.
- शरीर को बाईं ओर मोड़ें.
- बाएं हाथ को पीछे की ओर फर्श पर टिकाएं.
- दायीं ऊपरी भुजा को बाएं कूल्हे के बाहर की ओर लाएं. आप अपने हाथों को कूल्हे पर रख सकते हैं और बाजु को आगे की ओर हवा में सीधा भी कर सकते हैं.
- हर बार सांस भीतर की ओर लेते समय ऊपर की ओर खिंचाव बनाएं.
- हर बार सांस बाहर की ओर लेते हुए नीचे की ओर रिलेक्स करने की कोशिश करें.
- इस दौरान किसी एक कंधे की ओर देखें.
- 1 मिनट के लिए इसी मुद्रा में रहें.
- इसके बाद दूसरी तरफ़ दोहराएं.
अर्द्धमत्येन्द्रासन (मछली मुद्रा) के फायदे
- लिवर और किडनी के लिए फायदेमंद है.
- कंधा, कूल्हों और गर्दन में खिंचाव लाता है.
- रीढ़ को एनर्जी देता है.
- पेट में पाचन अग्नि को उत्तेजित करता है.
- माहवारी के दौरान होने वाले दर्द, थकान, साइटिका, पीठ दर्द में आराम देता हैं
- अस्थमा और बांझपन में फायदेमंद है.
- पारम्परिक ग्रंथों क अनुसार अर्द्धमत्सयासन से भूख बढ़ती है, डायबिटीज़ जैसी बीमारियां दूर होती हैं और कुंडलिनी जागती है.
इस योग को करते समय विशेष ध्यान देंः अगर आपकी पीठ में चोट है तो अनुभवी योग गुरू की निगरानी में ही यह व्यायाम करें.
धनुरासन (धनुष मुद्रा)
यह मुद्रा आपकी छाती में खिंचाव लाती है और पेट के अंगों को आराम देती है. इससे ब्लड शुगर कम होता है और कब्ज़ में राहत मिलती है. साथ ही श्वसन तंत्र को आराम मिलता है.
धनुरासन (धनुष मुद्रा) कैसे करें:
1. पेट के बल लेट जाएं.
2. बाजुओं को शरीर के साइड में आराम से रखेंं, हथेलियां ऊपर की ओर हों.
3. घुटनों को मोड़ें और हाथों को टखने के बाहर की ओर लेकर जाएं.
4. अपने सिर, छाती और घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं.
5. गहरी सांस लें और आगे की ओर देखें.
6. इस म्रदा में 30 सैकण्ड तक रूकें.
7. अब गहरी सांस लें और मुद्रा को छोड़ें.
8. एक हाथ को दूसरे हाथ पर रखकर अपने माथे के लिए तकिया बनाएं.
9. धीरे-धीरे अपने कूल्हों को साईड में लाकर पीठ के नीचले हिस्से को रिलेक्स करें.
10. आप एक या दो बार यह योग कर सकते हैं.
धनुरासन (धनुष मुद्रा) के फायदे
- पेट और गर्दन के अंगों को आराम देता हैं
- शरीर के सामने वाले हिस्से, टखने, जांघां और कमर में खिंचाव पैदा करता हैं
- पेट, छाती, गर्दन एवं कूल्हों के लिए फायदेमंद है.
- पीठ की मांसपेशियों को मजबूती देता है.
- शरीर के पोस्चर में सुधार लाता है.
इन मरीज़ों को यह योग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए
- हाई या लो ब्लड प्रेशर
- माइग्रेन
- इन्सोमनियां
- पीठ में गंभीर दर्द या गर्दन में चोट
पश्चिमोत्तसान (बैठ कर आगे की ओर झुकना)
इस योग में व्यक्ति बैठ कर आगे की ओर झुकता है. इससे ब्लड प्रेशर कम करने, वज़न कम करने में मदद मिलती है. साथ ही चिंता, सिरदर्द और थकान में आराम मिलता है.
पश्चिमोत्तसान कैसे करेंः
1. तह किए कंबल पर बैठें, टांगें की ओर फैलाएं.
2. आप चाहे तो घुटनों के नीचे सपोर्ट के लिए कुछ आरामदायक चीज़ रख सकते हैं.
3. कल्पना कीजिए कि आप पैरों के तलुओं से दीवार पर दबाव बना रहे हैं, ताकि आपके पैरों की अंगुलियां पीछे की ओर खिंचें.
4. नितम्बों पर नीचे की ओर दबाव बनाएं, रीढ़ की हड्डी में खिंचाव बनाएं और हार्ट सेंटर को खोलें.
5. आगे की ओर मुड़ कर अपने कूल्हों पर झुक जाएं.
6. आपके हाथों को पैरो के नीचे की ओर ले जाएं, आरामदायक स्थिति पर आने पर रूक जाएं. इस दौरान आपका धड़ पैरों के समानांतर मुड़ा हो.
7. अपनी ठुड्डी को छाती के साथ चिपकाएं.
8. इस मुद्रा में 3 मिनट के लिए रूकें.
पश्चिमोत्तसान के फायदे
दिमाग को शांत करता है, तनाव और हल्के अवसाद में आराम देता है.
रीढ़, कंधे और नाड़ी में खिंचाव पैदा करता है.
लिवर, किडनी, ओवरीज़ और यूट्रस के लिए फायदेमंद है.
पाचन तंत्र में सुधार लाता है.
मेनोपॉज़ के लक्षणों और माहवारी के दर्द में आराम देता है.
सिरदर्द, चिंता और थकान को कम करता हैं
हाई ब्लड प्रेशर, बांझपन, इनसोमनिया (नींद की समस्या) और साइनुसाइटिस में फायदेमंद हैं
पारम्परिक ग्रंथों के मुताबिक पश्चिमोत्तासन से भूख बढ़ती है, मोटापा कम होता है और कई बीमारियां ठीक होती हैं.
इन मरीज़ों को यह योग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए
- अस्थमा
- डायरिया
- पीठ की चोटः इन लोगों को अनुभवी योग गुरू के मार्गदर्शन में ही यह व्यायाम करना चाहिए.
विपरितकरणी (टांगे दीवार पर ऊपर की ओर)
यह योग शरीर को आराम देता है. इससे तनाव का स्तर कम हो जाता है. यह लो ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को नियन्त्रित करने में मददगार है. यह सिर दर्द में आराम देता है, शरीर में एनर्जी और सर्कुलेशन बढ़ाता है.
विपरितकरणी कैसे करें:
- एक कंबल या तौलिया बिछाएं, इस पर बैठ जाएं.
- आपका चेहरा दीवार के सामने की ओर हों.
- टांगों को ऊपर लेजाकर दीवार के समांतर टिकाएं, पीठ जमीन पर टिकी हो. आपका शरीर दीवार के साथ 90 डिग्री के कोण पर हो.
- नितंबों को जहां तक हो सके, दीवार के पास सटा कर रखें.
- गर्दन, ठुड्डी और गले को रिलेक्स करें.
- बाजुओं को फैलाएं, हथेलियां ऊपर की ओर हों.
- 5 से 15 मिनट तक इस मुद्रा में रहें.
- धीरे-धीरे खिसकाते हुए टांगों को नीचे की ओर ले आएं.
विपरितकरणी के फायदे
थकान, पैरों में ऐंठन (क्रैम्प्स) में आराम देता है.
पीठ, टांगों, धड़ के सामने वाले हिस्से और गर्दन के पिछले हिस्से में हल्का खिंचाव पैदा करता है.
पीठ के हल्के दर्द में आराम देता है.
दिमाग को शांत करता है और ब्लड प्रेशर कम करता है.
श्वासन (मृत शरीर जैसी मुद्रा)
यह योग ब्लड प्रेशर कम करने, शरीर को रिलेक्स करने और मंन को शांति देने में बेहद फायदेमंद है. इससे सिरदर्द, थकान और नींद की समस्याओं में आराम मिलता है. आमतौर पर इसे योग के बाद किया जाता है.
श्वासन कैसे करें:
- पीठ के बल लेट जाएं, अपने टांगों को थोड़ा खोल कर फैला लें.
- बाजुओं को धड़ के पास फैलाएं, हथेलियां ऊपर की ओर हों.
- धड़ सीधी रेखा में रहे. इस दौरान आपका शरीर का अंग्रेज़ी के अक्षर ‘वाय' का आकार बनाए.
- शरीर से फर्श पर दबाव बनाएं. अपने शरीर को रिलेक्स करें, इस समय अपने मन में किसी तरह का तनाव न रखें.
- इसी मुद्रा में 10-20 मिनट तक रहें.
श्वासन के फायदे
दिमाग को शांत करता है तथा तनाव एवं अवसाद में आराम देता हैं
शरीर को रिलेक्स करता है.
सिरदर्द, थकान और नींद की समस्याओं में आराम देता है.
ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है.
प्राणायाम और मनन
योग आसन के अलावा, प्राणायाम यानी सांस के व्यायाम भी क्रोनिक बीमारियों में बेहद फायदेमंद होते हैं.
1. भस्त्रिका प्राणायाम (अग्नि की सांस)
2. कपालभाति प्राणायाम (खोपड़ी में चमक लाने वाली सांस की तकनीक)
3. भ्रामरी प्राणायाम (मक्खी जैसी सांस)
4. नाड़ीशोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम)
5. पूर्ण योगिक श्वासन
हम रोज़ाना मनन की सलाह देते हैं. आपको आसन के बाद या किसी अन्य समय में प्राणायाम करना चाहिए. आप अपनी सुविधानुसार दिन का कोई भी समय चुन सकते हैं. शुरूआत में ही बहुत ज़्यादा व्यायाम न करें, इससे आपको थकान होगी और आपका उत्साह कम होगा. आप व्यायाम बीच में ही बंद कर देंगे.
ध्यान रहे : नियमित रूप से योग करने से आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है और डायबिटीज़ यानि मधुमेह के प्रबन्धन में मदद मिलती है.
(यह लेख रूचि खोसला, योगा थेरेपिस्ट और ब्रेथवर्क कोच, बीटओ, से बातचीत पर आधारित है.)
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.