44 वर्षीय महिला प्रजनन स्वास्थ्य संबंधित किसी समस्या के कारण स्त्रीरोग विशेषज्ञ से जांच कराने के लिए गई. डॉक्टर ने उसका फिजिकल टेस्ट करने के बाद उसे पेट का अल्ट्रा साउंड कराने के लिए कहा. अल्ट्रा साउंड से पता चला कि उसके पेट के बायीं ओर एक बहुत बड़ा पिंड/मास है. यह पिंड इतना बड़ा था कि उसने पेट के दो तिहाई भाग को घेर लिया था, जिससे बायीं किडनी, आंतें और प्रमुख रक्त नलिकाएं इससे ढंक गई थीं.
महिला को नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट और रोबोटिक सर्जन डॉ. विपिन त्यागी के पास रेफर किया गया. डॉ. त्यागी ने मरीज से कुछ और जांचे कराने के लिए कहा जिसमें पेट का सीटी स्कैन और बायोप्सी भी शामिल थी, ताकि पिंड के विशिष्ट लक्षणों के बारे में पता लगाया जा सके. डॉ. त्यगी ने बताया, “जांच में पता चला कि यह ट्यूमर है, जिसका हमें पहले से ही संदेह था, लेकिन, यह बहुत चुनौतीपूर्ण और अपने आपमें अनूठा मामला था, क्योंकि एक तो मरीज में कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे थे, दूसरा ट्यूमर के विकसित होने का कारण पता नहीं था.”
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जानलेवा भी हो सकती थी सर्जरी...
डॉ. त्यागी आगे बताते हुए कहते हैं, “हालांकि, मरीज की स्थिति बहुत जटिल थी, लेकिन हमारे पास तुरंत सर्जरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. इस मामले में हमें भी पता नहीं था कि सर्जरी का परिणाम क्या होगा, शायद यह उसके लिए जानलेवा भी हो सकती थी. इसलिए हमें मरीज को पहले मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करना पड़ा, उसे आशवस्त करने और हम पर भरोसा जताने के बाद ही हमने सर्जरी की तैयारियां शुरू की.”
3 किलो का था ट्यूमर...
चूंकि ट्यूमर काफी बड़ा था, इसलिए डॉक्टरों की एक टीम तैयार की गई, जिसमें अलग-अलग विभागों से डक्टरों को शामिल किया गया जैसे गैस्ट्रो-इंटेस्टिनल सर्जन और यूरोलॉजिस्ट आदि. मिनिमली इनवेसिव लैप्रोस्कोपिक तकनीक की बजाय पारंपरिक तकनीक से सर्जरी करने का निर्णय लिया गया. हालांकि, किडनी ट्यूमर के उपचार और मैनेजमेंट में लैप्रोस्कोपिक तकनीक से बहुत अच्छे परिणाम सामने आते हैं, लेकिन ट्यूमर के आकार को देखते हुए पारंपरिक तकनीक को चुना गया. सर्जरी के द्वारा हमने पेट से सफलतापूर्वक ट्यूमर निकाल लिया, जिसका वज़न लगभग 3 किलो 35 ग्राम था.
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उन्होंने आगे बताया, “मामला जटिल होने के बावजूद, हम ट्यूमर के आसपास के सभी प्रमुख अंगों जैसे आंतों, प्लीहा, अग्नाश्य और रक्त वाहिकाओं को बचाने में सफल रहे. आंतों को ट्यूमर से दूर ले जाने में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन डॉ. तरूण मित्तल ने मदद की. आंतों को ट्यूमर से दूर ले जाने से ट्युमर का एक्सपोजर बेहतर हो गया, जिससे ट्यूमर के आसपास के सभी प्रमुख अंगों को सुरक्षित रख पाना संभव हो पाया.
केवल बायीं किडनी को निकालना पड़ा, क्योंकि ट्यूमर वहीं से विकसित होना शुरू हुआ था. ट्यूमर काफी बड़ा (35 से.मी. लंबा और 17 से.मी. चौड़ा) था. हमने सर्जरी के द्वारा पूरा ट्यूमर निकाल लिया था, इसलिए किसी और कैंसर थेरेपी की जरूरत नहीं पड़ी.”
मरीज अब सामान्य है, ठीक तरह से खा रही है और रिकवरी भी बहुत अच्छी हो रही है.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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