AIIMS और ICMR के डॉक्टरों ने कहा- 'Covid Vaccine से नहीं है Sudden Deaths का संबंध', बताए Heart Attack का खतरा कम करने के तरीके

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (AIIMS) और आईसीएमआर (ICMR) के सहयोग से एम्स-दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि युवाओं में कोविड-19 टीकाकरण (Covid-19 Vaccine) और अचानक हृदयाघात (Sudden Heart Attack) के बीच कोई संबंध नहीं है.

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अचानक होने वाले दिल के दौरों और कोविड के टीके का आपस में नहीं है कोई संबंध | No link between COVID-19 vaccines & sudden deaths
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  • 16 जनवरी 2021 को भारत में कॉविड वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई थी
  • टीकाकरण की शुरुआत हुई थी तो ज्यादातर लोगों को कोविड नहीं था
  • टीका बनाने के बाद इसका क्लीनिकल ट्रायल हुआ
  • वैक्सीन देने की वजह से उस वक्त 13 से 14 हजार लोगों की मौत कम हो गई
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No link between COVID-19 vaccines & sudden deaths : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (AIIMS) और आईसीएमआर (ICMR) के सहयोग से एम्स-दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि युवाओं में कोविड-19 टीकाकरण (Covid-19 Vaccine) और अचानक हृदयाघात (Sudden Heart Attack) के बीच कोई संबंध नहीं है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक संवाददाता सम्मेलन में डॉक्टरों की एक समिति ने कहा कि चल रहे अध्ययन में अब तक अचानक मृत्यु के 300 मामलों की जांच की गई है, खासतौर पर 40 साल से कम आयु के लोगों में. हालांकि उन सभी को कोविड-19 टीके की खुराक  (Covid-19 Vaccine) दी गई थी, लेकिन प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि दिल के दौरे के पीछे दूसरे स्वास्थ्य और जीवनशैली (Lifestyle) से जुड़े मामले ज्यादा अहम रहे.

जानकारी देते हुए डॉ संजय राय ने कहा कि 16 जनवरी 2021 के हमने कोविड वैक्सीन बनाने की शुरुआत की. कोवीशील्ड और कोवैक्सीन का हमने इस्तेमाल किया. अभी तक 32 वैक्सीन एप्रूव हो चुके हैं. कई तरह की तकनीक से वैक्सीन डेवलप हुआ है. कई जगहों पर चौथा डोज भी दिया जा रहा है. डब्लूएचओ ने सभी को वैक्सीन देने की बात की है.

अचानक होने वाले दिल के दौरों और कोविड के टीके का आपस में नहीं है कोई संबंध | No link between COVID-19 vaccines & sudden deaths

एम्स-दिल्ली (AIIMS Delhi) के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एस नारंग ने कहा कि इस बात के कोई निर्णायक सबूत नहीं हैं कि कोविड-19 टीके अचानक हृदय गति रुकने का कारण बन रहे हैं. वास्तव में, टीके संक्रमण की गंभीरता और संबंधित जटिलताओं को कम करके अधिक फायदेमंद साबित हुए हैं. जहां तक कोविड वैक्सीन के बाद की बात है इससे कोई डेथ नहीं हुई है.

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इस मामले में विस्तार से जानकारी पाने के लिए एनडीटीवी ने बात की डिपार्टमेंट ऑफ पैथोलॉजी एम्स दिल्ली के डॉ सुधीर अरावा से. उन्होंने कहा कि 

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युवाओं की अचानक मौत क्यों हो रही है इसको लेकर स्टडी की गई. हम अभी तक 100 केस की विस्तार से स्टडी फॉरेंसिक मेडिसिन के सहयोग से कर चुके हैं. हम सभी कारणों का पता लग रहे हैं और उसकी पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं. हम कारणों का पता लगाने के लिए सभी स्तरों पर जांच कर रहे हैं. हमने अभी इसकी अंतिम रिपोर्ट आईसीएमआर को सबमिट की है. अब तक जो पता चला है उसके मुताबिक 18 से 45 वर्ष के लोगों की कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण मौत हो रही है. कई केस में मरीज की मौत की वजह नहीं पता चल सकती. 

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पूरी स्टडी में लगेगा 1 साल का समय 

वे आगे कहते हैं 'हमें पता चला कि युवाओं की कोरोनरी आर्टरी डिजीज से जो मौत हो रही है उसका अब डॉक्यूमेंटेशन किया जा रहा है पहले ऐसा नहीं होता था. हमने करीब 5 साल की डाटा को कंपेयर किया इसमें प्री कॉविड और पोस्ट कॉविड दोनों शामिल है. हमें स्टडी में पता चला कि कोरोना से पहले और कोरोना के बाद युवाओं की मौत का पैटर्न सामान है. पहले हम इसका डॉक्यूमेंटेशन नहीं कर रहे थे लेकिन अब हम हर एक चीज का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं. हमने जो स्टडी की है उसमें सभी लोग वैक्सीन लेने वाले शामिल थे.

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अब तक की स्टडी में हमें ऐसा कुछ नहीं मिला कि लोगों की मौत कोरोना वैक्सीन के असर के कारण हो रही है. अपनी पूरी रिपोर्ट को सबमिट करने में हमें 1 साल का वक्त लगेगा. 

जेनेटिक कारण हो सकते हैं 

डॉ सुधीर अरावा ने बताया अभी हमें सब में मॉलेक्युलर एनालिसिस करना बाकी है. इंटरेस्टिंग बात ही है कि जो बिना कारण मौत होती थी उसमें हमें आधे में मॉलेक्युलर कॉज मिला है. इसका मतलब है कि उन लोगों में जेनेटिक कारण पहले से ही था. मतलब उनकी मौत कोरोना वैक्सीन से नहीं बल्कि जेनेटिक कारण की वजह से हुई.

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जो भी स्टडी हुई है उसमें पाया गया है कि फैमली हिस्ट्री वालों की डेथ हुई है, जिन्होंने एल्कोहल लिया है 24 घंटे पहले या परफार्मेंस इन्हासिंस एजेंट जिन्होंने लिया हो, यह सब ऐसी बाते हैं, जिनसे मौत हुई है. जिन लोगों ने कोविड का वैक्सीन लिया है उनमें सडन डेथ होने की संभावना कम है. डॉ करन मदान ने कहा कि जितनी भी कोविड वैक्सीन यूज हुई हैं, उसमें कहीं से यह नहीं दिखा है कि वैक्सीन वजह से सडन डेथ है. कोविड वैक्सीन के बेनिफिट काफी अधिक हैं.

पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ सुधीर अरावा ने कहा- 

हमने कोविड से हुई मौतों का एनालिसिस किया. अधिकतर लोग लंग्स के डैमेज होने से मरे. अधिकतर युवाओं की जो मौत हुई है वह हार्ट की वजह से हुई है. खासकर सडन डेथ के बारे में. हमने सभी युवाओं के भी हार्ट चेक किए जिनकी सडन डेथ हुई. एक साल के सर्वे में 300 लोगों को शामिल किया गया है, जिसमें 98 से 100 केस ऐसे थे, जिसमें सडन डेथ थी. इस सर्वे में यह पाया गया कि कार्डियो वास्कुलर सिस्टम में परेशानी थी. कुछ के हार्ट में इन्फेक्शन था. कोरोनरी आर्ट्री डिजीज की वजह से अधिकतर डेथ थीं. हमने शरीर के सभी अंगों का एक्जामिनेशन किया. कई केस ऐसे भी हुए जिसमें सब सही था, फिर भी मौत हुई. हमने कोविड से पहले और बाद के सडन डेथ का सर्वे किया. कई केस में अटॉप्सी निगेटिव आया. 50 प्रतिशत में मालिक्यूलर म्यूटेशन था.

बताते चलें कि 16 जनवरी 2021 को भारत में कॉविड वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई थी. भारत में जब टीकाकरण की शुरुआत हुई थी तो ज्यादातर लोगों को कोविड नहीं था और इम्यूनिटी डेवलप नहीं हुई थी.  टीका बनाने के बाद इसका क्लीनिकल ट्रायल किया गया. इस ट्रायल में सामने आया कि इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं, लेकिन बड़े नुकसानों की संभावना भी बहुत ना के बराबर थी. कुल मिलाकर उस वक्त टीका मामलों को गंभीर होने और मौत को घटाने में 80 से 90% काम कर रहा था. 

कितना फायदेमंद रहा टीका... 

डॉ. (प्रो.) संजय राय, कम्युनिटी मेडिसिन एम्स दिल्ली ने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान कहा - 

कोविड की उस लहर के समय मौत का रेशियो 1.5 % था यानी हर 10 लाख पर 10 से 15 हजार लोग मर रहे थे. वैक्सीन देने की वजह से उस वक्त 13 से 14 हजार लोगों की मौत कम हो गई. पूरी दुनिया का आंकड़ा देखेंगे तो कुछ वैक्सीन से संबंधित समस्याएं आई हैं. आंकड़ा 10 लाख पर 20 से 50 का है. किसी भी इंटरवेंशन में कुछ भी संभावनाएं हमेशा रहती हैं. कुल मिलाकर देखेंगे तो टीका देने से काफी फायदा हुआ.  कैंसर की दवा , एंटीबायोटिक लगाते हैं एनाफ्लासिस उससे भी लोगों की मौत हो सकती है. 


पहले भी आते रहे हैं ऐसे मामले 

ICMR की स्टडी में कहा गया है कि लोगों की मौत कोरोना वैक्सीन के कारण नहीं हो सकती है. लेकिन अगर सडन डेथ में किसी रेयर केस में ऐसा मामला है तो हमें किसी इंटरवेंशन को लेकर इतनी चर्चा नहीं करनी चाहिए. पूरी दुनिया का आंकड़ा देखेंगे तो जब कोविड नहीं था तो यंग पापुलेशन में सडन कार्डियक डेथ के मामले आये हैं. ये आंकड़ा हर 10 लाख में 5 से 50 लोगों के बीच का है. कुल मिलाकर मौत की कई वजह हो सकती है.

कैसे कम किया जा सकता है हार्ट अटैक का खतरा, डॉक्टर ने बताए 8 तरीके

Dr Rajeev Narang ने बताया कि आठ जरूरी चीजों को अगर मोडिफाइ किया जाए तो हार्ट अटैक कम किया जा सकता है.

  1. स्मोकिंग,
  2. डायबिटीज,
  3. हाई ब्लड प्रेशर,
  4. हाई कॉलेस्ट्रॉल,
  5. साइकेसोशल स्ट्रेस,
  6. एबडॉबिनल ओबिसिटी,
  7. रेगुलर एक्सरसाइज
  8. फ्रूट वेजिटेरोबल डाइट से रिस्को के कम किया जा सकता है.

जो सप्लीमेंट हम यूज करते हैं उसका भी हमारे शरीर पर विपरीत असर करता है. अगर अधिक मात्रा में लम्बे समय तक लिया जाए तो उसका अधिक खतरनाक होता है. डॉ संजय राय वैक्सीन देने से रिस्क कम था और फायदा अधिक. डॉ संजय राय ने कहा कि वैक्सीन के ट्रायल में किसी भी तरह का कोई कॉम्परनाइज नहीं हुआ है.

बल्ड क्लॉटिंग है बड़ी वजह 

डॉ तुलिका सेठ एचओडी हिमेटॉलिजी हमारे यहां बल्ड क्लॉटिंग के लिए एक स्पेशल क्लिनिक है. थ्राम्बोसिस को लेकर हमारे डिपार्टमेंट ने काफी रिसर्च भी किया है. वैक्सीन का नेचर है जिसमे बल्ड क्लॉटिंग हो सकता है. थ्राम्बोसिस यंग लोगों के बीच भी होता है. कई बार हमें क्लाट की वजह नहीं पता चल पाता. कोविड में बल्ड क्लॉटिंग बहुत सिवियर होता था जिसे सामान्य मेडिसिन से दूर नहीं किया जा सकता था. डॉ राजीव नारंग कुछ केस में यह देखा गया है कि कुछ लोगों का हार्ट पोस्ट कोविड कमजोर हुआ है.

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सबसे ज्यादा मौतें दिल के दौरे से  

अध्ययन में पाया गया कि विश्लेषित मामलों में अचानक मृत्यु का सबसे आम कारण हृदयाघात यानी दिल का दौरा था, जो अक्सर जीवनशैली संबंधी मुद्दों जैसे धूम्रपान, रक्त का थक्का, शराब का सेवन और धमनी अवरोध से जुड़ा होता है. उन्होंने कहा, “अध्ययन में शामिल लगभग 50 प्रतिशत व्यक्तियों का शराब पीने और धूम्रपान करने का इतिहास पाया गया.”

हृदय रोग विशेषज्ञ ने बताया कि दूसरा सबसे आम कारण “नकारात्मक शव परीक्षण” के रूप में वर्गीकृत किया गया है - ऐसे मामले जहां पोस्टमार्टम जांच के दौरान कोई स्पष्ट लक्षण या असामान्यताएं नहीं पाई गईं. एम्स-दिल्ली के पैथोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर ने कहा,

“वृद्ध व्यक्ति जहां अक्सर धमनी रुकावट के कारण हृदयाघात से पीड़ित होते हैं, युवा लोगों में अचानक मृत्यु आनुवांशिक हृदय स्थितियों, अत्यधिक शराब पीने, नशीली दवाओं के उपयोग या कोविड के बाद अत्यधिक व्यायाम से भी जुड़ी हो सकती है.”

अचानक होने वाले दिल के दौरों के पीछे है खराब लाइफस्टाइल

कुछ मौतें जीवनशैली से प्रेरित हृदय संबंधी स्थितियों के कारण भी हुईं, जैसे हृदय की मांसपेशियों में वसा का जमाव, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर, मनोसामाजिक तनाव और पेट का मोटापा. उन्होंने इन जोखिमों को कम करने के लिए नियमित व्यायाम और फलों और सब्जियों वाला भरपूर आहार लेने की सलाह दी. समिति ने यह भी कहा कि कोविड-19 संक्रमण के कारण होने वाले रक्त के थक्के हृदय स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा जोखिम पैदा कर सकते हैं. हेमटोलॉजी विभाग ने संकेत दिया कि कोविड के बाद के कुछ मामलों में इस तरह के थक्के विशेष रूप से खतरनाक रहे हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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