आंखों, किडनी, दिल और दिमाग से लेकर यौन इच्छा तक को प्रभावित करता है हाई ब्लड प्रेशर, जानिए शरीर को कैसे-कैसे प्रभावित करता हाई ब्लड प्रेशर

High blood pressure Risk Factor: ज्यादातर लोगों को हाई ब्लड प्रेशर के खतरे के बारे में मालूम नहीं होता, जबकि इसके बारे में जानकारी हासिल कर हम ज्यादा सावधान और सुरक्षित हो सकते हैं.

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Complications of high blood pressure: तेजी से बदलती मॉडर्न लाइफ स्टाइल और भागदौड़ के चलते मौजूदा दौर में हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप का खतरा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. कहा जाता है कि उच्च रक्तचाप हृदय रोग से भी अधिक जोखिम से भरा होता है. हालांकि, ज्यादातर लोगों को हाई ब्लड प्रेशर के खतरे के बारे में मालूम नहीं होता, जबकि इसके बारे में जानकारी हासिल कर हम ज्यादा सावधान और सुरक्षित हो सकते हैं. आइए, हम एक्सपर्ट्स के माध्यम से जानते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर हमारे शरीर को कैसे प्रभावित कर सकता है? साथ ही इसके खतरे क्या है और कब यह जानलेवा हो सकता है?

हाई ब्लड प्रेशर की जटिलताएं (Complications of high blood pressure)

ब्लड प्रेशर को पारा के मिलीमीटर (मिमी एचजी) में मापा जाता है. आमतौर पर, 130/80 मिमी एचजी या इससे अधिक का रक्तचाप हाई ब्लड प्रेशर कहलाता है. हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप के लक्षण दिखने होने से पहले वर्षों तक चुपचाप शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. समय से सही इलाज नहीं मिलने पर हाई ब्लड प्रेशर विकलांगता, जीवन की खराब क्वालिटी या यहां तक कि घातक दिल का दौरा और ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है. इसके इलाज और लाइफस्टाइल में बदलाव से जोखिम को कम करने के लिए हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है.

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धमनियों को नुकसान

स्वस्थ धमनियां मजबूत और लचीली होती हैं. उनकी आंतरिक परत चिकनी होती है ताकि रक्त सुचारू रूप से बहे और महत्वपूर्ण अंगों और ऊतकों को पोषक तत्व और ऑक्सीजन की सप्लाई हो सके. समय के साथ, हाई ब्लड प्रेशर धमनियों में बहने वाले रक्त के दबाव को बढ़ा देता है. इसके बाद क्षतिग्रस्त और संकुचित धमनियों की आंतरिक परत की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सीमित हो जाता है.

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दिल को नुकसान

हाई ब्लड प्रेशर से दिल की धमनी कमजोर हो जाती है और यह जानलेवा भी हो सकता है. इस क्षति को कोरोनरी धमनी रोग के रूप में जाना जाता है. हृदय में बहुत कम रक्त प्रवाह से सीने में दर्द हो सकता है. इसे एनजाइना कहा जाता है. इससे हार्ट बीट अनियमित हो सकती है, जिसे अतालता कहा जाता है. इससे दिल का दौरा पड़ सकता है और कभी-कभी अचानक दिल की धड़कन भी रुक सकती है.

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मेटाबोलिक सिंड्रोम होना

हाई ब्लड प्रेशर के चलते होने वाला मेटाबोलिक सिंड्रोम हेल्थ की दिक्कतों का एक समूह है जो हृदय रोग, स्ट्रोक और डायबिटीज का कारण बन सकता है. मेटाबॉलिक सिंड्रोम बनाने वाली मेडिकल कंडिशंस में हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, ट्राइग्लिसराइड्स नामक ब्लड फैट का हाई लेवल, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का लो लेवल शामिल हैं.

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मस्तिष्क को क्षति

मस्तिष्क ठीक से काम करने के लिए पौष्टिक ब्लड सप्लाई पर निर्भर करता है. हाई ब्लड प्रेशर इसमें रुकावट पैदा करता है.  हाई ब्लड प्रेशर के चलते मस्तिष्क पर क्षणिक इस्केमिक हमला (टीआईए) या मिनिस्ट्रोक हो सकता है. टीआईए तब होता है जब मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति थोड़े समय के लिए रुक हो जाती है. टीआईए अक्सर पूरे खतरनाक स्ट्रोक की चेतावनी होता है. स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के हिस्से को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिलते हैं.

संकुचित या बंद धमनियां मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को सीमित कर सकती हैं. इससे एक निश्चित प्रकार का मनोभ्रंश हो सकता है, जिसे वैस्कुलर डिमेंशिया कहा जाता है. यह एक तरह का पागलपन है.  वहीं, हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में आपकी उम्र के दूसरे वयस्कों की तुलना में याददाश्त, भाषा या सोच में थोड़ी अधिक परेशानी होती है.

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किडनी को नुकसान

गुर्दे या किडनी को ब्लड से अतिरिक्त तरल पदार्थ और वेस्टेज को फ़िल्टर करने के लिए स्वस्थ रक्त वाहिकाओं की जरूरत होती है. हाई ब्लड प्रेशर किडनी में और वहां तक जाने वाली रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. हाई ब्लड प्रेशर के साथ डायबिटीज होने से नुकसान और बढ़ सकता है. इसके इलाज में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट का सहारा लेना पड़ता है. किडनी फेल होने के सबसे आम कारणों में से एक हाई ब्लड प्रेशर है.

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आंखों को नुकसान

हाई ब्लड प्रेशर से आंखों को रक्त की आपूर्ति करने वाली छोटी, नाजुक रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके कारण रेटिना में रक्त वाहिकाओं को नुकसान से रेटिनोपैथी हो जाता है. रेटिना में रक्त वाहिकाओं के क्षतिग्रस्त होने से आंखों में ब्लीडिंग, धुंधली दृष्टि और रोशनी का पूरा नुकसान हो सकता है. हाई ब्लड प्रेशर के साथ डायबिटीज होने से रेटिनोपैथी का खतरा बढ़ जाता है.    

सेक्सुअल प्रॉब्लम्स

इरेक्शन पाने और बनाए रखने में परेशानी को इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहा जाता है. यह 50 वर्ष की आयु के बाद और अधिक आम हो जाता है, लेकिन हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की आशंका और भी अधिक होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर के कारण लिंग में ब्लड सर्कुलेशन रुक सकता है. हाई ब्लड प्रेशर योनि में रक्त के प्रवाह को भी कम कर सकता है. ऐसा होने पर महिला और पुरुष दोनों में यौन इच्छा या उत्तेजना कम हो सकती है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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