हैंड-फुट-माउथ डिजीज बच्चों में तेजी से रहा है फैल, यहां जानिए लक्षण, कारण और बचाव

छोटे बच्चों के अलावा, कभी-कभी वयस्क भी इस बीमारी के चपेट में आ सकते हैं, इसलिए छोटे और बड़ों दोनों के सावधानी बरते की जरूरत है.

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बच्चों में तेजी से फैल रही हैंड-फुट-माउथ डिजीज (HFMD) के लक्षण, कारण और बचाव के आसान तरीके जानें.

Infectious disease : दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों एक नई बीमारी तेजी से बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है, जिसका नाम है हैंड-फुट-माउथ डिजीज (HFMD). अगर आप भी पेरेंट्स हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. इस बीमारी में बच्चों के मुंह के अंदर दर्दनाक छाले हो जाते हैं, जिससे उन्हें खाने-पीने और बोलने में काफी दिक्कत होती है. इसके अलावा और भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बता रहे हैं ताकि आप अपने बच्चों को इस बीमारी से दूर रख सकें.

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क्या है हैंड-फुट-माउथ डिजीज

HFMD एक तरह का इन्फेक्शन है, जो खासतौर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है. इसमें बच्चों के मुंह, हाथों और पैरों पर छोटे-छोटे, दर्द भरे फफोले या दाने निकल आते हैं. ये बीमारी कॉक्ससैकीवायरस जैसे एंटोरोवायरस से फैलती है. 

HFMD के लक्षण
  • HFMD के लक्षण आमतौर पर 3 से 6 दिन बाद दिखने शुरू होते हैं. 
  • बच्चे को हल्का या तेज बुखार आ सकता है.
  • मुंह के अंदर, जीभ पर और गले में दर्दनाक छाले हो जाते हैं, जिससे खाना-पीना मुश्किल हो जाता है.
  • हाथों की हथेलियों, पैरों के तलवों पर लाल दाने निकल आते हैं, जिनमें खुजली हो सकती है.
  • छालों की वजह से बच्चा कुछ खा नहीं पाता, जिससे उसे चिड़चिड़ापन और कमजोरी महसूस हो सकती है.

हालांकि ये सारे लक्षण आमतौर पर 7 से 10 दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं.

HFMD के कारण
  • अगर बच्चे बिना हाथ धोए खाना खाते हैं या अपने मुंह को छूते हैं.
  • संक्रमित बच्चे की लार, खांसी या छींक से निकले कण.
  • संक्रमित बच्चे के मल के डायरेक्ट या इंडायरेक्ट संपर्क में आने से 
  • संक्रमित सतहों, खिलौनों, कपड़ों या बर्तनों को छूने से भी हो सकता है.

छोटे बच्चों के अलावा, कभी-कभी वयस्क भी इस बीमारी के चपेट में आ सकते हैं, इसलिए छोटे और बड़ों दोनों को सावधानी बरते की जरूरत है.

HFMD से बचाव 

  • हालांकि अभी तक HFMD के लिए कोई खास दवा या वैक्सीन नहीं बनी है, इसलिए साफ-सफाई और सावधानी ही बचाव है.
  • बच्चों को बार-बार हाथ धोना सिखाएं, खासकर खाने से पहले और टॉयलेट के बाद.
  • बच्चों के खिलौनों, बर्तनों और सतहों को रोज साफ करें.
  • बच्चों को अपनी उंगलियां मुंह में डालने या अंगूठा चूसने से रोकें.
  • इस दौरान स्कूल या डे-केयर न भेजें.
  • बुखार और छालों की वजह से डिहाइड्रेशन हो सकता है, इसलिए बच्चे को खूब सारा पानी, दूध, जूस पिलाएं.
  • बच्चे को आइसक्रीम, दही, स्मूदी या ठंडे सूप जैसे मुलायम और ठंडे फूड्स खाने के लिए दीजिए, जिससे छालों में जलन कम हो सकती है.
  • अगर बच्चा बड़ा है, तो उसे गुनगुने नमक वाले पानी से कुल्ला कराएं. इससे छालों का दर्द कम हो सकता है.
  • वहीं, खट्टे फल, चटपटा खाना या कोई भी अम्लीय चीज छालों में जलन बढ़ा सकती है, इसलिए इनसे बचें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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