Ganesh Ji की प्रिय दूर्वा घास, सिर्फ पूजा नहीं, सेहत के लिए भी है रामबाण, जानिए इसके 5 अनोखे लाभ

Durva Grass Health Benefits: आज गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. दूर्वा भगवान गणेश जी को अर्पित करने से धार्मिक पुण्य तो मिलता ही है, साथ ही यह वैज्ञानिक दृष्टि से भी सेहत के लिए वरदान है. आइए जानते हैं दूर्वा घास के बड़े फायदे.

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Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी बुधवार को मनाई जा रही है.

Benefits of Durva Grass: गणेश चतुर्थी 2025 में 27 अगस्त, बुधवार को मनाई जा रही है. यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें विघ्नहर्ता और शुभ आरंभ के देवता माना जाता है. इस दिन मिट्टी की गणेश प्रतिमा स्थापित कर 10 दिनों तक पूजा, आरती और भजन-कीर्तन किए जाते हैं. गणेश चतुर्थी का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक जागरूकता भी है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की आराधना करने से बुद्धि, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है. यह पर्व हर उम्र के लोगों को भक्ति और उत्साह से जोड़ता है. अंत में अनंत चतुर्दशी को प्रतिमा का विसर्जन कर विदाई दी जाती है.

इस दौरान दूर्वा (Doob Grass / Cynodon Dactylon) का भी खूब जिक्र होता है, जो भगवान गणेश जी की प्रिय वस्तु है. धार्मिक मान्यता है कि गणपति जी को दूर्वा अर्पित करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है. लेकिन, इसका महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है. आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही इस घास को सेहत के लिए बेहद खास मानते हैं. आयुर्वेद में इसे शीतल, रक्तस्तंभक (खून रोकने वाला) और त्रिदोषनाशक बताया गया है. वहीं वैज्ञानिक शोधों में भी इसके औषधीय गुणों की पुष्टि हुई है.

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दूर्वा घास के 5 बड़े फायदे- (5 Benefits of Durva Grass)

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1. ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है

इस घास को डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद माना जाता है. 2010 में Journal of Ethnopharmacology में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, दूर्वा के अर्क में हाइपोग्लाइसेमिक गुण पाए गए, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. आयुर्वेद में भी ये शुगर रोगियों के लिए लाभकारी बताई गई है.

2. घाव और इंफेक्शन को ठीक करता है

इस घास की मदद से घाव को जल्दी ठीक किया जा सकता है. Indian Journal of Pharmaceutical Sciences (2012) में छपे अध्ययन के अनुसार, दूर्वा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक गुण पाए गए हैं, जो घाव भरने और इंफेक्शन रोकने में कारगर हैं. आयुर्वेद में इसे रक्तस्तंभक (खून रोकने वाला) गुण के कारण इसे चोट पर लगाने से तुरंत खून बंद हो जाता है.

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3. पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है

दूर्वा में मौजूद डाइटरी फाइबर और एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड पाचन को बेहतर बनाते हैं. Pharmacognosy Review (2015) की एक रिपोर्ट में बताया गया कि यह गैस्ट्रिक डिसऑर्डर में लाभकारी है. आयुर्वेद में इसे दीपन-पाचन यानी भूख बढ़ाने और पाचन सुधारने वाला माना गया है.

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4. लिवर और किडनी के लिए फायदेमंद

दुर्वा घास कई अंगों के लिए फायदेमंद है. Journal of Ayurveda and Integrative Medicine (2014) में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, दूर्वा का जूस लिवर और किडनी को डिटॉक्स करने और यूरिनरी इंफेक्शन से राहत देने में मदद करता है. आयुर्वेद के अनुसार मूत्र विकार (Mutrakricha) और पित्त विकार में इसका सेवन लाभकारी बताया गया है.

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5. इम्यूनिटी पावर बढ़ाता है

दूर्वा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन C और बायोएक्टिव कंपाउंड होते हैं, जो इम्युनिटी को मजबूत करते हैं. International Journal of Green Pharmacy (2016) में इसके इम्युनोमॉड्यूलेटरी गुण का उल्लेख किया गया है. आयुर्वेदि में इसे बल्य यानी ताकत और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना गया है.

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दुर्वा घास का सेवन का तरीका (Right Way To Consume Doob Grass)

  • सुबह खाली पेट दूर्वा का रस (10–20 ml) पीना लाभकारी है.
  • चाहें तो इसे गुनगुने पानी के साथ मिलाकर ले सकते हैं.
  • चोट या कट लगने पर इसका लेप प्रभावित जगह पर लगाया जा सकता है.

इन बातों का रखें ध्यान-

  • दूर्वा को हमेशा अच्छी तरह धोकर ही इस्तेमाल करें.
  • डायबिटीज के मरीज इसका रस डॉक्टर की सलाह से लें.
  • बहुत ज्यादा सेवन से पेट की गड़बड़ी हो सकती है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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