देश में फिर बढ़ रहे हैं कोरोना के मरीज, COVID-19 के नए सब वैरिएंट JN.1 के बारे में जानिए सब कुछ

देश भर में अब तक JN.1 सब-वेरिएंट (sub-variant JN.1) के कुल 21 कोविड-19 मामलों का पता चला है. आखिर क्या है ये नया वैरिएंट और कितना खतरनाक है साथ ही कौन से लोगों को इससे ज्यादा खतरा है? यहां जानिए एक-एक करके.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
देश भर में अब तक JN.1 सब-वेरिएंट के कुल 21 कोविड-19 मामलों का पता चला है.

कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ रहे हैं. केरल में हाल ही में मामलों में उछाल देखा गया है. कोविड के नए सब-वैरिएंट JN.1 (sub-variant JN.1) को लेकर चिंता बढ़ती जा रहा है. यह नया वैरिएंट हाल ही में केरल में पाया गया था. JN.1 वैरिएंट SARS-CoV-2 का एक सब-वैरिएंट है. इस वैरिएंट को ओमीक्रॉन फैमिली का माना जा रहा है. कर्नाटक में कोविड-19 सब-वैरिएंट JN.1 के मामले बढ़ने के बीच राज्य के निजी स्कूलों को संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हेल्थ गाइडलाइन्स को फॉलो करने के लिए कहा गया है. देश भर में अब तक JN.1 सब-वेरिएंट के कुल 21 कोविड-19 मामलों का पता चला है. आखिर क्या है ये नया वैरिएंट और कितना खतरनाक है साथ ही कौन से लोगों को इससे ज्यादा खतरा है? यहां जानिए एक-एक करके.

कोविड सब-वैरिएंट JN.1 क्या है?

यह बीए.2.86 वर्जन का वंशज है. हालांकि यह पूरी तरह से नया नहीं है, विश्व स्तर पर इसका पहला मामला इस साल जनवरी की शुरुआत में पाया गया था, और तब से यह अमेरिका, कुछ यूरोपीय देशों, सिंगापुर, चीन और अब भारत में देखने को मिल रहा है.

ये भी पढ़ें: New Covid Cases In India: भारत में मिले कोविड के 594 नए मरीज, 6 लोगों की मौत

सब-वेरिएंट JN.1 के लक्षण क्या हैं?

जेएन.1 के लक्षणों में बुखार, नाक बहना, गले में खराश, सिरदर्द कुछ मामलों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं शामिल हैं. कुछ रोगियों को सांस लेने में कठिनाई का भी अनुभव हो सकता है. लक्षण आमतौर पर 4-5 दिनों के भीतर सुधार हो जाते हैं.

सब-वेरिएंट JN.1 कितना खतरनाक है?

अभी तक, ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह दर्शाता हो कि JN.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा गंभीर है. शुरूआती जानकारियों से पता चलता है कि इसमें मृत्यु दर या गंभीरता का कोई ज्यादा खतरा नहीं है. हालांकि, इसके व्यवहार को पूरी तरह से समझने के लिए आगे का शोध आवश्यक है.

JN.1 के प्रसार को रोकने के लिए क्या सावधानियां बरती जा सकती हैं?

संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बार-बार हाथ धोना, सार्वजनिक और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाए रखना जैसी सभी सावधानियों का पालन करना जरूरी है.

Advertisement

किन लोगों को वायरस से ज्यादा खतरा?

60 साल से ज्यादा उम्र के लोग या जो डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर, क्रोनिक किडनी रोग, हार्ट डिजीज और लिवर रोग जैसी कंडिशन से पीड़ित हैं उनको किसी भी वायरस और इंफेक्शन का ज्यादा खतरा होता है. 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Haryana IPS Puran Singh Case में DGP Shatrujeet Kapoor पर FIR दर्ज | Breaking News