Liver Damage Heart Risk: लिवर और हार्ट दोनों ही हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में शामिल हैं. लिवर शरीर को डिटॉक्स करता है, मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करने का काम करता है और हार्मोन बैलेंस बनाए रखता है, जबकि हार्ट पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का संचार करता है. लेकिन, क्या लिवर की खराबी सीधे तौर पर दिल की बीमारियों का कारण बन सकती है? हम अक्सर लिवर को केवल पाचन और डिटॉक्स से जुड़ा अंग मानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी खराबी आपके दिल की सेहत पर भी गहरा असर डाल सकती है?
लिवर की खराबी, खासतौर से फैटी लिवर और सिरोसिस, हार्ट डिजीज के खतरे को कई गुना बढ़ा सकती है. लिवर और हार्ट एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और जब लिवर सही तरीके से काम नहीं करता, तो शरीर में सूजन, टॉक्सिन्स और मेटाबॉलिक असंतुलन बढ़ जाता है, जो हार्ट को प्रभावित कर सकता है. इस लेख में हम जानेंगे कि लिवर हेल्थ क्यों है हार्ट हेल्थ के लिए भी जरूरी.
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लिवर और हार्ट के बीच संबंध
फैटी लिवर और कार्डियोवैस्कुलर रिस्क नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD) से पीड़ित लोगों में कोलेस्ट्रॉल असंतुलन, इंसुलिन रेसिस्टेंस और ब्लड प्रेशर की समस्याएं आम हैं, जो सभी हार्ट डिजीज के प्रमुख कारण हैं.
हेपेटाइटिस और सूजन (Inflammation) लिवर में सूजन (जैसे हेपेटाइटिस या सिरोसिस) शरीर में क्रोनिक इनफ्लेमेशन को बढ़ावा देती है, जिससे धमनियों में ब्लॉकेज और हार्ट की कार्यक्षमता में गिरावट हो सकती है.
टॉक्सिन्स का प्रभाव जब लिवर ठीक से काम नहीं करता, तो शरीर से विषैले तत्व (toxins) नहीं निकल पाते. ये टॉक्सिन्स ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं और दिल पर एक्स्ट्रा दबाव डाल सकते हैं.
लिवर खराब होने से हार्ट कैसे प्रभावित होता है?
1. फैटी लिवर और हार्ट पर असर
नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD) एक आम स्थिति है जिसमें लिवर में वसा जमा हो जाती है. यह स्थिति: कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को असंतुलित करती है. ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को प्रभावित करती है, जिससे धमनियों में ब्लॉकेज और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ता है.
2. सूजन (Inflammation) का संबंध
लिवर की बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस या सिरोसिस में क्रोनिक इनफ्लेमेशन होता है, जो: शरीर में सूजन के संकेतक (inflammatory markers) को बढ़ाता है. ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे दिल की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है.
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3. मेटाबोलिक सिंड्रोम से जुड़ाव
लिवर की खराबी अक्सर मेटाबोलिक सिंड्रोम से जुड़ी होती है, जिसमें शामिल हैं: मोटापा (विशेषकर पेट के आसपास), टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल.
लिवर की खराबी केवल पाचन या डिटॉक्स से जुड़ी समस्या नहीं है, यह दिल की बीमारियों का भी एक छुपा हुआ कारण बन सकती है. इसलिए, अगर आप अपने दिल को हेल्दी रखना चाहते हैं, तो लिवर की देखभाल को भी उतनी ही प्राथमिकता दें.
डॉक्टरों की राय
डॉक्टर क्लेर के अनुसार, आमतौर पर लिवर की दिक्कत हार्ट को प्रभावित नहीं करती है. हालांकि लिवर डैमेज होने पर यानि मान लें कि लिवर सिरोसिस हो गया है तो एनीमिया और हार्ट फेलियर हो सकता है, लेकिन कोरोनरी आर्टरी डिजीज की संभावना कम होती है.
क्या करें?
- रेगुलर हेल्थ चेकअप कराएं जिसमें लिवर फंक्शन और लिपिड प्रोफाइल शामिल हो.
- फैटी फूड, शराब और प्रोसेस्ड शुगर से दूरी बनाएं.
- फिजिकल एक्टिविटी और फाइबर युक्त आहार को दिनचर्या में शामिल करें.
- तनाव और नींद पर ध्यान दें, ये दोनों लिवर और हार्ट दोनों को प्रभावित करते हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)