डॉक्टरों ने कहा, यूरिन अनकंट्रोल होना स्किन और किडनी पर डालता है बुरा असर, मेंटल प्रोब्लम का भी खतरा

डॉक्टरों ने कहा कि यूरिन लीकेज, यूरिनरी ब्लैडर पर कंट्रोल खोना आपकी स्किन और किडनी पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है.

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डॉक्टर ने कहा कि इससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं.

ब्लैडर और बाउल प्रोब्लम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 17-23 जून के बीच वर्ल्ड यूरिन इनकॉन्टिनेंस वीक मनाया जाता है. यूरिन लीकेज तक होता है जब किसी को यूरिनरी ब्लैडर कंट्रोल खो देता है. यह एक सामान्य स्थिति है जो कभी-कभार होने वाले मामूली रिसाव से लेकर ज्यादा लगातार और गंभीर समस्याओं तक हो सकती है. डॉक्टरों ने कहा कि यूरिन लीकेज, यूरिनरी ब्लैडर पर कंट्रोल खोना आपकी स्किन और किडनी पर भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है. 

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सर गंगा राम अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट और रोबोटिक, यूरो ऑन्को सर्जन, कंसल्टेंट डॉ. अश्विन माल्या ने आईएएनएस को बताया, "आपके यूरिनरी ब्लैडर को कंट्रोल करने वाली मसल्स कमजोर हो जाती हैं. इससे यूरिन का आकस्मिक रिसाव हो सकता है." उन्होंने कहा, "मूत्र असंयम केवल यूरिनरी ब्लैडर को ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि यह लगातार नमी के कारण चकत्ते और इंफेक्शन जैसी स्किन प्रोब्लम्स को जन्म दे सकता है. इसके अलावा, यह यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) का कारण बन सकता है और गंभीर मामलों में यह किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है."

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मानसिक समस्याएं को भी खतरा:

डॉक्टर ने कहा कि इससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे "चिंता, अवसाद और सामाजिक अलगाव. कई लोग सोशल एक्टिविटीज या ऐसी स्थितियों से बचना शुरू कर सकते हैं, जहां उन्हें शर्मिंदगी का डर होता है, जिससे सामाजिक अलगाव और लाइफ क्वालिटी में कमी आ सकती है".

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यह स्थिति सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह वृद्ध लोगों में ज़्यादा प्रचलित है, खासकर गर्भावस्था और प्रसव के दौरान महिलाओं में.

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हेल्थ एक्सपर्ट्स ने कहा, अगर यह महिलाओं में प्रसव के बाद और प्रसव के बिना लंबे समय तक जारी रहता है, तो यह चिंता का विषय है, जिसका इलाज किया जाना चाहिए.

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पेल्विक फ्लोर की मसल्स कमजोर होना बड़ी वजह:

गुरुग्राम के मारेंगो एशिया अस्पताल में यूरोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. आरिफ अख्तर ने आईएएनएस को बताया कि उम्र से संबंधित बदलाओं जैसे कि पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों का कमजोर होना और यूरिनरी ब्लैडर की मांसपेशियों की बहुत ज्यादा या अपर्याप्त गतिविधि के कारण यूरिनरी ब्लैडर पर कंट्रोल कम हो जाता है, जिससे यह स्थिति पैदा होती है.

"गर्भावस्था और प्रसव के दौरान पेल्विक मसल्स में खिंचाव और मूत्राशय पर दबाव बढ़ने से तनाव असंयम हो सकता है. यूरेथ्रा के बंद होने का दबाव कम होना और मूत्रजननांगी सिकुड़न मेनोपॉज-प्रेरित एस्ट्रोजन की कमी के परिणाम हैं. पुरुषों में ओवरफ्लो असंयम सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया और प्रोस्टेटेक्टॉमी के बाद की समस्याओं दोनों की वजह से होता है.

45 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित:

अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में 45 प्रतिशत महिलाएं और 15 प्रतिशत पुरुष किसी न किसी रूप में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस से पीड़ित हैं. यह असमानता मुख्य रूप से शारीरिक रचना, गर्भावस्था, प्रसव और मेनोपॉज में अंतर के कारण है, जो महिलाओं के लिए अद्वितीय जोखिम कारक हैं.

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डॉ. आरिफ ने आईएएनएस को बताया, "पेल्विक फ्लोर मसल ट्रेनिंग (पीएफएमटी) केगेल व्यायाम और पेल्विक मसल्स को मजबूत करने के लिए इलाड यूरिन लीकेज को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कई स्ट्रेटजी में से कुछ हैं." , डॉक्टरों ने कहा, अन्य तरीकों में हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना, हेल्दी वेट बनाए रखना शामिल है क्योंकि इससे यूरिनरी ब्लैडर पर दबाव कम होता है, पेल्विक फ्लोर की मसल्स को मजबूत करने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज करके एक्टिव रहना, कैफीन और शराब को सीमित करना क्योंकि ये यूरिनरी ब्लैडर को परेशान कर सकते हैं, धूम्रपान छोड़ना क्योंकि धूम्रपान से खांसी हो सकती है, ये सभी यूरिन लीकेज को बढ़ाते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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