क्या गाली देने वाले लोग ज्यादा दिन तक जीते हैं? रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा उड़ जाएंगे होश

आमतौर पर गाली देना एक गंदी आदत मानी जाती है. बच्चों से लेकर बड़ों तक को इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है. लेकिन हाल ही में सामने आई स्टडी बताती है कि गाली देने से किसी व्यक्ति जिंदगी लंबी हो सकती है.

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बल्कि यह बताती है कि गाली देना एक मनोवैज्ञानिक रिएक्शन है जो मुश्किल स्थितियों में हमारे दर्द और स्ट्रेस को कम कर सकती है.

Do abusive people live longer : क्या गाली देना सच में किसी की जिंदगी बढ़ा सकता है? सुनकर अजीब लगता है, लेकिन अमेरिका में हुई एक रिसर्च ने इसी तरह का चौंकाने वाला दावा किया है. आमतौर पर गाली देना एक “गंदी आदत” मानी जाती है, बच्चों से लेकर बड़ों तक को इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है. लेकिन हाल ही में सामने आई स्टडी बताती है कि गाली देने से किसी व्यक्ति जिंदगी लंबी हो सकती है.

रिसर्च में क्या हुआ?

अमेरिका में हुए इस प्रयोग में पुरुषों को दो ग्रुप में बांटा गया. दोनों ग्रुप को अपने हाथ बर्फ से भरे बेहद ठंडे पानी में डालने को कहा गया. हैरानी की  बात यह थी कि, जो लोग ज्यादा गाली देते थे उनकी सहनशक्ति गाली ना देने वाले लोगों की तुलना में काफी ज्यादा थी और वह काफी देर तक बर्फ के पानी में हाथ डाले हुए थे. जबकि जो लोग गाली नहीं देते उन्होंने कुछ ही सेकेंड में आपना हाथ बाहर निकाल दिया.

रिसर्चर्स के अनुसार जब कोई व्यक्ति गुस्सा, दर्द या स्ट्रेस में गाली देता है, तो उसका दिमाग एक तरह का इमोशनल वेंटिंग करता है, यानी दबा हुआ स्ट्रेस बाहर निकल जाता है. इससे शरीर स्ट्रेस हार्मोन को कम तेजी से रिलीज करता है और आदमी मुश्किल स्थितियों को ज्यादा देर तक सहन कर पाता है.

गाली देने से स्ट्रेस कम होता है?

रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि गाली देने वाले लोग अपनी मानसिक भावनाओं को दबाकर नहीं रखते, जिससे उनका स्ट्रेस लेवल कम रहता है, दिल से जुड़ी दिक्कतों का खतरा कम होता है और साथ ही मेंटल प्रेशर भी कम होता है. रिसर्चर्स का कहना है कि एक व्यक्ति जो अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त करता है, वह स्ट्रेस में लंबे समय तक नहीं रहता. अगर स्ट्रेस कम है, तो लंबी उम्र की संभावना भी बढ़ सकती है.

क्या इसका मतलब है कि गालियां अच्छी हैं?

यहां एक बात साफ समझनी जरूरी है, रिसर्च यह नहीं कहती कि गालियां देना एक आइडियल आदत है. बल्कि यह बताती है कि गाली देना एक मनोवैज्ञानिक रिएक्शन है जो मुश्किल स्थितियों में हमारे दर्द और स्ट्रेस को कम कर सकती है. लेकिन समाज में सभ्यता बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है.
 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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