सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने के नुकसान, डिजिटल दिखावा, मानसिक तनाव के साथ समय की बर्बादी

Social Media Addiction: सोशल मीडिया का इस्तेमाल पूरी तरह बंद करना ज़रूरी नहीं, लेकिन इसकी लत से बचना ज़रूरी है. याद रखें, जो दिख रहा है वह पूरी सच्चाई नहीं है. असली ज़िंदगी स्क्रीन के पीछे नहीं, आपके आस-पास चल रही है.

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सोशल मीडिया पर वक्त बिताना एक आदत नहीं, अब लत बन चुका है.

Social Media Addiction: एक समय था जब लोग सुबह अखबार पढ़कर दिन की शुरुआत करते थे. अब सुबह आंख खुलते ही सबसे पहले मोबाइल की स्क्रीन देखी जाती है. इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे ऐप्स हमारी आदत ही नहीं, जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन, क्या कभी सोचा है कि ये आदत कहीं बीमारी तो नहीं बन गई? फरीदाबाद,  AIMS में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर और HOD डॉ. अमित मिगलानी (Dr. Amit Miglani) के अनुसार सोशल मीडिया ने इंसान की सोच और सेहत दोनों पर गहरा असर डाला है. यह न सिर्फ हमारा कीमती समय ले रहा है, बल्कि धीरे-धीरे मन और शरीर को भी कमजोर कर रहा है.

सोशल मीडिया का लाइफ पर असर (Social Media Addiction)

क्या कहती है रिपोर्ट

हाल ही में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक आम व्यक्ति हर दिन लगभग तीन घंटे सोशल मीडिया पर बिताता है. अगर दिन के 24 घंटों में से 8 घंटे नींद, 2-3 घंटे रोज के जरूरी कामों और 8-9 घंटे नौकरी या पढ़ाई में निकल जाते हैं, तो इंसान के पास अपने लिए समय ही नहीं बचता. ऐसे में जो थोड़ा बहुत समय होता है, वह भी स्क्रीन पर चला जाता है. सोशल मीडिया पर वक्त बिताना एक आदत नहीं, अब लत बन चुका है. यह आदत न सिर्फ समय की बर्बादी है, बल्कि हमें उस असली दुनिया से भी दूर ले जा रही है जहां लोग सामने से मुस्कुराते हैं, बात करते हैं और साथ बैठते हैं.

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सोशल मीडिया है परेशानी का कारण

डॉक्टर्स का मानना है कि ज्यादा सोशल मीडिया देखने से इंसान दुखी ज़्यादा और खुश कम रहता है. वजह साफ है सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा हिस्सा दिखाता है. घूमने की तस्वीरें, नई गाड़ियां, महंगे कपड़े, पार्टीज और सेल्फी यह सब देखकर लगता है जैसे सबकी जिंदगी मजेदार है. लेकिन, कोई यह नहीं दिखाता कि वह अकेला है, तनाव में है या आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है. ऐसे में जब कोई आम इंसान बार-बार दूसरों की "फैंसी जिंदगी" देखता है, तो वह अपने आपको कमतर समझने लगता है.

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दिखावे में जीना

कुछ लोग तो इतने प्रभावित हो जाते हैं कि वे उधार लेकर छुट्टियां मनाने या महंगी चीज़ें खरीदने लगते हैं, ताकि वे भी वैसी ही तस्वीरें पोस्ट कर सकें जैसी उनके दोस्तों की हैं. यह दिखावा न सिर्फ़ मानसिक दबाव बढ़ाता है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी कराता है. डॉक्टर के अनुसार यह मानसिक दबाव धीरे-धीरे तनाव, बेचैनी और डिप्रेशन की वजह बन सकता है. खासकर यूथ इस झूठी चमक से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है.

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शरीर पर होता है बुरा असर

मोबाइल की स्क्रीन पर लगातार घूरते रहने से आंखों की रौशनी कम होती है, पीठ और गर्दन में दर्द रहने लगता है. देर रात तक स्क्रॉल करते रहने से नींद भी खराब हो जाती है. इससे पाचन तंत्र भी कमजोर होता है. डॉक्टर के मुताबिक आंतों की सेहत पर भी इसका सीधा असर पड़ता है.

ये करें?

  • हर दिन तय करें कि सोशल मीडिया पर कितना समय बिताना है.
  • सुबह और रात मोबाइल से दूरी बनाएं.
  • खाली समय में टहलें, किताबें पढ़ें या किसी से आमने-सामने बात करें.
  • अपने मन की तुलना दूसरों की फोटो से मत करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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