Aayurved Day: कौन हैं भगवान धन्वंतरि, उनके 10 रत्‍न आपको बना देंगे 'अमीर'

Aayurved Day: धार्मिक ग्रथों की मानें तो धन्वंतरि की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब समुद्र मंथन हो रहा था. ऐसा माना जाता है कि जब अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया गया था तब समुद्र से धन्वंतरि ही अमृत का कलश लेकर बाहर निकले थे.

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Aayurved Day: हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है दिवाली. ये त्योहार पांच दिनों का होता है जिसकी शुरुआत होती है धनतेरस से. धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा तो की ही जाती है, साथ ही साथ धन्वंतरि की भी पूजा का भी अपना खास महत्व है. अब सवाल ये उठता है कि धनतेरस वाले दिन धन्वंतरि की पूजा क्यों की जाती है. तो इसके पीछे एक रोचक और सामान्‍य ज्ञान को बढ़ाने वाली कहानी है.

धार्मिक ग्रथों की मानें तो धन्वंतरि की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब समुद्र मंथन हो रहा था. ऐसा माना जाता है कि जब अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया गया था तब समुद्र से धन्वंतरि ही अमृत का कलश लेकर बाहर निकले थे. उनके चार हाथों में आयुर्वेद ग्रंथ, औषधि कलश, जड़ी-बूटी, और शंख थे. इन्हें आयुर्वेद का प्रणेता और देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता था. इसलिए ही धन्वंतरि को आरोग्यता प्रदान करने वाला देवता माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि धनतेरस वाले दिन धन्वंतरि की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है. यही वजह है कि धनतेरस वाले दिन ही आयुर्वेद दिवस भी मनाया जाता है.

हो सकता है क‍ि आप अब तक धन्वंतरि को धन का देवता मान कर उनकी पूजा कर रहे हों और अब आपको अचानक से लगने लगा हो क‍ि अरे आप तो गलती कर रहे थे. तो मेरे दोस्‍त आप अब भी गलती नहीं कर रहे हैं, क्‍योंक‍ि हमारा देश सद‍ियों से ये मानता आया है क‍ि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है. आप समझ रहे भारतीय संस्कृति में इस द‍िन का क‍ितना गूढ अर्थ है. भारतीय संस्कृति में सेहत को सबसे बड़ा धन माना है और इसे धन से ऊपर रखा गया है.

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तो क्‍यों न धनतेरस पर न‍िवेश करें अपनी सेहत में. और जानें क‍ि हमारी समृद्ध संस्कृति ने सेहत के ल‍िए कौन कौन से रत्‍न ऐसे द‍िए हैं जिनसे आप अपने जीवन को सोने की तरह चमका सकते हैं और उसका आनंद ले सकते हैं.

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एनडीटीवी ने इस बारे में बात की आयुर्वेद के ज्ञाता वैद्य राम अवतार शर्मा और जाना कि वे कौन से 10 रत्‍न है जो धनवंतरि के आयुर्वेद से आप अपना सकते हैं और हो सकते हैं सेहत से धनवान.

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धनवंतरि के दस रत्न

1. ताजा भोजन करें- ईश्वर ने जैसे पेड़ पौधे दिए हैं वैसे ही उनका सेवन करें. भोजन ताजा होना चाहिए. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन सात्विक होना चाहिए. उसमें मैदा न मिलाएं. खाने के साथ पानी, नींबू पानी या कोल्ड ड्रिंक न पिएं. गर्म भोजन के साथ ठंडा पानी शरीर में तकलीफ पैदा करता है. जिस तरह गर्म तवे से गैसे निकलती है. उसी तरह शरीर पर भी असर होता है और पाचन पर बुरा असर पड़ता है.

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2. खाने के साथ सलाद और कच्चे फल ना लें – भोजन से एक या आधा घंटा पहले सलाद या फल खाएं. खाने के साथ न खाएं. इससे पाचन अच्छा रहता है. पहले सलाद खाने से मोटापा भी नहीं बढ़ता है. खाने के बाद कोशिश करें कि एक घंटे बाद तक कच्चा फल या सलाद न खाएं.  

3. दूध के साथ नमक ना लें- दूध के साथ नमकीन चीज खाने से नुकसान होता है. दूध के साथ खट्टे पदार्थ और मछली का सेवन नहीं करना चाहिए. ये कॉम्बिनेशन में खाना खाने से सफेद दाग होने का डर होता है.

4. रात का भोजन करने का सही समय सुनिश्चित करें- रात के भोजन का समय जल्दी का होना चाहिए. सूर्य छिपने के दो घंटे बाद तक भोजन कर सकते हैं. लेकिन इसके बाद भोजन करने से डाइजेशन स्लो हो जाता है. सोने से दो घंटे पहले खाना खाना सबसे बेहतर है. इस समय ये भी ध्यान रखें कि रात में अपनी भूख से आधा ही भोजन करना चाहिए. एक हिस्सा पानी और एक हिस्सा वायु के लिए छोड़ देना चाहिए.

5. सुबह उठते ही गुनगुना पानी पी लें- सुबह उठने के बाद सबसे पहले गुनगुना पानी पीना चाहिए. अपनी क्षमता के अनुसार गुनगुना पानी पिएं. पानी पीने से पहले कुल्ला भी न करें. सुबह का सलाइवा पाचन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. जिन्हें मुख संबंधी कोई बीमारी हो उन्हें कुल्ला करने के बाद ही पानी पीना चाहिए.

6. फलों के साथ पानी न पिएं- जब भी कोई रसीला फल खाएं, जैसे खरबूज और तरबूज तो उनके तुरंत बाद पानी न पिएं. क्योंकि इन फलों में कुदरती पानी होता है.  

7. देसी घी और शहद बन सकते हैं जहर- घरों में देसी घी और शहद अक्सर मौजूद होता है. बहुत से लोग शहद और देसी घी मिला लेते हैं. लेकिन ये कॉम्बिनेशन शरीर के लिए जहर से कम नहीं है. दोनों को बराबर मात्रा में नहीं होना चाहिए. इनके साथ कोई तीसरी चीज होनी चाहिए या फिर कोई एक कम मात्रा में होना चाहिए.

8. सुबह-शाम अमलतास के पत्ते खाएं- थायराइड की प्रॉब्लम अब तेजी से बढ़ रही है. आयुर्वेद के हिसाब से सुबह शाम दो से चार अमलतास के पत्ते चबा चबा कर खाएं. इससे थायराइड की परेशानी कम होती है. जिन्हें कब्ज रहता है वो अमलतास की फली का गुदा, गुड़ के साथ मिलाकर खाएं. कब्ज और कफ दोनों में राहत मिलेगी.

9. फैटी ल‍िवर के लि‍ए मदार के पत्ते लें- फैटी लिवर की परेशानी भी अब बढ़ती जा रही है. इसकी वजह से आंखें पीली होने लगती है. यूरिन भी पीली होने लगती है. ऐसे केस में आयुर्वेद में एक उपाय सुझाया गया है. मदार के पौधे के सबसे ऊपर दो पत्ते होते हैं जो बहुत छोटे होते हैं. उन्हें साफ करके उसमें खांड या गुड़ मिलाकर खा लें. इसके पत्तों के अर्क से प्लेटलेट्स भी बढ़ते हैं. इसे सदाहारी भी बोलते हैं.

10. दाढ़ का दर्द कैसे दूर करें- अचानक दाढ़ में दर्द होना या दाढ़ से खून आने की परेशान हो जाए तो रूई में पीपल के पत्तों से निकलने वाले दूध को लगा लें. इससे दांत का दर्द ठीक हो जाता है. इससे दाढ़ में लगा कीड़ा भी ठीक हो जाता है.

नाक से खून आने पर थोड़ा सा गुलाब जल ले लें. उसमें एक चुटकी फिटकरी की भस्म मिला लें. ये मिश्रण नाक में दोनों तरफ डाल लें. इससे नकसीर फूटना बंद हो जाएगी.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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