Delhi NCR Air Pullution: दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक होता जा रहा है. हवा में घुला धुआं और धूल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुके हैं. इसके बावजूद स्कूल बंद (School Closed) नहीं हो रहे हैं, जिससे अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है. ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता, स्कूल प्रशासन और समाज मिलकर बच्चों को प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचाने के कदम उठाएं. सही सावधानी, बेहतर खान-पान और स्वच्छ वातावरण से बच्चों को इस मौसम में सुरक्षित रखा जा सकता है. आइए जानते हैं, किन बातों का ध्यान रखकर आप अपने बच्चे की सेहत की रक्षा कर सकते हैं.
1. बच्चों का प्रदूषण से एक्सपोजर कम करें
सुबह के समय प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है, इसलिए कोशिश करें कि बच्चों को थोड़ी देर से स्कूल भेजें.
छोटे बच्चों को आउटडोर एक्टिविटीज जैसे असेंबली, पीटी या स्पोर्ट्स से फिलहाल दूर रखें.
अगर स्कूल अनुमति दे तो कुछ दिनों के लिए ऑनलाइन क्लास का विकल्प चुनें.
स्कूल प्रशासन दिन की शुरुआत देर से कर सकता है ताकि बच्चों को घने स्मॉग में यात्रा न करनी पड़े.
2. मास्क पहनना अनिवार्य बनाएं
- पांच साल से अधिक उम्र के बच्चे N95 या KN95 मास्क पहन सकते हैं.
- कपड़े या कॉटन के मास्क प्रदूषण के छोटे कणों को नहीं रोक पाते.
- ध्यान रखें कि मास्क बच्चे के चेहरे पर ठीक से फिट हो, हवा का रिसाव न हो.
- स्कूल से लौटने के बाद बच्चों को चेहरा, आंख और हाथ धोने की आदत डालें.
3. घर की हवा भी रखें साफ
- जब बाहर की हवा खराब होती है, तब इनडोर हवा भी प्रभावित होती है.
- बच्चों के कमरे में एयर प्यूरीफायर लगाएं और खिड़कियां दिन में सिर्फ तब खोलें जब AQI थोड़ा बेहतर हो.
- घर में स्नेक प्लांट, एलोवेरा और मनी प्लांट जैसे पौधे लगाएं जो हवा को साफ करने में मदद करते हैं.
- अगर प्यूरीफायर नहीं है तो कमरे में गीले तौलिए लटकाना भी धूल कम करने में मदद कर सकता है.
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4. बच्चों के खान-पान पर ध्यान दें
- एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल-सब्जियां जैसे गाजर, अमरूद, संतरा, पालक और टमाटर डाइट में शामिल करें.
- हल्दी वाला दूध, तुलसी या अदरक की चाय गले और फेफड़ों के लिए फायदेमंद है.
- बच्चों को दिनभर में पर्याप्त पानी पिलाएं ताकि शरीर से टॉक्सिन बाहर निकल सकें.
- जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक या डीप-फ्राइड चीजों से परहेज कराएं जो इम्यूनिटी घटाते हैं.
5. अस्थमा या एलर्जी वाले बच्चों के लिए विशेष सावधानी
- अस्थमा या सांस की बीमारी वाले बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के स्कूल न भेजें.
- इनहेलर या जरूरी दवा हमेशा बच्चे के बैग में रखें.
- स्कूल नर्स या टीचर को बच्चे की स्थिति की जानकारी दें ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत मदद मिल सके.
- अगर सांस लेने में तकलीफ या आंखों में जलन महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
6. स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी
- क्लासरूम में एयर प्यूरीफायर या एयर फिल्टर लगाएं.
- बच्चों के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराएं और मास्क पहनने की निगरानी करें.
- आउटडोर एक्टिविटीज को अस्थायी रूप से रोक दें.
- प्रदूषण बढ़ने पर स्कूल समय घटाने या वर्क-फ्रॉम-होम मोड पर विचार करें.
7. मिलजुलकर बनाएं सुरक्षित माहौल
- घर और स्कूल दोनों जगह साफ-सफाई और वेंटिलेशन पर ध्यान दें.
- बच्चों को प्रदूषण के खतरे के बारे में सरल भाषा में समझाएं ताकि वे खुद भी सतर्क रहें.
- अभिभावक और शिक्षक मिलकर बच्चों की सेहत की नियमित निगरानी करें.
प्रदूषण सिर्फ कुछ दिनों की समस्या नहीं, यह बच्चों के फेफड़ों, दिल और दिमाग के विकास पर लंबे समय तक असर डाल सकती है. जब तक हवा की स्थिति सामान्य नहीं होती, सतर्कता ही सबसे अच्छी सुरक्षा है. सरकार, स्कूल और परिवार – सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चे सांस लेने का अधिकार सुरक्षित रख सकें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














