Covid Cases Spike In Maharashtra: केरल में कोरोना फिर रफ़्तार पकड़ रहा है जबकि महाराष्ट्र में भी रोज़ाना के मामले चार हज़ार से बढ़कर अब पांच हज़ार का आंकड़ा छू रहे है. महानगर मुंबई जहां दो हफ़्ते पहले, 200 से कम कोरोना के नए मामले रिपोर्ट कर रही थी अब यह संख्या 300 के पार पहुंच गई है. कोरोना केसो में आए इस उछाल के बीच कोविड ड्यूटी पर तैनात हेल्थकेयर-फ़्रंट लाइन वर्कर बूस्टर शॉट यानी कि वैक्सीन की तीसरी डोज की जरूरत बता रहे हैं. जनवरी में टीकाकरण की शुरुआत इनसे ही हुई थी. महाराष्ट्र में कोरोनावायरस के डेल्टाप्लस वेरिएंट के जो मरीज मिले हैं उनमें से करीब 65% ने वैक्सीन नहीं ली थी. राज्य में कोरोना वैक्सीन पर भरोसा बढ़ रहा है और काफी संख्या में लोग टीका लगवा रहे है लेकिन इसके साथ ही संक्रमण के मामलों में महाराष्ट्र में बढ़त भी दिख रही है.
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कोविड जंबो सेंटर की डॉक्टर सोनाली कीर्तने कहती हैं,' 'प्रोटेक्शन बेहद ज़रूरी है. कोविड में देखते ही देखते हालत ख़राब हो जाती है. लंग्स इन्वोल्व हो जाता है और ब्लड क्लॉटिंग होने लगती है. हेल्थकेयर और फ़्रंटलाइन वर्कर जिस माहौल में काम करते हैं,इन्फ़ेक्शन आसानी से हो सकते हैं, ऐसे में थर्ड बूस्टर शॉट की ज़रूरत है.'कोविड जंबो सेंटर में काम कर रहे डॉक्टर मनोज पाचिंगे वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमित हुए लेकिन बीमारी का असर कम रहा. थर्ड बेब से पहले ये भी तीसरा टीका लेना चाहते हैं. डॉक्टर मनोज ने बताया, ' मैंने पहली और दूसरी वैक्सीन की डोज़ में ज़्यादा गैप रखा था, इसलिए मुझे कोरोना हुआ. मुझे लगता है तीसरी डोज़ ज़रूरी है. अभी नए कोविड वेव की बात चल रही है, जो बच्चों पर असर दिखा सकती है. उन बच्चों का ख़्याल रखने के लिए हमें ही वॉर्ड में जाना होगा.इसलिए हमारे लिए भी सुरक्षा ज़रूरी है.'
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कोविड जंबो सेंटर्स के इंचार्ज और बीकेसी सेंटर के डीन डॉक्टर राजेश डेरे कहते हैं कि जब तक थर्ड डोज़ को लेकर सरकारी आदेश नहीं आता, इसकी सोच और चर्चा सही नहीं. डॉक्टर डेरे कहते हैं', 'हेल्थलाइन वर्कर और फ़्रंटलाइन वर्कर को पहले एंटीबॉडी टेस्ट करवाना चाहिए, उसके बाद विशेषज्ञों की सलाह पर थर्ड डोज़ के बारे में सोचना चाहिए. फ़िलहाल तो थर्ड डोज या बूस्टर शॉट के बारे में हमारे यहां कोई अप्रूवल नहीं है. जब तक सरकारी अथॉरिटी इसके बारे में कुछ नहीं बोलती] मेरा कुछ कहना सही नहीं है.''महाराष्ट्र में कुल 103 डेल्टा प्लस मरीज़ बताए जा रहे हैं इनमें से क़रीब 65% मरीज़ों ने टीके की एक भी डोज़ नहीं ली थी. ऐसे आंकड़ों से वैक्सीन पर भरोसा बढ़ रहा है, पर तीसरी डोज़ की चर्चा ऐसे वक़्त में शिकन भी ले आती है जब आधी आबादी टीके से दूर हो.
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