कैंसर डिस्कवरी पत्रिका में बताए गए नए अप्रोच में एलबी-100 शामिल है, जो वर्तमान में फेफड़ों के ट्यूमर के लिए क्लिनिकल ट्रायल में है और WEE1 ब्लॉकर्स, जो ट्यूमर डीएनए की मरम्मत को रोकते हैं. दवा का यह कॉम्बिनेश कैंसर कोशिकाओं को स्ट्रेस पैदा करने के लिए अति सक्रिय करके काम करता है, जिससे वे टारगेट हमले के लिए ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं. अध्ययन से पता चलता है कि इलाज की प्रभावशीलता ट्यूमर सेल सिग्नलिंग को अति सक्रिय करने के कारण है, जो कोशिकाओं को सीधे रिस्ट्रिक्ट करने के बजाय तनाव देता है. नीदरलैंड कैंसर इंस्टीट्यूट (एनकेआई) के एक वरिष्ठ पोस्टडॉक्टरल फेलो मैथियस हेनरिक डायस ने कहा कि यह तनाव कैंसर कोशिकाओं को इस बढ़ी हुई अवस्था में कोशिकाओं को टारगेट करने वाली विशिष्ट दवाओं के प्रति संवेदनशील बनाता है.
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कोलोरेक्टल कैंसर वाले पशु मॉडल में यह दोहरा दृष्टिकोण सफल रहा और इसने अग्नाशयी एडेनोकार्सिनोमा और कोलेंजियोकार्सिनोमा जैसे अन्य आक्रामक कैंसर के लिए भी आशाजनक परिणाम दिखाए.
इस थेरेपी का ट्रायल इस साल के अंत में नीदरलैंड में कोलोरेक्टल कैंसर के रोगियों पर किया जाएगा और आने वाले सालों में यह कैंसर के उपचार के विकल्प के रूप में बाजार में उपलब्ध होगा, डायस ने कहा.
उन्होंने कहा कि "यह एक बढ़ता हुआ शोध क्षेत्र है" और इस तरह की दवा विकसित करने के लिए कई "बड़ी कंपनियां सिग्नलिंग एक्टिवेटर्स में निवेश कर रही हैं और स्टार्टअप स्थापित किए जा रहे हैं."
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शोधकर्ताओं ने इस रणनीति को ट्रॉपिकल डीजीज का कारण बनने वाले पैरासाइट्स को टारगेट करने के लिए एक्सटेंड करने का प्लान बनाया, जिसका उद्देश्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना उन्हें खत्म करना है.
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