विशेषज्ञों ने बताया कि 50 साल से कम आयु के वयस्कों में कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर तेज से बढ़ रहे हैं जो बेहद चिंताजनक है. भारत में कोलन कैंसर एक बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है. यह सातवें सबसे आम कैंसर के रूप में उभर रहा है. दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरी क्षेत्रों में इसके मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार भारत में पुरुषों में 10,0000 में से 4.3 प्रतिशत को और 10,0000 महिलाओं में 3.4 प्रतिशत को ही कोलोरेक्टल कैंसर होता है. यह कैंसर भारत में होने वाले सभी प्रकार के कैंसर से होने वाली मौतों में से 8.2 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है.
यह भी पढ़ें: दांत में कीड़ा लगने से हैं परेशान, तो नारियल तेल में ये चीज मिलाकर करें कुल्ला, कैविटी से मिल जाएगा छुटकारा
विशेषज्ञों के अनुसार कोलन कैंसर के लिए डाइट, लाइफस्टाइल, वंशानुगत कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. कंसल्टेंट रेडिएशन और क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. नीरज ढींगरा ने आईएएनएस को बताया, "वृद्ध लोगों को होने वाला कोलोरेक्टल कैंसर अब भारत में युवा वयस्कों में चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है. हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि कोलोरेक्टल कैंसर की दर में 20.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसमें 50 साल से कम आयु के लोगों में यह मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं."
कहां बनता है कोलोरेक्टल कैंसर? | Where Does Colorectal Cancer Form?
कोलोरेक्टल कैंसर पाचन तंत्र के हिस्से कोलन या मलाशय में पैदा होता है. यह आमतौर पर पॉलीप्स नामक कोशिकाओं के छोटे, सौम्य समूहों के रूप में शुरू होता है, जो समय के साथ कैंसर बन सकता है. वैसे तो कोलोरेक्टल कैंसर 50 साल या उससे ज्यादा आयु के व्यक्तियों में ज्यादा आम रहा है, लेकिन हाल ही में किए गए शोधों से इस प्रवृत्ति में बड़े बदलाव का संकेत मिलता है.
31 से 40 साल की आयु के युवा वयस्कों में भी होने लगा:
दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान द्वारा 2023 में किए गए एक शोध से पता चला है 50 साल से ज्यादा आयु के लोगों को होने वाला यह कैंसर अब 31 से 40 साल की आयु के युवा वयस्कों में तेजी से बढ़ रहा है.
क्या कहते हैं डॉक्टर?
डॉ. ढींगरा ने कहा, "50 साल से कम आयु के वयस्कों में मामलों में वृद्धि चिंताजनक है और यह बताता है कि लाइफस्टाइल, डाइट और अन्य कारणों से रिस्क बढ़ रहा है, इससे युवा पीढ़ी असमान रूप से प्रभावित हो रही है." कोलोरेक्टल कैंसर का अगर समय पता चल जाए तो इलाज संभव है और इससे जीवन दर भी बढ़ सकती है.
यह भी पढ़ें: हाई ब्लड प्रेशर रोगी अगर डाइट में शामिल कर लें ये चीजें, तो नहीं पड़ेगी कभी दवा की जरूरत
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण (Symptoms of Colorectal Cancer)
इसके आम लक्षणों में मल त्याग की आदतों में बदलाव (दस्त या कब्ज), मल में खून आना, पेट में दर्द या बेचैनी, बिना वजह वजन कम होना और थकान शामिल हैं.
डॉ. ढींगरा ने कहा कि युवा वयस्कों में बढ़ते मामलों को देखते हुए, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए कोलोरेक्टल कैंसर को एक संभावित निदान के रूप में विचार करना जरूरी है. अगर लक्षण दिखते हैं तो उन्हें 50 साल से कम आयु के रोगियों में को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
एस्टर आर.वी. अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जगन्नाथ दीक्षित ने आईएएनएस को बताया, "भारत में कोलन कैंसर के रोगियों की पांच साल तक जीवित रहने की दर 40-50 प्रतिशत के बीच है, जो कई पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है, इसका कारण देर से डायग्नोस और हेल्थ प्रोवाइडर तक उनकी सीमित पहुंच है."
विशेषज्ञों ने कहा कि इस पर मेडिकल कम्युनिटी और पब्लिक हेल्थ पॉलिस मेकर दोनों को तत्काल ध्यान देने और कार्रवाई करने की जरूरत है.
उन्होंने कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद के लिए निवारक उपायों और नियमित जांच का आह्वान किया. डॉ. दीक्षित के मुताबिक, "रोकथाम रणनीतियों में हाई फाइबर डाइट, नियमित व्यायाम और धूम्रपान और बहुत ज्यादा शराब के सेवन से बचना जरूरी है."
उन्होंने आगे कहा कि, उपचार के विकल्पों में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी से लेकर टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी के साथ-साथ रोगी को सर्पोटिव केयर को भी शामिल करने की जरूरत होती है. इससे इलाज के दौरान उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को मैनेज करने में मदद मिल सकती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)